श्रद्धांजलि
अपने परम मित्र तथा अनुज श्री राकेश जैन की जीवन संगिनी श्रीमती रश्मि जैन के आकस्मिक निधन पर उनके दादा मित्र की अत्यन्त दुखित हृदय से –
श्रद्धांजलि
दून नगरी में रही लग आज छाई है उदासी।
आज रश्मि दर्श हेतु हर किसी की आंख प्यासी।
स्वयं रश्मि चन्द्र किरणों सी सदा शीतल रही थी।
भगवान के प्रति समर्पित सबने ही भक्तन कही थी।
पर्व पर्यूषण में रश्मि आठों संकल्प करती।
इस तरह भगवान की वो भक्ति अपनी पूर्ण करती।
पत्नी के रूप में वो राकेश के जीवन में आई।
पति धर्म रीत भक्ति सारी ही उसने निभाई।
आज अर्पण पुत्र माँ का खो रहा धीरज है अपना।
बहू सोनम को तो अपना टूटता लगता है सपना।
पौत्र है निवान गम में याद दादी में गया खो।
विदेश से आ पुत्री चीना दीखती ज्यादा रही रो ।
मुनीष जी दामाद भी तो नयन से अश्रु गिराते।
‘युविका’ ‘युवांश’ दोनों ढूंढते नानी को पाते।
राकेश ने तो रश्मि के ही जिंदगी भर गीत गाये।
नयन में अश्रु भरे को कौन अब धीरज बंधाए।
अब तो रश्मि रश्मि बनकर बीच हम सबके रहेगी।
रिश्तेदार मित्र टोली कहानी उसकी कहेगी।
आज तो ये स्वयं कृष्ण नीर नयनों में पिए है।
जो भी थे संवाद उनके याद उन सबको किये है।
जन्म मृत्यु पर सदा से ईश का अधिकार पूरा।
पास उसको ही बुलाता जिसको करता प्यार पूरा।
देवलोकी बन के रश्मि ईश चरणों में रहेगी।
देवता व देवी एक एक रश्मि की गाथा कहेगी।
पूरे ही परिवार को अब शांति भगवान देवें।
बन गयी रश्मि है देवी इतना हम सब मान लेवें।
दुःख सहने की भी शक्ति महावीर भगवान देंगे।
इस भयंकर दुःख घड़ी पर सांत्वना उपहार देंगे।
अंत में भगवान से है कृष्ण का इतना ही वन्दन ।
कष्ट न कोई रश्मि भोगे रखना निज चरणों में भगवन।
कृष्ण की श्रद्धांजलि ये रश्मि तुम स्वीकार करना।
छोड़ यहाँ की मोह माया स्वयं का उद्धार करना।
कृष्णदत्त शर्मा ‘कृष्ण’, देहरादून
तिथि ०९.११.२०२५