नायक जी की कविता

नायक जी की कविता

🇮🇳 स्वच्छ विद्यालय स्वस्थ विद्यालय 🇮🇳

खुल गये स्कूल चहकी किलकारियाँ,
सब पढ़ने की मन में ठानकर आये हैं।
अपनी-अपनी कक्षा का पता ज्ञात कर,
अपनी ठोर रोक बस्ता जमाकर आये हैं।।

आँधियाँ लाईं कचरा कक्षा में छोड़ गईं।
तन-मन से मिलकर साफ करने में लगे हैं।
दरी-पट्टी झाड़-झाड़ सलीके से बिछाने की,
आपस में अपनी-अपनी बात रखने में लगे हैं।।

परिसर स्कूल का जिसमें हरी-हरी घास भरी।
बड़े-बड़े झाड़ के झुंड भी दिखाई देने लगे हैं।
करने लगे खुदाई खुरपी कुदाली और फावड़े से,
कचरा भर-भर कचरा-पात्र में डालने लगे हैं।।

स्वच्छ विद्यालय होगा स्वास्थ्य भी आम होगा,
स्वच्छ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क भी पायेगा।
शिक्षण के साथ खेलकूद नाच-गान भी होगा,
बालकों को पढ़ने में बड़ा आनन्द भी आयेगा।।

शिक्षक भी साथ-साथ बच्चों से मिला हाथ,
चारों और सब पर ध्यान रखना भी चाहिए।
कहीं-कहीं दल-दल कहीं बड़ा हुआ घास दल,
सांप बिच्छुओं से सावधान करना भी चाहिए।

‘नायक’ मिलकर सबको कर्तव्य निभाना होगा,
तभी पलटेगी हर विद्यालयों की बेहतर काया।
रंगीन पुताई चारों ओर अनमोल वचन लिखायें,
दूर-दूर सुगंध फेले हरियाली की शीतल छाया।।

“नायक” बाबू लाल नायक
प्राध्यापक
टोंक (राजस्थान)