जीवन को गुने शिक्षक की सेवानिवृत्ति

जीवन को गुने शिक्षक की सेवानिवृत्ति

पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय सिख लाइंस मेरठ में शिक्षक ब्रह्मपाल सिंह नागर जी की सेवानिवृत्ति का कार्यक्रम २८ फरवरी २०२५ को विद्यालय की लाइब्रेरी में आयोजित किया गया।

पुस्तकालय कक्ष

इसमें मंचासीन रहे श्री निर्भय सिंह जी एवं उनकी पत्नी श्रीमती धर्मवती देवी जी, श्री ब्रह्मपाल सिंह नागर जी एवं अनीता नागर जी, प्राचार्य श्री रविप्रताप सिंह जी एवं उपप्राचार्य श्री दीपक बर्थवाल जी और मुख्याध्यापिका श्रीमति रजनी कटारिया जी।

मंच पर स्थान ग्रहण करते अतिथि

सर्वप्रथम अतिथियों का स्वागत माल्यार्पण कर किया गया। शिक्षिका सिम्मी ने कार्यक्रम का अद्वितीय संचालन किया।

कार्यक्रम संचालिका सिम्मी भाटी
माल्यार्पण कर अतिथि सत्कार

स्कूल की खट्टीमीठी यादों का सिलसिला चला तो सबसे पहले श्रीमति इशरत परवीन जी ने अपने अनुभवों को साझा किया। उन्हें यह श्रेय जाता है कि उन्होंने श्री ब्रह्मपाल सिंह नागर जी के एक सुपुत्र को भी शिक्षा देने में योगदान दिया। उन्होंने नागर जी के भावी दृष्टिकोण को भी इंगित करते हुए आशा व्यक्त की कि इस बाबत वो ही स्वयं बताएं तो बेहतर होगा। संचालिका सिम्मी जी ने आगे कार्यक्रम को बढ़ाते हुए विद्यालय की प्रगति का उल्लेख किया और श्री पंकज जी को अपने विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित किया।

उन्होंने श्री ब्रह्मपाल सिंह नागर जी की व्यावहारिक कुशलता का वर्णन किया। फिर आमंत्रित किया गया श्री दर्शन जी को।

उन्होंने सर्वप्रथम सभी को अभिवादन किया। उन्होंने आज के दिन को बहुमूल्य बताते हुए कहा कि श्री ब्रह्मपाल जी विविधता भरे समय को तय करके श्री ब्रह्मपाल नागर जी सेवानिवृत्ति तक का समय सफलतापूर्वक तय कर सके। उन्होंने श्री ब्रह्मपाल नागर जी को वटवृक्ष की संज्ञा दी। नागर जी ने अपने जीवन को अपने अनुभवों से सजाया। इसके उपरांत संगीत शिक्षिका श्रीमती प्रिया भार्गव जी को अवसर मिला। उन्होंने नागर जी को शुभकामनाएं देते हुए एक रोचक गीत प्रस्तुत कर माहौल को सरल किया। इसके उपरांत श्री राजकुमार जी ने अपने संबोधन में बताया कि उनकी श्री नागर जी से मुलाकात तब हुई जब मैं विद्यालयी सेवा में नहीं था और उनकी छत्रछाया में बहुत सीखा अब हम लोग साथ साथ रहे और साथ साथ रहेंगे। उन्होंने तमाम दुआएं दीं।

तदोपरांत श्री नागर जी की सेवा में प्रशस्ति पत्र का वाचन प्रभा रस्तोगी जी ने किया। इस मध्य प्राचार्य श्री रविप्रताप सिंह जी तथा उपप्राचार्य श्री दीपक बर्थवाल ने प्रशस्ति पत्र देकर तथा शॉल ओढ़ाकर उनका अभिनंदन किया। इसी अवसर पर श्री विक्रम सिंह जी ने श्री ब्रह्मपाल सिंह नागर जी को सत्यार्थ प्रकाश भेंट की। उन्होंने यह भेंट देते हुए बताया कि इनके सहयोग और निर्देशन से मेरे बालकों को भी दिशा और मार्ग मिला। अंत में श्री (इंजीनियर) निर्भय सिंह जी ने अनेक उदाहरण देते हुए कहा कि शिक्षक कभी रिटायर नहीं अवॉर्ड होता है। ऐसे दिशा देने वाले अनेकानेक उदाहरण समाज में दिए जा सकते हैं।

वाइस प्राचार्य दीपक जी ने अपने संबोधन में कहा कि नागर जी की विशेषताओं में तन्मयता प्रमुख रही है। ऐसा मैंने सदैव स्कूल के अपने प्रत्येक राउंड में पाया। ये कभी भी माहौल को बोझिल नहीं होने देते थे, उसको मिनटों में सरल सहज कर देते थे। किसी पर किसी प्रकार की टीका टिप्पणी नहीं। दीपक जी ने उनको भावी जीवन के लिए शुभकामना दी। संचालिका सिम्मी ने इसके बाद श्री अशोक चौधरी को आमंत्रित किया। उन्होंने भी शिक्षक श्री नागर जी की प्रशस्ति में अपने भाव व्यक्त किए। अंततः श्री ब्रह्मपाल नागर जी ने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी के सहयोग और सभी के भावों की अभिव्यक्ति के लिए कृतार्थ भाव व्यक्त किया। इस नौकरी को चुनने के पीछे मेरा ध्येय और आकर्षण था कि शिक्षण में भावी पीढ़ियों को तैयार करने का पर्याप्त अवसर मिलता है।

