जिन्दगी खुश रहने का ही नाम ही है जिसने यह समझ लिया वह अपने जीवन को सफल बना लिया।
जब भी हम दुखी होते हैं हम नकारात्मक हो जाते हैं, और ब्रह्मांड से हम नकारात्मकता को अपनी तरफ खींचते हैं। इसकी बजाय जब हम खुश होते हैं तो हमारे आसपास सब वातावरण खुश हो जाता है और हम ब्रह्मांड से भी सकारात्मकता को अपनी तरफ खींचते हैं। आपने देखा होगा कि जब भी हम खुश होते हैं हमें हर चीज़ बढ़िया दिखाई देती है अपने आसपास सब लोग खुश दिखाई देते हैं। प्रकृति मुस्कुराती दिखाई पड़ती है स्थान और वातावरण सब सुखद महसूस होते हैं पूर्व में बीती सभी दुखद घटनाओं को भूल जाते हैं। वह समय जीवन का खास समय महसूस होता है और ऐसा लगता है कि जीवन में कोई दुख कभी भी नहीं था।
लेकिन अगर हम किसी छोटी सी घटना से भी दुखी होते हैं तो हम उसी तरह का संदेश ब्रह्मांड से भी अपनी और खींचते हैं पता चलता है कि हम नकारात्मक हो जाते हैं और फिर पूर्व में बीती सभी दुखद घटनाएं याद करने लगते हैं लोग भी दुखी दिखते हैं कुछ अच्छा नहीं लगता। इस समय पर हमारे लिए निर्णय भी नकारात्मक और गुस्से से भरे ही होते हैं परिणाम यह होता है कि इस समय पर लिए सभी निर्णय गलत साबित होते हैं और पछतावा होता है।
अगर इंसान यह समझ ले कि वह अब नकारात्मक स्थिति से गुजर रहा है इसीलिए सब सूचनाएं भी नकारात्मक आ रही हैं और नुकसान की स्थिति बनी है अब मुझे अपने आप को सकारात्मक बनाने की कोशिश करनी होगी तो वह इन परिस्थियों से पार हो जाता है।
सभी लोग खुश लोगो की और ही आकर्षित होते हैं हर समय दुखी रहने वाले और उसी तरह की बातें करने वालों से दूर ही रहने की कोशिश करते हैं। मन हमेशा खुश लोगों को देख कर प्रसन्न हो जाता है वहीं खींचा चला जाता है।
जानती हूं हर समय सिर्फ खुश रहना मुश्किल है घर से निकले लिफ्ट खराब मिली और सीढ़ी से जाना पड़ गया , पता चला मूड खराब हो गया। परिणाम रास्ते में किसी ने नमस्ते भी कह दिया तो जवाब देना जरूरी नहीं समझा। अब आगे आगे भी यही सब होगा।
इस कि बजाय परिस्थिति से समझौता कर खुश खुश दूसरा रास्ता अपना लिया और मिलने वाले लोगों को खुद ही अभिवादन करते चले तो सब काम आसान।
दुखी हम होते क्यों हैं जब कार्य हमारी इच्छाओं के विरुद्ध परिणाम दे रहे होते हैं लेकिन यह वह स्थिति है कि जब कार्य हमारे अनुरूप से नहीं हो रहे होते, तो वह प्रकृति की व्यवस्था के अनुरूप हो रहे होते हैं । शायद हमारे लिए कोई बेहतर व्यवस्था है। यह समझ लिया जाए तो खुशी हमेशा हमारे पास ही रहेगी।
याद रखें प्रकृति ( ईश्वर) हमारे माता पिता हैं वह हमारे लिए अच्छा ही सोचते हैं और हमारे जीवन को सही राह पर ही ले जाते हैं। बस जैसा हम सोच रहे होते हैं वैसा उस समय नहीं हो रहा होता। लेकिन बाद में लगता है अच्छा ही हुआ नहीं तो यह बेहतर परिणाम अब नहीं मिल पाता।
मन ही है जो ख़ुशी और गमी का कारक है इसमें उठने वाले असंख्य विचार की सोच ही हमारे दुख सुख का कारण है।
खुश रहें और मुस्कुराते रहें। वही मिलेगा। आपने देखा होगा नदी हमेशा समुद्र में मिलती है जिसमें पहले से ही पानी होता है न कि मरुस्थल में जहां पानी की जरूरत होती है। आप खुश हैं तो खुशी और मिलेगी बल्कि कई कई गुणा होकर मिलेगी।
सूचना स्रोत
कोरा प्लेटफॉर्म
लेखिका
रुचि छाबड़ा (उड़ेमी इंस्ट्रक्टर)
प्रस्तुति
आपका दिन शुभ हो!!