राजस्थान में डॉ. सूरज सिंह नेगी जी की पहल
“पाती अपनों को”
पत्राचार की परंपरा को नए आयाम देने वाली यह अनूठी मुहिम आज पूरे सात वर्ष पूर्ण कर चुकी है। इस अवसर पर एक गूगल मीट कार्यक्रम डॉ. नेगी जी के मार्गदर्शन में आयोजित किया जा रहा है।
“पाती अपनों को” की शुरुआत राजस्थान राज्य तक सीमित एक प्रयोग के रूप में हुई थी। इसका उद्देश्य था रिश्तों में संवाद को पुनर्जीवित करना, पत्र लिखने की उस परंपरा को पुनः जीवित करना, जो कभी भावनाओं के आदान-प्रदान का सबसे प्रभावी और सजीव माध्यम हुआ करती थी। आज जब संवाद मोबाइल मैसेज और सोशल मीडिया तक सीमित होकर सतही हो गया है, तब यह मुहिम हमें आत्मीयता, संवेदनशीलता और जुड़ाव की वास्तविक अनुभूति कराती है।
इन सात वर्षों में इस अभियान ने हजारों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। लिखी गई चिट्ठियाँ न केवल परिवार और दोस्तों के बीच आत्मीय रिश्तों को मजबूत करती हैं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने में भी विश्वास और अपनत्व की भावना को जगाती हैं।
अब समय आ गया है कि यह अभियान राजस्थान की सीमाओं से बाहर निकलकर पूरे भारतवर्ष में फैलाया जाए। क्योंकि रिश्तों की मजबूती, आत्मीय संवाद की ज़रूरत और संवेदनाओं का पुनर्जागरण किसी एक राज्य तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की आवश्यकता है। अगर हर घर, हर परिवार, हर मित्र समूह में “पाती अपनों को” जैसी परंपरा जीवित हो जाए, तो यह समाज में मानवीय मूल्यों और मानसिक संतुलन को गहराई से सुदृढ़ करेगी।
इसलिए, “पाती अपनों को” केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय सामाजिक आंदोलन है, जो हमें यह याद दिलाता है कि शब्दों में शक्ति है—और जब वे दिल से लिखे जाते हैं तो रिश्तों को जोड़ने और जीवन को संवारने का माध्यम बन जाते हैं।
कार्यक्रम नोटिस
कार्यक्रम
गूगल मीट – ‘पाती अपनों को’ मुहिम के सात वर्ष
आयोजक: डॉ. सूरज सिंह नेगी एवं प्रो. मीना सिरोला (शिक्षा संकाय, बनस्थली विद्यापीठ)
अवसर: पत्राचार परंपरा को पुनर्जीवित करने वाली मुहिम ‘पाती अपनों को’ की सातवीं वर्षगांठ
मुख्य बिंदु
* ‘पाती अपनों को’ की शुरुआत राजस्थान में एक प्रयोग के रूप में हुई।
उद्देश्य
* रिश्तों में आत्मीय संवाद को पुनर्जीवित करना।
* पत्र लेखन की पुरानी परंपरा को पुनः जीवित करना।
* आज के दौर में सतही संवाद की जगह यह मुहिम आत्मीयता, संवेदनशीलता और जुड़ाव की अनुभूति कराती है।
* सात वर्षों में अभियान ने सकारात्मक सामाजिक प्रभाव डाला।
* प्रतिभागियों ने इस मुहिम को राष्ट्रीय स्तर तक विस्तार देने की आवश्यकता पर बल दिया।
‘पाती अपनों को’ मुहिम के सात वर्ष
गूगल मीट से विशेष आयोजन
जयपुर/बनस्थली।
राजस्थान राज्य में डॉ. सूरज सिंह नेगी एवं उनकी धर्मपत्नी प्रो. मीना सिरोला (शिक्षा संकाय, बनस्थली विद्यापीठ) की अनूठी पहल ‘पाती अपनों को’ ने पत्राचार की परंपरा को नए आयाम देते हुए सात वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर एक विशेष गूगल मीट कार्यक्रम नेगी दंपती के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में प्रतिभागियों को इस मुहिम की पृष्ठभूमि और उद्देश्यों से अवगत कराया गया। बताया गया कि ‘पाती अपनों को’ की शुरुआत राजस्थान में एक प्रयोग के रूप में हुई थी, जिसके पीछे मूल उद्देश्य रिश्तों में संवाद को पुनर्जीवित करना और पत्र लेखन की परंपरा को पुनः जीवित करना था। वह परंपरा, जो कभी भावनाओं के आदान-प्रदान का सबसे सजीव माध्यम हुआ करती थी, आज मोबाइल संदेशों और सोशल मीडिया के दौर में लगभग खोती जा रही है।
