खेत-खलिहान से किताब तक

खेत-खलिहान से किताब तक

गुर्जर समाज का नया उत्कर्ष

प्रस्तावना

कभी शौर्य और शासन का प्रतीक रहा गुर्जर समाज, आधुनिक काल में “पिछड़ेपन” के ठप्पे से जूझता रहा। परंतु इस ठप्पे को तोड़ने की छटपटाहट अब समाज की बेटियों और बेटों के संघर्ष में साफ झलक रही है।
भारतीय सांख्यिकी सेवा (ISS) 2025 परीक्षा में गुर्जर समाज की बालिका कशिश का प्रथम स्थान प्राप्त करना और संभवतः इसी समाज से संबंध रखने वाले अंकित तंवर का शीर्ष दस में नौवाँ स्थान हासिल करना—यह केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक चेतना का बिगुल है।

शिक्षा में नई उड़ान

खेतिहर समाज का जीवन सदा परिश्रम और गणना पर आधारित रहा है। किसान बीज बोने से लेकर फसल काटने तक हर कदम पर धैर्य, योजना और मेहनत का अभ्यास करता है। यही गणनात्मक दृष्टि अब नई पीढ़ी शिक्षा और प्रतियोगिता की दुनिया में अपना रही है।

कशिश ने विद्यालय से लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय तक निरंतर उत्कृष्टता दिखाई और अंततः ISS परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया। दूसरी ओर, अंकित तंवर का नौवाँ स्थान भी इस बात का संकेत है कि यह समाज अब “पिछड़े” की परिभाषा को ध्वस्त कर रहा है।
दोनों की सफलता यह संदेश देती है कि गुर्जर समाज की युवा पीढ़ी केवल खेत की जड़ों से जुड़ी नहीं है, बल्कि शिक्षा और प्रशासन की नई शाखाएँ भी उगा रही है।

खेत से प्रयोग और शिक्षा तक संकल्प

गुर्जर समाज ने कृषि क्षेत्र में भी बार-बार अपना परचम फहराया है।

मंडौरा के वेदव्रत सिंह और कूड़ी के परमाल सिंह ने गन्ना उत्पादन में उत्तर प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया।

गढ़ क्षेत्र के एक गांव के गुर्जर कृषक ने आलू उत्पादन में कीर्तिमान रचकर यह साबित किया कि खेतिहर समाज प्रयोगशीलता में किसी से पीछे नहीं।

अब यही प्रयोगशीलता शिक्षा के क्षेत्र में भी देखने को मिल रही है। खेत में नई किस्म के बीज बोने वाले हाथ अब किताबों में नए विचार बो रहे हैं और परीक्षा कक्षों में सफलता की फसल काट रहे हैं।

समाज की असली जरूरत

शिक्षा ही प्राथमिकता

गुर्जर समाज के लिए आज सबसे बड़ी आवश्यकता है कि वह खेती जितनी ही प्राथमिकता शिक्षा को भी दे।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे तक पहुँचे।

कोचिंग व संसाधन सामूहिक प्रयासों से जुटाए जाएँ।

बेटियों को अवसर बिना किसी भेदभाव के दिया जाए।

प्रेरणादायी उदाहरण जैसे कशिश और अंकित की उपलब्धियों को समाज में प्रचारित किया जाए।

यह पीढ़ी अब समाज को यह विश्वास दिला रही है कि “हम केवल इतिहास के गौरवगान तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वर्तमान और भविष्य भी गढ़ेंगे।”

निष्कर्ष

कशिश और अंकित की उपलब्धियाँ खेतिहर समाज के लिए आशा के दीपक हैं। यह केवल परीक्षा में सफलता नहीं, बल्कि उस ठप्पे के खिलाफ संघर्ष है, जो समाज को “पिछड़ा” कहकर परिभाषित करता रहा।
आज यह युवा पीढ़ी घोषणा कर रही है कि –
“हम खेत से किताब तक और किताब से राष्ट्र निर्माण तक अपनी पहचान बनाएँगे।”

गुर्जर समाज की यह उड़ान आने वाले समय में शिक्षा और कृषि दोनों क्षेत्रों में नई ऊँचाइयों को छुएगी। यही समर्पण, यही श्रम और यही प्रतीज्ञा इस समाज को फिर से अग्रणी बनाएगी।

सूचना स्रोत
शब्दशिल्प

पाठ्य उन्नयन और विस्तार व प्रस्तुति 

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