गृहप्रवेश पर मंगल कामना

गृहप्रवेश पर मंगल कामना

मंगल कामना

प्रिय श्रीकान्तश्री तथा सौभाग्यवती महिमाश्री के नूतन निर्मित गृहप्रवेश पर कृष्ण का शुभाशीष

‘श्रीकान्त’ और ‘महिमाश्री’ के जीवन में केवल शुभ रहवे।

ऋद्धि-सिद्धि सुख-समृद्धि की सरिता नूतन घर में बहवे।

नूतन घर में स्वयं ईश भी आकर निश्चित वास करेंगे।

सदा चैन बरसेगा घर में ईश स्वयं हर त्रास हरेंगे।

 

‘सृष्टि’ बिटिया इस घर में रह सृष्टि में निज नाम करेगी।

‘सूर्याश’ की पावन किरणें घर में नित ही नृत्य करेंगी।

अनुज और अनुज वधुओं को श्री सदा आदर्शी भैया।

इन्हें प्यार करते हैं मोहक पिता सोमदेव ‘निर्मल’ भैया।

 

भतीजे और भतीजी को ये सदा पूजनीय ताई-ताऊ।

ताई-ताऊ जब ये सुनते इनको हर्षित दूना पाऊँ।

छपरौली में छाप छोड़कर देवभूमि में वास बनाया।

दून घाटी में इन दोनों के हर कोई गुण गाता पाया।

 

बड़े कवि और बड़ी कवयित्री महिमा और श्रीकान्त जी हैं।

मैंने देखा जन-जन को ही ये दोनों मीठी मिसरी हैं।

स्वयं ‘कृष्ण’ और और परिवार को इन्हें मिला है प्यार मनोहर।

लगता है मेरे जीवन की ये दोनों हैं प्रेम धरोहर।

 

भाग्यशाली यह नृतन घर है पूर्ण विश्व इनको गायेगा।

एक बार भी मिलने वाला खुद को ही गर्वित पायेगा।

‘ताऊ कृष्ण’ का परिवार पर सदा सदा ही हाथ रहा है।

लगता है जैसे यह नाता जन्म-जन्म से साथ रहा है।

 

नूतन घर में हर खिड़‌की से एक मोहक सी सुगन्ध बहेगी।

मात लक्ष्मी नूतन घर को निश्चित ही निज वास करेगी।

मेरा तो आशीष सदा ही इन्हें मिला है और मिलेगा।

नूतन घर में आशीषों से भरा हुआ एक कोश रहेगा।

सृजक

‘कृष्ण’ ताऊ

दिनांक : 20-04-2025

प्रस्तुति