भूमिका
दुनिया भर में सुगंध या खुशबू एक ऐसा तत्व है जो हमारे मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालती है। यह हमारे मूड, भावनाओं और मानसिक स्थिति को बदलने की क्षमता रखती है। सुगंध का प्रभाव वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध हुआ है। अच्छी सुगंध व्यक्ति के व्यक्तित्व को तो आकर्षक बनाती ही है। साथ ही यह दूसरों के साथ जुड़ने और प्रभावशाली छवि बनाने में मदद करती है। हल्की और सुखद सुगंध न केवल हमारे स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डालती है, बल्कि यह हमारे जीवन में खुशहाली और ऊर्जा भी भरती है। सुगंध का सही उपयोग हमारे जीवन को बेहतर बना सकता है। कुछ इसी आशय से कविवर बाबूलाल नायक ने प्रस्तुत कविता की रचना की है।
दोहे महक आधारित
महकी खुशबू इत्र की, हवा बहै चहुँ ओर।
महिमा सदा चरित्र की, शोभा नित-नित भोर।।
फूल महकते स्वयं ही, नहीं इत्र की आस।
सज्जन को परमाण की, नहीं जरूरत खास।।
भूख मिटे अन खाय तो, दवा खाय तो रोग।
शिक्षा से जड़ता मिटे, रहै शांति का योग।।
रचनाकार
‘नायक’ बाबूलाल ‘नायक’
(व्याख्याता)
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय
खरेड़ा टोडारायसिंह टोंक (राज.)