समाज को समझना ही होगा
वर्तमान परिवेश में ऐसा प्रतीत होता है कि सभी क्षेत्र क्या विशेषज्ञ तक भी अपने असली मकसद से भटकते जा रहे हैं। हर तरफ राजनीति का प्रभाव दिख रहा है। समाज में चहुं ओर राजनीति की छाया पड़ गई है, जिसके परिणामस्वरूप अनेकानेक आवश्यक काम अपने मार्ग से हट गए प्रतीत होते हैं। समाजसेवा कभी एक ऐसा क्षेत्र था जिसमें निस्वार्थ भाव से सिर्फ इंसानियत के लिए काम किए जाते थे। लेकिन राजनीति ने इसको भी प्रभावित किया है। सच्चे समाजसेवियों के गंभीर प्रयासों तक को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है।
इसलिए यह समझना सभी के लिए ज़रूरी है कि राजनीति का असल मकसद शासन को सुचारु तरीके से चलाना है, और वह परम आवश्यक भी है। लेकिन समाज के प्रत्येक क्षेत्र पर हावी राजनीति समाज की व्यवस्था को नहीं बल्कि लोगों की सोच को नियंत्रित करने लगती है। और! यही वर्तमान की सबसे बड़ी चिंता भी है।
समाज को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है?
ऐसा करने के लिए हर क्षेत्र की बागडोर ऐसे कुशल लोगों के हाथ में होनी चाहिए जो समझदार, ईमानदार, जिम्मेदार और संबंधित क्षेत्र के असली जानकार हों।
उदाहरण के लिए समाज की सेवा वह करे जो लोगों की भावनाओं को समझता हो। इसी क्रम में धर्म के काम में वही आगे आए जो सच में आध्यात्मिक हो और नैतिक सोच रखता हो।
इसलिए हमें आज ऐसी नई सोच की ज़रूरत है जो राजनीति से ऊपर उठकर स्वच्छ, उद्देश्यपूर्ण और नैतिक राह समाज को दिखाए।
यह सोच ही भावी पीढ़ी को सही दिशा दे सकती है। उन्हें यह समझाना ज़रूरी है कि असल बदलाव शासन से नहीं, सेवा से आता है और सिर्फ नारे लगाने से नहीं, बल्कि सच्ची निष्ठा से आता है।
अब समय है सही रास्ता चुनने का
यदि हम चाहते हैं कि समाज फिर से अपने सुधारवादी मार्ग पर लौटे और सेवा को सर्वोपरि रखा जाए, तो ज़रूरी है कि हर क्षेत्र अपने असली काम, उसूल और मकसद के साथ ठीक से काम करे।
यह निर्णय हमें ही लेना होगा — और हमारा यही निर्णय तय करेगा कि हमारा समाज भविष्य में किस स्वरूप में होगा।
उलझन सुलझन और जनचेतना मिशन की पहल
आइडिया
श्री (इं.) सत्यपाल सिंह जी
पाठ्य उन्नयन
चैट जीपीटी
प्रस्तुति