पुरुष का विलुप्त होना 
मौसम सिंह

पुरुष का विलुप्त होना 

पुरुष का विलुप्त होना

एक वैज्ञानिक आशंका

आपको यह सुनकर हंसी आएगी कि एक दिन पुरुष धरती से विलुप्त हो जाएगा। आप सोचेंगे — यह कौन-सी जैविक अवधारणा है! यह बात आपको परियों की कहानी जैसी लगेगी। परंतु यह वास्तव में हंसी-मजाक का विषय नहीं है। यदि आप अपने आसपास के आंकड़े जुटाकर देखें, तो पाएंगे कि लड़कियों की जन्म दर लड़कों की तुलना में अधिक हो रही है। इस बात को गंभीरता से लेने के पुख्ता और पर्याप्त कारण हैं।

आप यह तो जानते ही हैं कि लिंग निर्धारण में स्त्री की कोई भूमिका नहीं होती, क्योंकि उसके पास दो समान XX क्रोमोसोम होते हैं, जिनसे 100% स्त्रीलिंग का निर्धारण होता है। दूसरी ओर पुरुष के पास XY क्रोमोसोम होते हैं, जिनमें से ‘Y’ क्रोमोसोम ही पुरुष लिंग निर्धारण करता है। औसतन देखा जाए तो पुरुष से 50% संभावना पुरुष शिशु के जन्म की रहती है, जबकि स्त्री से केवल स्त्रीलिंग निर्धारण ही संभव है। इसी आनुवंशिक अनुपात के कारण लड़कियों के जन्म की संभावना कुछ अधिक होती है।

चिंता का विषय यह है कि ‘Y’ क्रोमोसोम, जो पुरुष लिंग निर्धारण करता है, संख्या में घट रहा है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि ‘Y’ क्रोमोसोम ने अपने लगभग 900 जीनों में से 845 जीन खो दिए हैं, अर्थात केवल लगभग 55 जीन अब शेष हैं। अनुमान है कि प्रत्येक दस लाख वर्ष में ‘Y’ क्रोमोसोम लगभग पाँच जीन खो देता है।

‘X’ क्रोमोसोम समजातीय (homologous) होता है, इसलिए एक ‘X’ क्रोमोसोम दूसरे ‘X’ क्रोमोसोम के DNA की मरम्मत कर सकता है। लेकिन ‘Y’ क्रोमोसोम गैर-समजातीय (non-homologous) होने के कारण ऐसा नहीं कर पाता, क्योंकि उसका कोई जोड़ा नहीं होता। परिणामस्वरूप, ‘Y’ क्रोमोसोम धीरे-धीरे अपने जीन खोता जा रहा है।

ताज़ा अनुसंधानों से यह भी ज्ञात हुआ है कि ‘SRY’ जीन (जो पुरुष लिंग निर्धारण के लिए उत्तरदायी है) अब ‘Y’ क्रोमोसोम से ‘X’ क्रोमोसोम की ओर स्थानांतरित (shift) हो रहा है। इस परिवर्तन से अनुवांशिक विसंगतियाँ (genetic abnormalities) उत्पन्न हो रही हैं, जिसके कारण कुछ स्त्री-पुरुष संतान उत्पत्ति में असमर्थ होते जा रहे हैं।

हालाँकि आयुर्वेद का मानना है कि यदि पुरुष मीठा अधिक पसंद करें और उसका सेवन करें, तो पुरुष लिंग प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है। कहा गया है कि यदि स्त्री-पुरुष दोनों अम्लीय (acidic) खाद्य पसंद करते हैं तो लड़की, और यदि दोनों क्षारीय (alkaline) भोजन पसंद करते हैं तो लड़का होने की संभावना अधिक होती है। पारंपरिक रूप से माना गया है कि स्त्रियों को खट्टा तथा पुरुषों को मीठा स्वाद अधिक प्रिय होता है — परंतु आधुनिक विज्ञान इस सिद्धांत को स्वीकार नहीं करता।

इसी प्रकार महान यूनानी दार्शनिक अरस्तु का मत था कि — “स्त्री की शीत प्रकृति तथा पुरुष की उष्ण प्रकृति पुरुष लिंग निर्धारण में सहायक होती है।” लेकिन आधुनिक विज्ञान इस मत को भी खारिज करता है।

फिर भी, यदि इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकला, तो यह कहना अनुचित नहीं होगा कि बहुत लंबे काल के पश्चात् पुरुष के विलुप्त होने की पूरी-पूरी संभावना है।

सूचना स्रोत

मौसम सिंह

रामपुर मनिहारान

प्रस्तुति