प्रतिभागियों ने माना कि इस अभियान ने सात वर्षों में अपने उद्देश्यों की दिशा में उल्लेखनीय सफलता पाई है। चिट्ठियों के आदान-प्रदान ने न केवल परिवार और मित्रों के रिश्तों को मजबूत किया है, बल्कि समाज में विश्वास और अपनत्व की भावना को भी जागृत किया है।
सभी ने इस बात पर सहमति जताई कि अब समय आ गया है कि ‘पाती अपनों को’ मुहिम को राजस्थान से बाहर निकालकर पूरे देश में फैलाया जाए, ताकि यह एक राष्ट्रीय सामाजिक आंदोलन का रूप लेकर मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं को मजबूती प्रदान कर सके।
“पाती अपनों को” मुहिम आठवें वर्ष में
बाईसवीं पाती प्रतियोगिता की घोषणा
वनस्थली विद्यापीठ, टोंक।
पत्राचार की परंपरा को जीवित रखने वाली अनूठी पहल “पाती अपनों को” मुहिम अपने आठवें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। इस अवसर पर मुहिम के अंतर्गत बाईसवीं पाती प्रतियोगिता की घोषणा की गई है। इस बार प्रतियोगिता का विषय है —
“पेड़ लगाएं, पेड़ बचाएं।”
पर्यावरण असंतुलन की गंभीर समस्या आज विश्व के हर जीव को प्रभावित कर रही है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने खेतों की हरियाली को कंक्रीट के जंगलों में बदल दिया है। आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ शेष रहे, इसके लिए केवल चिंतन नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से इस बार प्रतियोगिता का आह्वान किया गया है।
इस प्रतियोगिता के प्रतिभागी केवल स्कूली बच्चे होंगे — वे बच्चे जो देश के भावी कर्णधार हैं और जो अपने परिजनों को एक पाती लिखकर संदेश देंगे कि पेड़ लगाएं भी और पेड़ बचाएं भी।
प्रतियोगिता की प्रमुख शर्तें :
केवल स्कूली छात्र ही भाग ले सकेंगे।
अधिकतम शब्द सीमा 500।
पत्र हाथ से लिखा हुआ हो और केवल कागज के एक तरफ लिखा जाए।
पत्र केवल डाक से ही स्वीकार्य होंगे।
मूल्यांकन भाषा, विषय-वस्तु और प्रभावशीलता के आधार पर 3 सदस्यीय टीम द्वारा किया जाएगा।
स्कूल स्तर पर प्रतियोगिता आयोजित कर श्रेष्ठ पांच पत्र ही डाक से भिजवाए जाएंगे।
प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहने वाले प्रतिभागियों को क्रमशः ₹5100, ₹3100 और ₹2100 की राशि एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किए जाएंगे।
सर्वाधिक संख्या में बच्चों से पत्र लिखवाने वाले विद्यालय प्रमुख को ₹3100 व सम्मान पत्र दिया जाएगा।
अंतिम तिथि : 15 अक्टूबर 2025।
पत्र भेजने का पता :
डॉ. सूरज सिंह नेगी, केयर ऑफ डॉ. मीना सिरोला,
413 रामानुजन निवास, वनस्थली विद्यापीठ, निवाई,
टोंक, राजस्थान – 304022
मुहिम का उद्देश्य है कि पत्र लेखन की परंपरा के साथ-साथ सामाजिक सरोकार भी सशक्त हों। बच्चों के माध्यम से परिजनों तक पहुंचने वाला यह संदेश न केवल रचनात्मक अभिव्यक्ति का अवसर देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के दायित्व को भी मजबूत करेगा।
सूचना स्रोत
डॉ सूरज सिंह नेगी जी
पाठ्य उन्नयन और विस्तार
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