स्कूल 🏫 प्रशासकों के लिए विशेष

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🌟 छोटे गाँव से स्वर्ण तक: पूजा सिंह की कहानी

विद्यालयों में नई सोच और नई उड़ान का प्रतीक

विद्यालयों की भूमिका केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं

आज के समय में विद्यालय केवल शैक्षणिक ज्ञान का केंद्र नहीं हैं, बल्कि चरित्र निर्माण और आत्मबल जाग्रत करने वाले संस्थान हैं। जब हम विद्यार्थियों को प्रेरणा देने की बात करते हैं, तो जरूरी होता है कि हम ऐसे उदाहरणों को साझा करें जो यथार्थ हों, धरातल से जुड़े हों, और संघर्ष के माध्यम से सफलता तक पहुँचे हों।

पूजा सिंह की कहानी ठीक ऐसा ही एक उदाहरण है – सपनों, संघर्ष और संकल्प की सच्ची मिसाल।

🔹 एक साधारण पृष्ठभूमि, असाधारण सोच

हरियाणा के गाँव बोस्ती की रहने वाली पूजा सिंह, एक आम ग्रामीण परिवेश से आईं। ऐसे माहौल से जहाँ लड़कियाँ अक्सर सपनों से पहले जिम्मेदारियों से बंध जाती हैं, पूजा ने परंपरा से अलग सोचने और करने का साहस दिखाया।

उनके पिता हंसराज स्वयं खिलाड़ी बनना चाहते थे, पर आर्थिक मजबूरी ने उन्हें राजमिस्त्री बना दिया। पर उन्होंने अपनी बेटी के लिए सपनों की खिड़की बंद नहीं होने दी। यह अपने आप में एक विद्यालयी संदेश है – परिवार और विद्यालय जब एक दिशा में सोचते हैं, तो असंभव भी संभव होता है।

🔹 शिक्षा का नया आयाम है आत्मविकास और आत्मबल

पूजा की शुरुआती रुचि योग और जिमनास्टिक में थी। लेकिन 2018 में कोच बलवान सिंह पात्रा से उनकी मुलाकात ने उन्हें हाई जंप की दिशा में मोड़ा। न संसाधन थे, न सुविधाएं, पर सीखने का जज़्बा और मेहनत की भूख उन्हें आगे बढ़ाती रही।

उन्होंने पराली के बोरे, रबर टायर और बांस के खंभों से खुद का अभ्यास केंद्र बनाया। यह वह बिंदु है, जहाँ विद्यालयों को यह समझना चाहिए कि संसाधन ज़रूरी हैं, पर उनसे भी ज़रूरी है प्रेरणा और मार्गदर्शन।

🔹 नियमितता और अनुशासन: विद्यालय संस्कृति की रीढ़

पूजा का अभ्यास केवल कूदना नहीं था। यह समय प्रबंधन, अनुशासन और आत्मनियंत्रण का गहरा अभ्यास भी था। उनकी दिनचर्या:

* सुबह 5 बजे उठकर दौड़ और बॉडी वेट एक्सरसाइज

* ध्यान (मेडिटेशन) और ब्रीदिंग अभ्यास  मानसिक संतुलन के लिए

* घर के कामों को शारीरिक प्रशिक्षण में बदलना।

* पौष्टिक और नियंत्रित भोजन – बिना किसी फैंसी डाइट के।

यह सब विद्यालय प्रशासन और Whole Child Development के लिए अनुकरणीय उदाहरण है।

🔹 उपलब्धियाँ

🥇 एशियाई अंडर-18 चैंपियनशिप 2023 – स्वर्ण पदक (1.82 मीटर)

🥈 एशियाई अंडर-20 चैंपियनशिप 2023 – रजत पदक

🥉 राष्ट्रमंडल युवा खेल 2023 – कांस्य पदक

🥇 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 – स्वर्ण पदक (भारत को 25 वर्षों बाद)

यह न केवल खेल की जीत है, बल्कि विद्यालयी छात्रों के लिए यह सीख है कि लगातार प्रयास और खुद पर भरोसे से कैसे ऊँचाइयों का स्पर्श किया जा सकता है।

🔹प्रेरणा का स्रोत: केवल बच्चों के लिए नहीं, शिक्षकों के लिए भी

पूजा का यह सन्देश विद्यालयों के लिए भी एक आंतरिक मूल्य बन सकता है:

“अगर रास्ते मुश्किल हों तो रुकना नहीं चाहिए, क्योंकि सफलता उन्हीं को मिलती है जो सपनों को सच करने का हौसला रखते हैं।”

विद्यालयों के लिए यह प्रेरणा बन सकती है:

प्रार्थना सभा का विषय

विशेष पोस्टर या notice board content।

PTM में अभिभावकों को दिए जाने वाले मोटिवेशनल उदाहरण।

गर्ल्स लीडरशिप या फिटनेस क्लब प्रोजेक्ट्स में शामिल करने योग्य मॉडल

🔹निष्कर्ष: विद्यालय प्रशासन के लिए सुझाव

विद्यालयों को चाहिए कि वे ऐसे उदाहरणों को केवल कहानियों की तरह न देखें, बल्कि उन्हें सिलेक्शन कैंप, अनुशासनिक शिक्षण, कक्षा संवाद, और खेल क्लब की संरचना में शामिल करें।

पूजा सिंह की कहानी हमें सिखाती है कि किसी भी विद्यालय की सबसे बड़ी ताकत उसकी विचारधारा और दृष्टिकोण होती है। अगर हम केवल टॉप रैंकिंग या रिजल्ट पर नहीं, बल्कि जीवन कौशल, संघर्षशीलता और आत्मबल पर ध्यान दें, तो हर विद्यालय अपने प्रयासों से अपनी कोई भी किशोरी उसकी क्षमताओं के अनुसार ‘पूजा’ ही की तरह तैयार कर सकता है।

📌 विद्यालय प्रशासन के लिए प्रेरक एक्शन पॉइंट्स:

* इस कहानी को प्रेरणा सभा में शामिल करें।

My Heroes from India नाम से एक निबंध प्रतियोगिता आयोजित करें।

गर्ल्स मोटिवेशन वीक या स्पोर्ट्स मोटिवेशन सेशन में इसका पाठ करें।

विद्यालय के नोटिस बोर्ड या वेबसाइट पर प्रेरकीय कॉर्नर बनाएं।

शिक्षकों के लिए भी Inspiration for Mentorship सत्र में इसे प्रस्तुत करें।

आइडिया

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