निर्णय या वरीयता क्रम निर्धारण को टालने की प्रवृत्ति
कारण, परिणाम और समाधान
आज की तेज़ रफ़्तार दुनिया में एक आम समस्या यह बन गई है कि लोग किसी निर्णय को तुरंत लेने के बजाय उसे लंबित रखने या बाद के लिए टाल देने की आदत बना चुके हैं। चाहे वह जीवन से जुड़ा बड़ा निर्णय हो या दैनिक कार्यों का प्राथमिकता क्रम, निर्णय लेने में देरी अब सामान्य होती जा रही है। यह प्रवृत्ति केवल व्यक्तिगत विकास ही नहीं, परिवार, संस्था और समाज की प्रगति में भी बाधा बनती है।
1. निर्णय टालने की प्रवृत्ति के पीछे के प्रमुख कारण
- गलत निर्णय लेने का डर (Fear of Failure):
अधिकतर लोग सोचते हैं, “अगर निर्णय गलत हो गया तो?” यह डर उन्हें निर्णय लेने के बजाय इंतज़ार करने के मोड में रखता है। - अत्यधिक विकल्पों की भरमार (Over Choice):
आज हर चीज़ के अनेक विकल्प हैं। इतने विकल्पों में सही चुनना कठिन हो जाता है, और व्यक्ति निर्णय को स्थगित कर देता है। - आत्मविश्वास की कमी:
अपने निर्णय पर भरोसा न होना, दूसरों की राय का अत्यधिक प्रभाव, ये सभी कारण निर्णय क्षमता को कमजोर करते हैं। - टालमटोल की आदत (Procrastination):
कुछ लोग सोचते हैं—“अभी समय है, बाद में देख लेंगे।” यह आदत धीरे-धीरे जीवन का हिस्सा बन जाती है। - स्पष्ट लक्ष्य न होना:
जब व्यक्ति को यह पता ही नहीं होता कि वास्तव में उसे क्या चाहिए, तो वह निर्णय कैसे ले? लक्ष्य स्पष्ट न होने से भ्रम बना रहता है। - सामाजिक या पारिवारिक दबाव:
कई बार व्यक्ति अपनी इच्छानुसार निर्णय नहीं ले पाता क्योंकि उसे लगता है कि उसके निर्णय से परिवार, समाज या साथियों की भावनाएँ आहत हो सकती हैं।
2. निर्णय लंबित रखने के प्रभाव और इसके परिणाम
- अवसर हाथ से निकल जाते हैं।
- कामों में देरी से तनाव बढ़ता है।
- व्यक्ति की विश्वसनीयता कम होती है।
- आत्मविश्वास धीरे-धीरे टूटने लगता है।
- गलतियों से सीखने का अवसर भी नहीं मिल पाता।
3. सरल भाषा में निवारक उपाय
✔ 1. छोटे निर्णयों से शुरुआत करें
जब हम रोज़मर्रा के छोटे-छोटे निर्णय समय पर लेने लगते हैं, तो बड़े निर्णय लेने का साहस खुद-ब-खुद बढ़ जाता है।
✔ 2. निर्णय लेने का निश्चित समय तय करें
“सोचेंगे” कहकर छोड़ देने के बजाय, निर्णय लेने की अंतिम तारीख या समय निर्धारित करें।
✔ 3. विकल्प कम करें, स्पष्ट करें
बहुत सारे विकल्प भ्रम पैदा करते हैं। केवल 2 या 3 स्पष्ट विकल्पों के आधार पर निर्णय करें।
✔ 4. अपूर्णता को स्वीकार करें
कोई भी निर्णय 100% सही नहीं होता। अगर निर्णय पूरी तरह सही न भी हो, तो उससे सीखना अधिक महत्वपूर्ण है।
✔ 5. लक्ष्य स्पष्ट करें
जब उद्देश्य साफ होता है, तो निर्णय लेना आसान हो जाता है। इसलिए ‘क्या चाहिए?’ और ‘क्यों चाहिए?’ यह तय करें।
✔ 6. भरोसेमंद लोगों से संक्षिप्त सलाह लें
कई लोगों की राय लेने की बजाय केवल एक-दो अनुभवी और भरोसेमंद लोगों से सुझाव लें।
✔ 7. स्वयं को उत्तरदायी बनाएं
लिया गया निर्णय लिख लें और स्वयं से यह वादा करें कि इसके परिणाम की जिम्मेदारी आप स्वयं उठाएंगे।
निष्कर्ष
निर्णय को स्थगित करना आसान लगता है, लेकिन इसकी कीमत जीवन, अवसर और आत्मविश्वास के रूप में चुकानी पड़ती है। निर्णय लेना साहस और स्पष्ट सोच की मांग करता है, और यह आदत लगातार अभ्यास से विकसित होती है। यदि हम छोटे-छोटे कदमों से शुरुआत करें, डर को पहचानें और समाधान की ओर बढ़ें, तो निर्णय लेने की कला हमारा सबसे बड़ा बल बन सकती है।
