कुरीति के खिलाफ संकल्प
चुड़ियाला गाँव का सामूहिक जागरण
(सामाजिक चेतना की समाजसेवी अमित बैसला की ऐतिहासिक पहल)
गाजियाबाद ज़िले के चुड़ियाला गाँव ने हाल ही में एक ऐसा कदम उठाया है जो समाज को कुरीतियों से मुक्त करने की दिशा में एक प्रेरणादायी उदाहरण बन गया है। गुर्जर समाज के सैकड़ों लोगों ने एकमत होकर यह संकल्प लिया कि वे अपने गाँव में वर्षों से चली आ रही एक कुरीति – रात्रि जागरण एवं उसमें किए जाने वाले भोज – को अब पूरी तरह बंद करेंगे।
प्रमुख संकल्प बिंदु
अब गाँव में बहन-बेटियाँ रात्रि जागरण जैसे आयोजनों के लिए नहीं जाएँगी।
बाबा जहारवीर की गोगा माँडी में प्रसादस्वरूप आने वाली दाल को केवल वही परिवार चाव में लेकर जाएगा, जिसके यहाँ से दाल आई है।
भोजन व्यवस्था व आयोजन अब सामूहिक प्रदर्शन का माध्यम नहीं रहेंगे।
इस निर्णय की अवहेलना करने वाले किसी भी व्यक्ति या परिवार का गाँव के स्तर पर बहिष्कार किया जाएगा।
पंचायत की प्रेरक भूमिका
यह निर्णय गाँव में बाबा जगधीर मुक़द्दम की अगुवाई में आयोजित एक विशेष पंचायत में लिया गया। पंचायत में गाँव के हर परिवार से सदस्य उपस्थित रहे। गाँव के प्रधान अमित बैसला ने सबको एक सूत्र में बाँधते हुए यह निर्णय सर्वसम्मति से पारित करवाया। पूर्व प्रधान, बीडीसी सदस्य, बुजुर्गों और युवाओं ने मिलकर यह ऐतिहासिक पहल की।
निर्णय के सूत्रधार
पंचायत की रूपरेखा मनोज भगत जी, सत्यप्रकाश जी और धर्मेंद्र जी ने बनाई और इसमें न केवल सामाजिक समरसता दिखाई दी, बल्कि नारी गरिमा और पारंपरिक अपव्यय पर भी प्रभावी अंकुश लगाने की भावना झलकी।
सार
यह केवल एक परंपरा का त्याग नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन है। चुड़ियाला गाँव ने दिखाया कि जब समाज एकजुट होकर ठान ले, तो कोई भी कुरीति अधिक दिन नहीं टिक सकती।
यह संकल्प नहीं, सामाजिक परिवर्तन की नींव है।
चुड़ियाला अब एक राह दिखाता गाँव है – जहाँ परंपरा और प्रगति साथ चलती हैं।