स्कूल संवाद शुभारंभ
राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में प्रातः 6 बजे ग़ाज़ियाबाद से निकलकर मेरठ के राष्ट्रीय स्कूल नूरनगर लिसाडी में बच्चों को उनके ध्येय में प्रेरित करने के उद्देश्य से संवाद का शुभारंभ किया गया, जो आगंतुकों और स्कूल प्रबंधन के लिए एक अद्भुत अनुभव रहा।
स्कूल प्रबंधन ने वैश्विक प्रतिभा जगदीप छोकर के सान्निध्य में रहे प्रोफेसर राकेश राणा और उनके साथी विकास नागर इस संदर्भ में उनकी अपनी अनुभूतियों से अवगत कराने के लिए बच्चों का मार्गदर्शन करने के लिए उनको आमंत्रित किया था, लेकिन उसके संदर्भ में तो प्रधानाचार्य संजीव कुमार ने बताया और आगंतुक प्रतिभाओं ने जीवन के प्रति कुछ गुणात्मक विचार विनिमय संवाद के माध्यम से किया।
इस क्रम में विकास जी ने आधे घंटे से भी अधिक समय तक बच्चों के मस्तिष्क विकास की दिशा में कुछ शैक्षिक गतिविधियों पर विस्तृत चर्चा की कि अवचेतन् मन मस्तिष्क को कैसे सक्रिय किया जाए।
इस संवाद कार्यक्रम में बच्चों ने गहरी रुचि ली। विकास जी ने बच्चों से फिजिकल एक्सरसाइज मानसिक विकास के लिए अभ्यास के लिए कराई। वही प्रोफेसर राकेश राणा ने टीन एज में आने वाले शारीरिक-मानसिक बदलावों पर गहन चर्चा की। यह ऐसी आयु है जब हर बच्चा भटकाव के कगार रहता ही है। उसके मूल में तीव्र गति से हारमोंस में बदलाव होता है जिसके कारण शारीरिक बदलाव बड़ी तेजी से आते हैं। ऐसे में संस्कार ही हमारे चरित्र को दुष्परिणामों से बचा सकते हैं। मूल्य परक शिक्षा हमें बचा सकती है। चरित्र निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण संभव है।
इसी क्रम में अतिथियों के मार्गदर्शन के उपरांत प्रधानाचार्य संजीव नागर ने दिवंगत जगदीप छोकर का विवरण देते हुए बताया कि जीवन में संघर्ष हर किसी का हिस्सा होता है। कोई उससे डर कर पीछे हट जाता है, तो कोई उसे अपने संकल्प की ताकत बनाकर आगे बढ़ता है। जैसे एक छोटा सा बीज मिट्टी में दबा दिया जाता है, पर वह हार नहीं मानता। वह अंदर ही अंदर संघर्ष करता है, धरती की कठोर परतों को चीरता है, और अपने अस्तित्व को साबित करता है। बिना किसी प्रतिफल की अपेक्षा के, अपने अस्तित्व को समाज के हित में समर्पित कर देता है। यही संघर्ष, यही सेवा भाव जीवन को सार्थक बनाते हैं।
ऐसी ही प्रेरणा का नाम था प्रोफेसर जगदीप छोकर। वे केवल प्रबंधन के क्षेत्र में अग्रणी नहीं थे, बल्कि समाज के लिए जीने वाले व्यक्ति थे। उनके जीवन में संघर्ष था, परंतु उससे डरना नहीं—उनको उसे उद्देश्य बनाना था। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं को दिशा दी, नीतियों में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया, और समाज में जागरूकता फैलाने का कार्य किया।
उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा तब सामने आई जब उन्होंने जीवन की अंतिम घड़ी में भी सेवा का रास्ता चुना। उन्होंने अपना शरीर चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के लिए दान कर दिया। यह निर्णय केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश था—“अपने अस्तित्व का उपयोग परहित में करो, चाहे अंत समय ही क्यों न हो।”