आशीष श्वसुर का

श्री निर्भय सिंह वर्मा जी आशीष देते

स्कूल को सप्रेम भेंट

सेवानिवृत्त शिक्षक श्री ब्रह्मपाल नागर तथा पूर्व में सेवानिवृत्त शिक्षक श्री विनय कुमार सिंह ने स्टाफ के लिए दान किया रेफ्रिजरेटर। शिक्षा के क्षेत्र में वर्षों तक केंद्रीय विद्यालय सिख लाइंस को अपनी सेवाएँ देने के बाद अपनी विदाई को केवल एक औपचारिकता तक सीमित न रखते हुए, उन्होंने अपने सहकर्मियों के लिए एक अनूठी सौगात देने का निश्चय किया।

पूर्व में सेवानिवृत्त सहयोगी के साथ विचार-विमर्श करने के बाद, दोनों ने मिलकर स्टाफ सदस्यों की सुविधा हेतु एक रेफ्रिजरेटर दान करने का निर्णय लिया। यह उपहार न केवल उनकी उदारता को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि एक सच्चा शिक्षक अपनी सेवा समाप्त होने के बाद भी अपने साथियों और संस्थान के हितों के बारे में सोचता है।

सेवानिवृत्त शिक्षकों के द्वारा स्कूल को भेंट

इस अवसर पर श्री ब्रह्मपाल सिंह नागर ने कहा,

“यह संस्थान और यहाँ के लोग मेरे परिवार जैसे रहे हैं। यह छोटा-सा योगदान हमारी ओर से उन सभी के लिए है, जिनके साथ मैंने यादगार समय बिताया है।”

इस नेक कार्य के लिए समस्त स्टाफ ने उनका आभार व्यक्त किया और उनके स्वस्थ, खुशहाल एवं सफल भविष्य की कामना की। उनका यह योगदान हमेशा याद किया जाएगा और आने वाले वर्षों तक स्टाफ के लिए लाभदायक रहेगा।

जीवन प्रेरक

श्री ब्रह्मपाल सिंह नागर जी ने अपने जीवन में समस्त आत्मानुशासन का श्रेय अपने गुरु, परम श्रद्धेय श्री सत्यपाल जी को दिया है। वे श्री सुभाष इंटर कॉलेज, खेड़ी भनौता, जनपद गौतमबुद्ध नगर में गणित के प्रख्यात अध्यापक रहे।

परमार्थ निकेतन आश्रम के जनक

गणित शिक्षण के साथ-साथ, उन्होंने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए जीवन कौशल पर आधारित एक विशेष कक्षा का भी प्रावधान किया, जो प्रत्येक माह के अंतिम रविवार को तीन घंटे के लिए आयोजित की जाती थी।

इस कक्षा का उद्देश्य केवल शैक्षिक ज्ञान प्रदान करना नहीं था, बल्कि विद्यार्थियों को आत्मानुशासन, नैतिकता, नेतृत्व क्षमता, समस्या-समाधान कौशल और व्यावहारिक जीवन में आने वाली चुनौतियों से जूझने की योग्यता विकसित करना भी था। श्री सत्यपाल जी ने अपने अद्वितीय शिक्षण शैली और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के माध्यम से विद्यार्थियों को जीवन में अनुशासन, समर्पण और परिश्रम के महत्व को समझाया।

उनकी इस पहल का विद्यार्थियों पर गहरा प्रभाव पड़ा, जिससे वे न केवल शैक्षणिक रूप से बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर भी सशक्त बने। उनका यह प्रयास आज भी विद्यार्थियों की सफलता और जीवन मूल्यों में प्रतिबिंबित होता है, जो उन्हें अपने गुरु के प्रति गहन श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है।

श्री ब्रह्मपाल सिंह नागर ने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया, बल्कि समाज में व्याप्त कुरीतियों के उन्मूलन के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए। उन्होंने विशेष रूप से धूम्रपान जैसे हानिकारक व्यसनों से बचाव के लिए जन-जागरूकता फैलाई और एक शिक्षक मदन चौहान तो धूम्रपान छोड़ने का श्रेय ही इनको देते थे। साथ साथ विद्यालय सहित सामान्य लोगों को दुर्व्यसनों के दुष्प्रभावों से अवगत कराया।

शिक्षक के रूप में सेवा क्षेत्र में रहते हुए भी उन्होंने नैतिक मूल्यों और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए सतत प्रयास किए। व्यावहारिक कुरीतियों, जैसे सामाजिक भेदभाव, अंधविश्वास और अनावश्यक रूढ़ियों के खिलाफ उन्होंने जागरूकता अभियानों का संचालन सहज भाव से ही अपने सामान्य और रूटीन जीवन में किया। उनका उद्देश्य न केवल शिक्षित समाज का निर्माण करना रहा, बल्कि एक ऐसा वातावरण विकसित करना भी रहा जहाँ लोग स्वस्थ आदतों को अपनाकर जीवन को अधिक सकारात्मक और प्रगतिशील बना सकें।

सूचना स्रोत

प्रत्यक्ष तथ्य तथा श्री ब्रह्मपाल सिंह नागर

प्रस्तुति