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🌷🙏🙏🌷जय माँ शारदे 🌷🙏🙏🌷
(दिनांक – १२/०९/२०२५ – शुक्रवार)
💐 ‘कृष्णा स्मृति साहित्य सम्मान’💐
🌹🌹“सम्मान व्यक्ति का नहीं अपितु साहित्य के प्रति उसके अन्तर्मन में व्याप्त श्रद्धा तथा समर्पण का होता है।”.…..असीम शुक्ल।🌹🌹
🌷राष्ट्रीय कवि संगम महानगर देहरादून की मासिक काव्य गोष्ठी में राष्ट्रीय कवि संगम के संरक्षक श्री कृष्णदत्त शर्मा ‘कृष्ण’ जी की धर्मपत्नी स्मृति शेष श्रीमती कृष्णा जी की स्मृति में प्रतिवर्ष ‘कृष्णा स्मृति साहित्य सम्मान’ से एक साहित्यकार को सम्मानित किये जाने की श्रंखला में वर्ष २०२५ का “द्वितीय कृष्णा स्मृति साहित्य सम्मान” वरिष्ठ साहित्यकार-माहिया के कुशल रचयिता श्रेष्ठ कवि श्री पवन शर्मा जी को भेंट किया गया।
🌷सम्मान-समारोह एवं काव्य-गोष्ठी में अध्यक्षता देहरादून के वरिष्ठ साहित्यकार-नवगीत पुरोधा परम आदरणीय असीम शुक्ल जी ने की।
🌷मुख्य अतिथि के रूप में सहारनपुर के वरिष्ठ साहित्यकार-प्रसिद्ध गीतकार डाॅ० विजेन्द्रपाल शर्मा जी एवं विशिष्ट अतिथि आदरणीय श्याम सिंह ‘श्याम’ जी ने समृद्ध मंच पर विराजमान होकर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।
🌷कार्यक्रम में बिजनौर के लोककवि आदरणीय कर्मवीर सिंह जी एवं सहारनपुर के कवि श्री आदेश शर्मा जी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
🌷कार्यक्रम का कुशल संचालन राष्ट्रीय कवि संगम के क्षेत्रीय महामन्त्री राष्ट्रीय स्तर पर ओज के प्रसिद्ध कवि श्री श्रीकांत ‘श्री’ जी ने अपनी विशिष्ट शैली में किया।
🌷मंचासीन विद्वतजनों ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर एवं कवयित्री महिमा ‘श्री’ की सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।
🌷 तत्पश्चात मंचासीन साहित्यकारों एवं कृष्णदत्त शर्मा ‘कृष्ण’ जी तथा पारिवारिक सदस्यों ने श्री पवन शर्मा जी को पुष्प-माला, अंगवस्त्र, श्रीफल तथा सम्मान-पत्र भेंट कर सम्मानित किया।
🌷इस अवसर पर श्री कृष्णदत्त शर्मा ‘कृष्ण’ जी ने अपनी धर्मपत्नी ‘श्रीमती कृष्णा शर्मा जी’ को स्मरण करते हुए कहा कि
“मेरे साहित्यिक सृजन की प्रेरणा मेरी धर्मपत्नी ही हैं।”
उन्होंने काव्य-रचना के माध्यम से ‘कृष्णा जी’ के व्यक्तित्व का वर्णन करते हुए उनकी स्मृतियों का भावपूर्ण वर्णन किया।
🌷श्री असीम शुक्ल जी ने कहा कि
“सम्मान व्यक्ति का नहीं अपितु साहित्य के प्रति उसके अन्तर्मन में व्याप्त श्रद्धा तथा समर्पण का होता है।
आदरणीय शुक्ल जी ने श्री पवन शर्मा जी को आशीर्वाद रूपी भाव-शब्द भेंट करते हुए उनकी प्रसिद्धि की कामना की।
🌷डाॅ० विजेन्द्रपाल शर्मा जी ने सम्मानीय विभूति श्री पवन शुक्ल जी के उच्च साहित्यिक व्यक्तित्व को समक्ष रखते हुए “द्वितीय कृष्णा स्मृति साहित्य सम्मान” के लिए पवन शर्मा जी को सर्वश्रेष्ठ रूप से योग्य बताया। उन्होंने पवन शर्मा जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को अतुलनीय बताया।