इस विवरण के साथ ही यह अदभुत अवसर पूर्णता को प्राप्त हुआ। इसके आयोजन में समस्त स्कूल प्रबंधन ने सहयोग दिया और आगंतुक अतिथियों का अनुभवों को साझा कर जीवन के लिए मूल्यवान टिप्स देने के लिए आभार व्यक्त किया।
नारायण विद्यापीठ मंडौरा में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु प्रेरक कार्यशाला का आयोजन
नूरनगर से मंडौरा, [23.09.2025] – नारायण विद्यापीठ मंडौरा में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षित, संस्कारवान और समाजोपयोगी नागरिक बनाने के उद्देश्य से एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में विभिन्न विषयों के तीन प्रख्यात विद्वानों ने अपने विचार एवं अनुभव साझा किए।
कार्यशाला में प्रो. (डा.) राकेश राणा (समाजशास्त्र विभाग, एम.एम.एच. कॉलेज गाज़ियाबाद), श्री विकास नागर (शिक्षाविद एवं मस्तिष्क एकाग्रता विशेषज्ञ) और राजीव जी (मुख्य संपादक, उलझन सुलझन समाचार पत्र एवं समाजसेवी) ने बतौर वक्ता भाग लिया।
प्रो. (डा.) राकेश राणा ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा केवल कक्षा तक सीमित नहीं है। जीवन के अनुभवों और व्यावहारिक अभ्यासों से ही विद्यार्थी विकल्पों को समझते हुए अपने प्रदर्शन को बेहतर बना सकते हैं। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया कि केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं, बल्कि व्यवहारिक ज्ञान भी सफलता की कुंजी है।
इसके पश्चात् श्री विकास नागर ने विद्यार्थियों को मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ाने के लिए कई व्यावहारिक अभ्यास कराए। उन्होंने बताया कि निरंतर अभ्यास से मानसिक एकाग्रता, स्मरण शक्ति और निर्णय क्षमता में आश्चर्यजनक सुधार संभव है।
मोटिवेशनल स्पेशलिस्ट एवं समाजसेवी राजीव जी ने प्रतिस्पर्धा-प्रधान युग में अपनी परफॉरमेंस सुधारने के प्रभावी उपाय बताए। उन्होंने प्रख्यात शिक्षाविद डा. जगदीप छोकर (पूर्व प्रोफेसर एवं डीन, आई.आई.एम. अहमदाबाद) का प्रेरक जीवन उदाहरण प्रस्तुत किया। राजीव जी ने बताया कि डॉ. छोकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के संस्थापक सदस्य रहे और चुनावी सुधार व मतदाता जागरूकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को समाज के सामने रखा। उनका जीवन समर्पण की मिसाल है—मृत्युपरांत उन्होंने अपना शरीर समाज व राष्ट्रहित में दान कर दिया।
विद्यार्थियों ने नवाचार-आधारित शिक्षा, मस्तिष्क की एकाग्रता और डॉ. छोकर के जीवन-चरित्र से प्रेरणा लेकर भविष्य के लिए उत्साह और नई ऊर्जा प्राप्त की।
कार्यक्रम के दौरान संस्थापक प्रधानाचार्य मेजर नारायण सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और उनके प्रति आभार व्यक्त किया। विद्यालय की कोऑर्डिनेटर स्वीटी मैडम ने विद्यालय की गतिविधियों से अतिथियों को अवगत कराया और विद्यार्थियों को विद्वानों के विचारों को जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर शिक्षकगण मांगेराम जी, जेन्स गौतम, रविश जी, नवीन जी, कु. आँचल गौतम सहित क्षेत्र के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सभी ने कार्यशाला की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की और विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
सूचना स्रोत
टीम उलझन सुलझन, डॉ राकेश राणा, विकास नागर आदि।
पाठ्य विस्तार एवं प्रस्तुति