भूमिका
लंबे अवकाश के बाद जब स्कूल फिर से खुलते हैं, तो कवि के मन में भावनाओं की एक नई लहर उठती है। सन्नाटे से भरे स्कूल के गलियारे फिर से बच्चों की हंसी और खिलखिलाहट से गूंज उठेंगे। ऐसा लगता है मानो बगिया में बहार लौट आई हो।
वो टिफिन का आदान-प्रदान, दोस्तों की मीठी शरारतें और कक्षा में हंसी-ठिठोली का माहौल, सब कुछ जैसे फिर से जीवंत हो जाएगा। कक्षा की वो गुमसुम कुर्सियां अब ज्ञान के दीप से रोशन होंगी। ब्लैकबोर्ड, जो लंबे समय से खाली था, अब फिर से शब्दों और नई कहानियों से भर जाएगा।
स्कूल केवल एक इमारत नहीं है, यह जीवन का नया आरंभ है। हर दिन यहां एक नया पन्ना है, जिस पर भविष्य लिखा जाएगा। यह वह जगह है, जहां सपने पंख फैलाकर उड़ान भरते हैं और मन का आकाश छूने की कोशिश करते हैं।
इस नए सफर का स्वागत करते हुए कवि के मन में आशा और उत्साह का संचार होता है। स्कूल का खुलना बच्चों और समाज दोनों के लिए एक नई ऊर्जा और उमंग लेकर आता है।
घंटी…The Symbol of School 😊
कल से फिर घंटी बजेगी…
रौनक लौटेगी बगिया में,
हरी-भरी फुलवारी होगी।
कोयल का कलरव गूंजेगा,
शोभित पुष्पित क्यारी होगी।
धूल हटेगी शब्द वर्ण की,
स्वर-व्यंजन की पंक्ति सजेगी।
कल से फिर घंटी बजेगी…
फिर से धक्का-मुक्की होगी,
तुतलाते बच्चे आएंगे।
कागज़ की फिर नाव बनेगी।
मन के लड्डू फिर खायेंगे।
छुट्टी में जो भरी कॉपियां,
उठती-पड़ती खूब जँचेंगी।
कल से फिर घंटी बजेगी…
….dAya_shArmA
‘आओ बच्चो! स्कूल चलें’
अब ज्ञान पथ पर आगे बढ़े
अब बीती छुट्टियां सर्दी वाली
अपनो के संग मस्ती वाली
अब नित नया कुछ सीखना है
जीवन को सफल बनाना है
शब्दों की अब माला गूथेंगे
नए नए हम वाक्य रचेंगे
सीखेंगे हम धारा प्रवाह पढ़ना
संख्याओं से दोस्ती करना
किताबों का भण्डार होगा
कविता-कहानियों का संसार होगा
कुछ किस्से तुम सुनाना
रंगों से संसार सजाना
गीत ज्ञान के गाकर हम आओ
प्रखर राजस्थान बनाएं हम
शालिनी चौहान
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
सोमलपुर, अजमेर
(राजस्थान)