भूमिका
आदर्श बच्चे कल के उज्ज्वल सितारे हैं और राष्ट्र के निर्माता भी। कवि रमन के अनुसार, आज के बच्चे असीम ऊर्जा, अटूट जिज्ञासा और करुणा से पूरित हृदय के प्रतीक हैं। ये मन से सुबह की ओस की तरह शुद्ध, नवाचार के बीज धारण किए हुए और सीमाओं से परे के सपने देखने का साहस लेकर चलते हैं। वे भारत के भविष्य की आशा हैं—एक ऐसे भविष्य की जहाँ ज्ञान दया से मिलता है, जहाँ एकता विविधता को पोषित करती है और जहाँ आकांक्षाएँ ऊँचाई तक पहुँचकर महानता की विरासत रचती हैं। अपनी मुस्कान, दृढ़ता और समर्पण के माध्यम से वे कवि की स्वर्णिम कल की दृष्टि को एक जीवंत वास्तविकता में बदलने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
नये दौर के हम बच्चे, दुनिया को स्वर्ग बनायेंगे।
देश धर्म की रक्षा को, साहिबजादे बन जायेंगे।।
नये दौर के हम बच्चे———-
स्वस्थ रहे इसकी खातिर, हम पर्यावरण बचायेंगे।
पौष्टिकता व खेलकूद से, खुद को स्वस्थ बनायेंगे।
स्वस्थ शरीर रहेगा तो, फिर जो चाहे कर जायेंगे।।
नये दौर के हम बच्चे———-
गुरुजन का सम्मान करेंगे, अच्छी शिक्षा पायेंगे।
अनुसंधान करेंगे नूतन, जीवन को सुगम बनायेंगे।
भारत की शिक्षा का डंका, दुनिया में बजवायेंगे।।
नये दौर के हम बच्चे———-
मात पिता ने शिक्षा दी जो, उस पर चलते जायेंगे।
झूठ,फरेब व भ्रष्टाचार की, मिलके बलि चढ़ायेंगे।
स्वर्णिम परिभाषाएं चरित्र की, गढ़ते हम जायेंगे।।
नये दौर के हम बच्चे———-
प्यार बिखेर दुनिया में, नफरत को दूर भगायेंगे।
नहीं युद्ध होगा पृथ्वी पर, शांतिदूत बन जायेंगे।
वसुधैव कुटुम्बकम को, हम चरितार्थ करायेंगे।।
प्रस्तुति