कविता
मौत से घबराना कैसा, आना है मौत को वो आएगी!
मौत बहादुर को एक दिन, कायर को रोज ही आएगी!!
मौत से घबराना—————-
मौत समय पर आएगी, मौत के मुँह में खुद मत जाओ!
दुनिया मे रोशनी फैलाओ, ना असमय स्वयं बुझ जाओ!!
जीवन से यदि खुद मुंह मोड़ा, वो कायरता कहलाएगी!!!
मौत से घबराना—————-
बदनामी से बचना चाहे, भले नाम नहीं तुम कर पाओ!
करे गर्व संतान न उन पर, कैसा भी कोई दाग लगाओ!!
यदि अनुकरणीय हुए कर्म आपके, पीढियाँ गुण गायेंगी!!!
मौत से घबराना—————-
जब निश्चित है मरना ही, तो कुछ ऐसा करके जाओ!
दुनिया पीछे चले तुम्हारे, अपने ऐसे पदचिन्ह बनाओ!!
मँजिल के लिए पुरुषार्थ करो, तो मिल ही वो जायेगी!!
मौत से घबराना—————-
सैनिक की तरह तो नहीं जरूरी, लिपट तिरंगे में आओ!
काम राष्ट्र हित के ही करना, कुछ भी जब करने जाओ!!
रक्षा में राष्ट्र की भागीदारी, वो आपकी मानी जायेगी!!!
मौत से घबराना—————-
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विचार

🇮🇳रमन “सिसौनवी”🇮🇳
प्रस्तुति