
गगोल (मेरठ, उत्तर प्रदेश), 2 अक्टूबर 2025. ग्राम गगौल के लिए यह एक ऐसा दुर्लभ अवसर था। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सत्य, अहिंसा, त्याग की प्रतिमूर्ति एवं जय जवान जय किसान का नारा देने वाले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती अर्थात् दो महान महापुरुषों का जन्मदिन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा भी आज ही था जिस दिन 1857 की जनक्रांति में नौ अमर सपूतों के बलिदान, देशप्रेम, के लिए शहादत हुई थी।
उलझनें मैंने कई झुक के भी सुलझाई हैं।
तभी पाया कि सब लोग क़द के बराबर तो नहीं


 
 



भारतीय जनसेवा पंचायत न्यास, जनचेतना मिशन और उलझन सुलझन ने परस्पर चिंतन से आज के दिन की महत्ता को समझा और संयुक्त प्रयास कर इस दुर्लभ अवसर पर गगोलवासियों, नौजवानों के लिए यह प्रोग्राम आयोजित किया ताकि वे इस गौरवशाली दिन से प्रेरणा लें कि हमारा भी देश के लिए और क्षेत्र के लिए कोई कर्तव्य बनता है। हम गांव के विकास के लिए अपना योगदान देकर गांव को शिक्षा, चिकित्सा और निर्धनों – वंचितों की मदद करके अपने गांव को आगे बढ़ाने का हर स्तर पर प्रयास करें।
इस अवसर पर भारतीय जन सेवा पंचायत न्यास के संस्थापक श्री सत्यपाल सिंह जी ने अपने संबोधन में कहा कि
“ग्राम गगोल की पावन भूमि पर आज हम सब एकत्रित हुए हैं, यह क्षण सचमुच अद्वितीय है। आज हम एक साथ तीन महान अवसरों का साक्षात्कार कर रहे हैं—राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्मदिवस, सरलता और सत्यनिष्ठा के प्रतीक, हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिवस और साथ ही 1857 की जनक्रांति में बलिदान देने वाले ग्रामीण वीरों, विशेषकर स्वर्गीय बदलू सिंह जी की अमर स्मृतियों का स्मरण।
साथियो,
1857 की क्रांति केवल दिल्ली, मेरठ या कानपुर तक सीमित नहीं रही थी। यह क्रांति गाँव-गाँव के आँगन में गूँजी थी। गगोल की मिट्टी भी उन शूरवीरों के रक्त से सिंचित हुई, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता का मार्ग दिखाया। स्वर्गीय बदलू सिंह जी जैसे महानायक हमें यह सिखाते हैं कि सत्य, साहस और त्याग ही जीवन के वास्तविक मूल्य हैं।
आज जब हम उन बलिदानियों को पुष्पांजलि अर्पित कर रहे हैं, तब यह केवल श्रद्धा का भाव नहीं, यह एक संकल्प भी है।
संकल्प कि हम उनकी शिक्षाओं को आगे बढ़ाएँगे, गाँव और समाज को शिक्षा, सद्भाव और सेवा के पथ पर चलाएँगे।
गांधी जी ने सत्य और अहिंसा की राह दिखाई। शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का मंत्र दिया। और हमारे ग्राम्य वीरों ने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए।
आज का दुर्लभ संगम हमें यह स्मरण कराता है कि अगर हम सब मिलकर त्याग, सत्य और सेवा का मार्ग अपनाएँ तो भारत की ग्राम्य संस्कृति और भी उज्ज्वल हो सकती है।
मैं ग्राम गगोल के सभी साथियों का अभिवादन करता हूँ और विश्वास दिलाता हूँ कि भारतीय जनसेवा पंचायत न्यास गाँव-गाँव में यही संदेश लेकर जाएगा कि –
“बलिदान व्यर्थ नहीं जाते, वे आने वाली पीढ़ियों को जागृति का दीपक देते हैं।”
आइए, हम सब मिलकर इस दीपक की लौ को प्रज्वलित रखें और नई ऊर्जा, नया हौसला लेकर देश और समाज की सेवा करें।
विनम्र श्रद्धांजलि आज के दुर्लभ अवसर के साक्षी उन सभी दिवंगत आत्माओं को और प्रणाम इस पावन भूमि को।
जय हिन्द!
जय भारत!”
इसी क्रम में उन्होंने आह्वान किया कि हम संस्कारी तो बनें ही साथ ही बच्चों को बनने के लिए प्रेरित भी करें। यही हमारे द्वारा हमारे अमर शहीदों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम नीति का पालन करें और अनीति का विरोध।
इस अवसर पर श्री पुनीत कुमार जी, तेजपाल सिंह पोसवाल जी, महेंद्र जी, डॉ राजवीर सिंह जी, मास्टर हरिराम जी, लाल सिंह जी, संदीप कुमार जी, सुबोध कुमार जी, राजीव वर्मा जी, सचिन (गगौल) जी, शिवकुमार शर्मा जी, महकार भगत जी और अजय प्रधान जी ने भी अपने मनोभाव व्यक्त किए।
 
 
सभी ने गांव में बिना मान्यता के चल रहे प्राइवेट स्कूलों, जो बिना मानक के हैं और बच्चों के भविष्य खिलवाड़ कर रहे हैं, के प्रचालन पर चिंता व्यक्त की तो बिना मान्यता के होने के कारण और  सरकारी स्कूल बंद होने पर। शासन निजी स्कूलों की मान्यता सुनिश्चित करे।
इसके अतिरिक्त गांव में कुछ लोग सरकारी भूमि जोहड, नाले, चक रोड और सार्वजनिक रास्तों पर अतिक्रमण अज्ञानतावश कर लेते हैं। ऐसे प्रयासों से गलत परम्परा का जन्म होता है तो ऐसे मसलों पर कार्यवाहीं नहीं होने पर प्रशासनिक अधिकारियों की प्रशासनिक क्षमताओं पर प्रश्नचिन्ह खड़े होते हैं जिससे शासन यानि सरकार की और उसके नुमाइंदों की छवि भी प्रभावित होती है। ऐसे में विरोधाभासी स्थितियों में वास्ताविक विकास कैसे हो?
गांव ही नहीं गांवों के विकास के लिए प्रयास इस प्रकार करना है और हम सबको विचार और साथ मिलकर करना है कि किसी की भी छवि धूमिल ना होने पाए बल्कि प्रत्येक स्तर का व्यक्ति विकास के संदर्भ में गौरव से यह बताए कि विकास यदि हमने कराया तो उसमें विकास के साथ साथ सबका कौशल दिखता है और ग्रामीणों की सतर्कता भी।
ऐसे प्रण के साथ इस दुर्लभ अवसर का समापन हुआ।

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