काश! खुद को देख पाते
पुस्तक का विमोचन
“व्यक्ति के जीवन में पुस्तकें उसकी सर्वश्रेष्ठ दोस्त हैं!”
डॉ हरिओम पंवार.
मेरठ, 18 मई 2025
कहते हैं कि
“पुस्तकें व्यक्ति की सबसे अच्छी मित्र हैं। जो उसे अपने साथ साथ पूरी दुनिया की सैर कराती हैं। मुझे खुशी है कि हमारे मेरठ की वरिष्ठ कवयित्री रेखा गिरीश जी की एक नयी किताब का आज विमोचन हो रहा है। मैं उन्हें बहुत बधाई देता हूँ।”
उपरोक्त विचार वरिष्ठ कवि डाक्टर हरीओम पंवार ने व्यक्त किए। डाक्टर पंवार मेरठ में होटल हारमनी इन में कवयित्री रेखा गिरीश द्वारा लिखी पुस्तक ‘काश! खुद को देख पाते’ का विमोचन करते समय बोल रहे थे।
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथिगण श्री अरूण गोविल, सांसद, श्री राजेन्द्र अग्रवाल जी, पूर्व सांसद, कार्यक्रम के मार्गदर्शक डॉ. हरिओम पंवार, श्रीमती अन्जू जैन और श्री गिरीश कुमार जी द्वारा दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती पर पुष्पार्पण एवं मां शारदे की वन्दना से हुआ। मुख्य अतिथि सांसद श्री अरूण गोविल ने पुस्तक के प्रकाशन पर रेखा गिरीश को शुभकामनांए दी तथा पुस्तकों के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किये। विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद श्री राजेन्द्र अग्रवाल ने पुस्तक प्रकाशन पर अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि ऐसी पुस्तकें समाज को न सिर्फ राह दिखाती है वरन् उनके भीतर आयी जड़ता को भी दूर करने का भी एक सशक्त माध्यम बनती है। गाँधी जी कहा करते थे कि विचारों के युद्ध में पुस्तकें ही अस्त्र है। हमारा प्रयास, पुस्तकों के प्रति सदैव जुड़ाव बना रहे, ऐसा होना चाहिए। कभी-कभी पुस्तकों के माध्यम से ही हमें बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान मिल जाता है। इस अवसर पर रेखा गिरीश ने अपनी पुस्तक से ही कुछ छन्द और कविता प्रस्तुत की है। उन्होंने कहां
मुख पर मलिनता भव्यता इसमें कहाँ है।
जो मिली भगवान से थी सत्यता इसमें कहाँ है।
रूप अपना ईश ने कैसे सजाया देख पाते। काश खुद को देख पाते।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार श्री गोविन्द रस्तौगी ने न सिर्फ रेखा गिरीश की पुस्तक से कुछ अंश प्रस्तुत किये वरन् अपनी कविताओं के माध्यम से भी अपने विचार प्रेषित करते हुये लेखिका को बधाई दी। कलमपुत्र के सम्पादक श्री चरण सिंह स्वामी ने पुस्तक की समीक्षा करते हुये पुस्तक को श्रेष्ठ तथा समीचीन पुस्तक बताया तथा अपनी बात के समर्थन में पुस्तक से ही अनेक छन्दों व कविताओं का वाचन किया। इस अवसर पर कवियों ने अपनी श्रेष्ठ कविताओं का वाचन किया। कार्यक्रम का संचालन कवि सुमनेश सुमन ने किया।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुये श्री गिरीश कुमार ने कहा कि हमारे परिवार के लिये आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण बन गया है। जहां एक ओर हमारे परिवार की सदस्या श्रीमती रेखा जी की सद्य प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण हो रहा है। वही हमें अपने अतिथियों के स्वागत का अवसर भी मिला है। हम सर्दव आपके आशीर्वाद के ऋणी रहेंगे। कार्यक्रम में श्रीमती नीलम मिश्रा तरंग, श्रीमती सुष्मा सवेरा, श्री मनोज द्विवेदी, सुश्री दीपा गुप्ता का सहयोग रहा अन्त में श्री आयुष कुमार ने सभी का आभार व्यक्त किया।
कवियों ने काव्यपाठ करते हुये कहा
गीत है अनुराग मन का भावना का सार स्वर है।
शब्द का अस्तित्व अक्षय गीत गुंजन में मुखर है।।
गोविंद रस्तौगी
शिक्षा दो संस्कार दो सद्आचरण को दो,
अपनी परंपरा का इन्हें व्याकरण तो दो।
अवधेश बनके देखिए एक बार ही सही,
बन जायेंगे ये राम भी वातावरण तो दो ।।
डॉ० ईश्वर चन्द्र गम्भीर
सत्ताधारियों पे अब हमको भरोसा नहीं,
मुठठी में हमारे दिनमान होना चाहिए।
जहाँ जहाँ गिरी है शहीदों के लहू की बूंद,
वहीं पे तिरंगे का निशान होना चाहिए।।
डॉ० रामगोपाल भारतीय
यह बसंती चोला अपना तू ही अपने पास रखना,
शीघ्र बहन को अपनी कलाई पत्नी को निज भाल दूंगा,
और लौटूंगा जीवित अरि से जीतकर तुम आस रखना
शीश माता के, चरण में डाल दूंगा
अब किसी प्रकार भी विश्वास पर खंजर ना होगा,
प्रश्न होगा बस हमारा शत्रु पर उत्तर ना होगा
सत्यपाल सत्यम
आज की शाम खुशनुमा कर लें, एक दूजे से कुछ बयां कर लें।
यूं न उड़ते रहें हवाओं में, रख जमीं पर कदम निशां कर लें।।
कवयित्री रेखा गिरीश
अमित शौर्य संग अमिट, पराक्रम का है मन से वंदन।
भारत के जांबाज प्रहरियों, अभिनंदन, अभिनंदन ।।
कवयित्री कोमल रस्तोगी
मेरे तन मन की मिट्टी में, प्राण बनकर बसी है मां।
नमक जैसी जरूरी भी, कभी गुड़ की डली है मां।।
डॉ० अंजू जैन
भारत मां के बेटे तेरा मान मसल कर रख देंगे।
दुनिया में पकिस्तानी, पहचान बदल कर रख देंगे।।
कवि सुमनेश सुमन
हमारे वरिष्ठ संवाददाता
कवि सुमनेश ‘सुमन’
9997091719
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