मुस्कान की राह

मुस्कान की राह

मुस्कान की राह

निवर्तमान महापौर सुशील जी का विश्लेषण

“मुस्कुराने की आदत डालिए, जिंदगी तो सबसे नाराज़ रहती है।”

चैट जीपीटी से तैयार सांकेतिक चित्र

भारत वर्ष में उत्तर प्रदेश राज्य के मेरठ महानगर के निवर्तमान मेयर सुशील जी की यह छोटी-सी पर महत्वपूर्ण सोच जीवन के गहरे अनुभवों से उपजी हुई लगती है। यह केवल शब्द नहीं, बल्कि उस व्यक्ति की मनःस्थिति का चित्र है जो दिन-रात लोगों के बीच रहते हुए भी अक्सर अकेलेपन और दबाव का बोझ महसूस करता है।

नेतृत्व की कुर्सी पर बैठा इंसान सबको खुश नहीं रख सकता। किसी की उम्मीद पूरी करते ही दूसरे की नाराजगी सामने आ जाती है। शायद इन्हीं अनुभवों से सुशील जी ने यह समझ लिया होगा कि जिंदगी में हमेशा शिकायतें रहेंगी—चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें।

फिर भी, इस नाराज जिंदगी से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है मुस्कुराना। मुस्कान वह ढाल है जो निराशा के तीरों को रोकती है और मन में उम्मीद का दीप जलाए रखती है। यह संदेश केवल उनका व्यक्तिगत अनुभव नहीं, बल्कि हम सबके लिए जीवन-दर्शन है –
👉 “दुनिया चाहे नाराज रहे, लेकिन हम मुस्कान से अपने मन को जीत सकते हैं।”

यही कारण है कि सुशील जी की यह पंक्ति हमें सिखाती है –
“खुशी की आदत डालिए, क्योंकि जिंदगी की शिकायतें कभी खत्म नहीं होंगी।”