जनता के राष्ट्रपति कहलाए

जनता के राष्ट्रपति कहलाए

जनता के राष्ट्रपति कहलाए

स्वर्णिम इतिहास का,
आज है महान दिन‌।
मिसाइलमैन जन्मा था,
आज ही के दिन।

मन में सोचा था देहरादून जा,
पायलट बन जाऊंगा जरूर।
पर नियति में और ही तय था,
ईश्वर को नहीं था यह मंजूर।

नौका चलाकर समाचार पत्र,
बेचकर पाई थी शिक्षा।
गंगा, गीता व स्वामी शिवानंद,
से पाई थी जिसने दीक्षा।

विद्वत्ता देख दूसरे देशों ने,
ललचाया बोल झूठ पर झूठ।
पर उनके मन में केवल भरी,
सच्ची देश सेवा कूट-कूट।

देश में रहकर ही देश सेवा,
करने का व्रत धारा,
मेरा देश अग्रणी देश बने,
मन में थी यह विचारधारा।

ता जिंदगी अविवाहित रहकर
सारे देश को ही माना परिवार।
मरते दम तक देश के खातिर,
बच्चों को देते रहे सुविचार।

सभी धर्मो,जातियों,ग्रंथों को,
मानते थे अपना।
बच्चों,अनाथों व गरीबों की
सेवा को धर्म मानते थे अपना

इसलिए सबसे बड़ी उपाधि,
के हकदार कहलाए।
जनता जनार्दन के,
राष्ट्रपति कहलाए।

हंसराज हंस
टोंक राजस्थान