सुरक्षा ही बचाव
Ramanpal Singh Ji

सुरक्षा ही बचाव

साक्षात्कार

बैंकिंग क्षेत्र में साइबर फ्रॉड और बचाव

भूमिका

आज के डिजिटल युग में जहाँ एक ओर बैंकिंग सेवाएँ घर बैठे आसान हो गई हैं, वहीं दूसरी ओर साइबर फ्रॉड का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। आम नागरिक जब अपने खाते, एटीएम, यूपीआई या नेटबैंकिंग का उपयोग करते हैं तो थोड़ी-सी लापरवाही उनकी मेहनत की कमाई को खतरे में डाल सकती है। इसी गंभीर मुद्दे पर चर्चा करने के उद्देश्य से पुलिस प्रशिक्षक रमनपाल सिंह जी ने एक विशेष बातचीत का आयोजन किया। उन्होंने बैंक प्रबंधक गौरव त्यागी से सीधे संवाद के माध्यम से उन समस्याओं और दिक्कतों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया, जिनसे आम लोग बैंकिंग लेन-देन के दौरान जूझते हैं। यह इंटरव्यू न केवल साइबर फ्रॉड की जटिलताओं को समझने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि सामान्य नागरिकों के लिए व्यवहारिक और सरल बचाव उपायों की ओर भी मार्गदर्शन करता है।

साक्षात्कारकर्ता : रमनपाल सिंह (सेवानिवृत्त पुलिस

अधिकारी)

Ramanpal Singh Ji

उत्तरदाता : गौरव त्यागी (बैंक मैनेजर)

बीटा 1 ग्रेटर नोएडा (वरिष्ठ नागरिक ब्रांच)

आईसीआईसीआई

बातचीत

प्रश्न १. बैंकिंग क्षेत्र में सबसे सामान्य साइबर फ्रॉड कौन-कौन से हैं?

उत्तर: “सबसे सामान्य फ्रॉड में फिशिंग ईमेल व एसएमएस, फोन के जरिए ओटीपी/पासवर्ड पूछना, एटीएम/डेबिट कार्ड क्लोनिंग, नकली मोबाइल एप्लिकेशन के जरिये लॉगिन जानकारी चोरी करना, तथा इंटरनेट बैंकिंग के जरिए अनधिकृत लेन-देन शामिल हैं।”

निदान: ग्राहकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए कि बैंक कभी भी फोन, मेल या एसएमएस से पासवर्ड या ओटीपी नहीं मांगता।

प्रश्न २. फिशिंग और विशिंग (Phishing & Vishing) फ्रॉड से ग्राहक कैसे प्रभावित होते हैं?

उत्तर: “फिशिंग में नकली वेबसाइट या ईमेल लिंक से ग्राहक की बैंकिंग जानकारी चोरी की जाती है। विशिंग में कॉल करके खुद को बैंक अधिकारी बताकर पासवर्ड/ओटीपी हासिल किया जाता है।”

निदान: लिंक क्लिक करने से पहले यूआरएल की जांच करें और कॉल पर किसी को भी व्यक्तिगत बैंकिंग जानकारी न दें।

प्रश्न ३. एटीएम और डेबिट कार्ड क्लोनिंग कैसे होती है?

उत्तर: “फ्रॉडस्टर एटीएम मशीन पर स्किमिंग डिवाइस लगाकर कार्ड की जानकारी कॉपी कर लेते हैं और छुपे कैमरे से पिन कैप्चर करते हैं। इससे नकली कार्ड तैयार कर खाते से पैसे निकाले जाते हैं।”

निदान: ग्राहक एटीएम का उपयोग करते समय कीबोर्ड ढककर पिन डालें और संदिग्ध एटीएम मशीन से बचें।

प्रश्न ४. UPI और मोबाइल बैंकिंग के जरिए किस तरह के फ्रॉड होते हैं?