🌷श्री श्याम सिंह ‘श्याम’ जी ने अपने प्रियजनों की स्मृति में साहित्यकारों का सम्मान करने की परम्परा को समाज में साहित्यिक अभिरुचि के विकास के लिए सहायक बताया।
🌷कार्यक्रम में विभिन्न साहित्यकारों ने “श्री कृष्णदत्त शर्मा ‘कृष्ण’ की साहित्यिक साधना की सराहना करते हुए कहा कि धर्मपत्नी की प्रेरक स्मृति से ही कृष्णदत्त शर्मा की साहित्यिक यात्रा संभव हो रही है।” वक्ताओं ने कहा कि लगभग उन्नीस पुस्तकों के लेखन-प्रकाशन का श्रेय जिस प्रकार ‘कृष्ण’ जी ने अपनी धर्मपत्नी को दिया है, वह सराहनीय है।
🌷सतेन्द्र शर्मा ‘तरंग’ ने सम्मानीय विभूति पवन शर्मा जी के व्यक्तित्व को इस प्रकार भाव-पुष्प अर्पित किया……
“मित्र हमारे प्रिय ‘पवन’, सम्मान मिला आज।
पाया है स्वभाव सरल, करें साहित्य काज।
पूँजी जिनकी सौम्यता, विनम्रता संस्कार,
मधुर मुस्कान से सदा, करें दिलों पर राज।।
🌷सम्मान-समारोह के साथ आयोजित काव्य-गोष्ठी में कविगण आदरणीय…….शिवमोहन सिंह, श्रीकांत ‘श्री’, आनन्द दीवान, जसबीर सिंह ‘हलधर’, शिवचरण शर्मा ‘मुज्तर’, सत्यप्रकाश शर्मा ‘सत्य’, शादाब अली मशहदी, दर्द गढ़वाली, डाॅ० राकेश बलूनी, सोमेश्वर पाण्डेय, नरेन्द्र दीक्षित, अवनीश मलासी, विजय आनन्द उनियाल, शिवशंकर कुशवाहा, सतेन्द्र शर्मा ‘तरंग’ एवं कवयित्रीयाँ आदरणीया……इन्दू अग्रवाल, महिमा ‘श्री’, कविता बिष्ट ‘नेह’, मणि अग्रवाल ‘मणिका’, मीरा नवेली, डाॅ० नीता कुकरेती, डाॅ० उषा झा ‘रेणु’, महेश्वरी कनेरी, कौशल्या अग्रवाल, संगीता शाह, नीरू गुप्ता ‘मोहिनी, निशा अतुल्य, झरना माथुर, डाॅ० क्षमा कौशिक, उषा झा ‘रेणु’, शोभा पराशर, संगीता जोशी कुकरेती, अनीता सोनी, स्वाति ‘मौलश्री’ तथा कृष्णदत्त शर्मा ‘कृष्ण’ जी की पोती सोनाक्षी ने काव्य-पाठ कर गोष्ठी को समृद्धि प्रदान की।
🌷इस अवसर पर श्री अनिल अग्रवाल, सन्तोष भूषण अग्रवाल, चन्द्र प्रकाश शर्मा, अजय कुमार गुप्ता, कृष्ण कुमार त्यागी, डाॅ० एस०के० त्यागी, एम० एस० सैनी, प्रनव वशिष्ठ, श्रीराम मिश्रा, पूनम मिश्रा, रेनू शर्मा, शान्ति शर्मा पत्नी श्री पवन शर्मा आदि सहित देहरादून के अनेक गणमान्यजन श्रोता के रूप में उपस्थित रहे।
🙏🇮🇳🙏राष्ट्र-गान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
…….सतेन्द्र शर्मा ‘तरंग’,
महामन्त्री,
राष्ट्रीय कवि संगम,
महानगर देहरादून इकाई।
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प्रतिक्रिया
आदरणीय ताऊ जी को नमन 🙏🏻 इतने सुंदर कार्यक्रम में मेरी भागीदारी रही ये मेरे लिए गर्व की बात है।
कल जीवन की कुछ शिक्षाएं मिलीं जो मेरे लेखन में मील का पत्थर साबित होंगी। आभार।
इतने बड़े कार्यक्रम को इतने सुंदर तरीके से अगर समय पर विराम कोई दे सकता था तो वो श्रीकांत ‘श्री’ ही दे सकते थे।
उम्र में छोटे, साहित्य में बड़े भाई की हर समय कार्य के प्रति निष्ठा मन को बहुत कुछ सोचने के लिए प्रेरित करती है। आभार!
