
हित संरक्षक
कोई दीवाना कहता है, कोई मस्ताना कहता है।
कोई परवाना कहता है, कोई पैमाना कहता है।
मैं ना ही तो दीवाना हूँ, मैं ना ही मस्ताना हूँ,
मैं बच्चों का मार्गदर्शक हूँ, यह जमाना कहता है।।
रचनाकार
मुकेश कुमावत ‘मंगल’
टोंक (राजस्थान)
श्रोताओं का आभार
हम कवि नहीं, हमें कवि तो आप लोग ही बनाते हो।
आप हमें उत्साह देने हेतु ही तो, तालियाँ बजाते हो।
हम आपका यह अहसान कभी नहीं चुका पायेंगे,
क्योंकि सत्य है कि आप ही हमें मंचों के कवि बनाते हो।
रचनाकार
मुकेश कुमावत मंगल
टोंक (राजस्थान)
प्रस्तुति