उत्तर: “फर्जी ऐप डाउनलोड करवाकर या स्क्रीन शेयरिंग के जरिए फ्रॉडस्टर ग्राहक का पूरा कंट्रोल ले लेते हैं। साथ ही “Request Money” फीचर का दुरुपयोग कर ग्राहक को झांसा देकर पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं।”

निदान: सिर्फ आधिकारिक प्ले-स्टोर/एप-स्टोर से ही ऐप डाउनलोड करें और “पैसे मंगाने वाले रिक्वेस्ट” को बिना जांचे स्वीकृत न करें।

प्रश्न ५. इंटरनेट बैंकिंग में क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?

उत्तर: “सार्वजनिक वाई-फाई पर बैंकिंग न करें, समय-समय पर पासवर्ड बदलें, टू-फैक्टर ऑथेन्टिकेशन का उपयोग करें और ब्राउज़र में पासवर्ड सेव न करें।”

निदान: ग्राहक को हर समय व्यक्तिगत लॉगिन जानकारी गोपनीय रखनी चाहिए और अपने खाते की नियमित रूप से जांच करनी चाहिए।

प्रश्न ६. ग्राहक को साइबर फ्रॉड से बचाने के लिए बैंक कौन-सी पहल करता है?

उत्तर: “बैंक समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाता है, एसएमएस/ईमेल अलर्ट भेजता है, सुरक्षित सर्वर और एन्क्रिप्शन तकनीक का प्रयोग करता है और संदिग्ध लेन-देन पर तुरंत अलर्ट जारी करता है।”

निदान: ग्राहकों को इन अभियानों में भाग लेना चाहिए और बैंक के संदेशों को गंभीरता से लेना चाहिए।

प्रश्न ७. यदि किसी ग्राहक के साथ साइबर फ्रॉड हो जाए तो उसे तुरंत क्या करना चाहिए?

उत्तर: “ग्राहक को तुरंत बैंक की हेल्पलाइन या नजदीकी शाखा में सूचना देनी चाहिए, इंटरनेट/मोबाइल बैंकिंग को अस्थायी रूप से ब्लॉक करवाना चाहिए और साइबर क्राइम पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करनी चाहिए।”

निदान: समय पर की गई सूचना से धनराशि वापस पाने की संभावना अधिक रहती है।

प्रश्न ८. सोशल मीडिया का साइबर फ्रॉड में क्या रोल है?

उत्तर: “फ्रॉडस्टर सोशल मीडिया प्रोफाइल से व्यक्तिगत जानकारी लेकर सुरक्षा सवालों के उत्तर निकाल लेते हैं या नकली प्रोफाइल बनाकर भरोसा जीतते हैं।”

निदान: ग्राहकों को अपनी निजी जानकारी सार्वजनिक रूप से साझा करने से बचना चाहिए और संदिग्ध फ्रेंड रिक्वेस्ट न स्वीकारें।

प्रश्न ९. क्या ग्रामीण और शहरी ग्राहकों में साइबर फ्रॉड के प्रति जागरूकता का फर्क दिखाई देता है?

उत्तर: “जी हाँ, शहरी ग्राहक अपेक्षाकृत अधिक सतर्क रहते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण वे जल्दी शिकार हो जाते हैं। इसलिए बैंक विशेष रूप से ग्रामीण ग्राहकों के लिए प्रशिक्षण और जागरूकता शिविर आयोजित करता है।”

निदान: ग्रामीण ग्राहकों को सरल भाषा में डिजिटल बैंकिंग के सुरक्षित नियम समझाना बेहद जरूरी है।

प्रश्न १०. साइबर फ्रॉड रोकने के लिए ग्राहकों को आपकी अंतिम सलाह क्या है?

उत्तर: “सतर्कता ही सुरक्षा है।” कभी भी अपनी बैंकिंग जानकारी साझा न करें, किसी भी संदिग्ध संदेश/कॉल पर विश्वास न करें और किसी भी समस्या पर तुरंत बैंक से संपर्क करें।

निदान: “जागरूक और सतर्क रहकर ही ग्राहक अपने धन को साइबर अपराधियों से बचा सकता है।”

आइडिया 💡

शब्दशिल्प

पाठ्य विस्तार

प्रस्तुति