इतने सुंदर गीतों का रसास्वादन करना व शुक्ल जी के उद्बोधन के साथ मुक्तक सोने पर सुहागा। हर पल साहित्यिक धर्म निर्वहन की प्रेरणा देते हमारे अग्रज वटवृक्ष की तरह हमें अपनी छाँव में रखते हैं। और हर पल मार्गदर्शक बनकर हमारी राहें प्रशस्त करते हैं। आभार।
पवन भैया को कृष्णा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया वो सच में एक सहित्यकार के लिए उत्कृष्ट सम्मान है जो दिलों में बसा होता है, आपके माहिये लाजवाब और मेरी लेखनी के इंस्पिरेशन। आभार।
उपस्थिति बहुत सुंदर रही रचनाएँ लाजवाब जहाँ शादाब भाई जैसे रचनाकार को सुनने को मिल जाये, सत्यप्रकाश जी के गीत स्वर लहरी बनकर गुंजित हों, डॉ. बलूनी, मुत्जर जी का गोष्ठी को एक दम ऊर्जावान बनाना ,हलधर जी का देश प्रेम मन को झकझोरता है और विचार करने को प्रेरित करता है, महिमा का प्रेम के प्रति समर्पण स्वर की मधुरता एक ऐसा वातावरण बनाते हैं कि श्रोता निःशब्द होकर वाह करना तक भूल जाता है, उषा झा जी का अमिट प्रेम, क्षमा जी की लेखन धर्मिता, शोभा का हिन्दी प्रेम, आदरणीय अतिथियों की रचनाएँ, माहिया, दोहा व NRI के दर्द का गीत मन को छू गया, संगीता शकुन, अनिता सोनी की लाजवाब ग़ज़ल।
मणि व कविता की भावपूर्ण रचनाएँ, मौलीश्री का इतनी बड़ी गोष्ठी में स्वयं को दृढ़ता के साथ स्थापित करना, झरना का गीत निर्झर बहती धार की तरह मन को मोह गई, हमेशा की तरह लाजवाब महेश्वरी कनेरी जी की रचना सब कुछ कह गईं। मीरा नवेली की नदी की व्यथा सोचने पर मजबूर करती है। शिव मोहन जी के गीत की चर्चा न हो और नीरू के दोहे तो कुछ अधूरा सा रह जायेगा, संगीता जी की रचना अपना विशेष स्थान रखती है।
भाभी जी द्वारा गाया गया भजन कर्णप्रिय था। सोनाक्षी का दादी के प्रति प्रेम अभिभूत कर गया। ताऊजी के लिए मैं निःशब्द हूँ। शब्द गौण हैं। बस उनका स्नेह मुझे सदा ही मिलता रहे।
इंदु दीदी के लिए क्या कहूँ उनका ॐ का नाद सृष्टि की प्रमाणिकता को बताता है । उनका रचना से पहले वातावरण को अनुकूल बनाना उनकी आध्यात्मिकता दर्शाता है। ऐसे लब्ध रचनाकार के लिए शब्द छोटे हो जाते हैं, उनका विशेष प्रेम मुझे मिलता है मैं सौभाग्यशाली हूँ। नीता दीदी सुरों की मल्लिका इस उम्र में भी जिस तरह स्वर उठा कर गीत गाती हैं मन भाव विभोर हो जाता है। लगता है सुनते ही जाओ।
संचालक जी का पैटन टैंक सच में हमें देश के प्रति समर्पण भाव सिखाता है । तरंग जी की बात न हो ये कैसे हो सकता है बहुत ही सुंदर भावों से भरी अभिव्यक्ति रही, आंनद जी जिन्होंने बेहतरीन क्षणिकाएं सुनाई एक से बढ़ कर एक। अब दर्द गढ़वाली क्या तंज कसा है रदीफ़ में कुत्ते शब्द का निर्वहन एक श्रेष्ठ गजलकार ही कर सकता है। सुंदर रचना। इस गोष्ठी की शुरुआत करने वाले भाई मलासी का शिव गौरा संवाद अद्भुत क्या कहूँ।
कल की गोष्ठी ने मेरे जीवन को एक नई दशा व दिशा दी। सभी का आभार
धन्यवाद , इसमें कुछ नाम छूट गए हैं क्षमाप्रार्थी हूँ उनकी रचनाएँ ध्यान हैं माँ को चरितार्थ करती भावुक रचना व पत्रकार जी की रचना बेहद सुंदर थी। आज स्वयं को रोक नहीं पाई यह सब लिखने से । मन के भाव हैं ताऊ जी की रचनाओं का असर दिख रहा है अपने बाँध तोड़ निरझर बहते बढते ही जा रहे हैं।
धन्यवाद।
सूचना स्रोत
श्री कृष्णदत्त शर्मा
प्रस्तुति