लोकतंत्र को जगमगाने की जिद में जीवन जिया श्री जगदीप छोकर जी ने
दिल्ली के तीसहजारी कोर्ट में पुस्तकालय भवन के द्वितीय तल पर स्थित चौ. स्वरूप सिंह विधूड़ी रिक्रिएशन हॉल में सायं चार बजे एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन प्रो.जगदीप छोकर जी की स्मृति में आयोजित किया गया! जिसके मुख्य आयोजक एडवोकेट अनिल चौहान जी थे। कार्यक्रम में अतिथिगणों में खादी एवं ग्रामोद्योग के पूर्व चेयरमैन डॉ. यशवीर सिंह तथा पूर्व मंत्री श्री हरिश्चंद्र भाटी थे। एड. भागवत सिंह जी ने श्रद्धाजलि सभा की अध्यक्षता की! मुख्य वक्ता के तौर पर प्रो. (डॉ) राकेश राणा ने स्वर्गीय जगदीप छोकर जी के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला! कार्यक्रम का संचालन एडवोकेट अभिषेक नागर ने किया। प्रारंभ में एडवोकेट अनिल चौहान जी ने कार्यक्रम का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने दिवंगत जगदीप छोकर जी का वैयक्तिक और शैक्षणिक परिचय दिया। साथ ही बताया कि उम्मीदवारों का विस्तृत विवरण सार्वजनिक रूप से दिलवाने की बाध्यकारी व्यवस्था छोकर् साहब के द्वारा ही आरम्भ कराई गई। चुनाव सुधार के अधिकांश प्रयास छोकर जी के शोधों के परिणामस्वरूप ही संभव हो सके। लोकतांत्रिक सुधारों के लिए ए डी आर के साथ उनका लंबा साथ रहा।
प्रो जगदीप छोकर् जी के जीवन पर केंद्रित इस सभा के मुख्य वक्ता प्रो. राकेश राणा ने अपने संबोधन में उपस्थितजनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि “मेरा छोकर साहब से गहरा व्यक्तिगत जुड़ाव रहा है। उनका स्मरण केवल एक व्यक्ति की स्मृति नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक विरासत को संजोने का अवसर है। हमें चाहिए कि ऐसी विभूति को केवल याद न करें, बल्कि उनकी जीवन यात्रा से सीख भी ग्रहण करें।”
उन्होंने कहा कि छोकर साहब की प्रतिभा और कार्यशैली ने समाज के प्रति धारणा को एक नई मजबूती दी। उनके अथक प्रयासों ने उन्हें वैश्विक प्रतिष्ठा वाले शैक्षणिक संस्थानों तक पहुँचाया। यह केवल उनकी विद्वत्ता का परिणाम नहीं था, बल्कि उनके निरंतर नवाचार, धैर्य और प्रयोगशील दृष्टिकोण का प्रमाण भी था। विशेष बात यह रही कि उन्होंने अपने जीवन में जितने भी नवाचार किए, उनमें उन्हें कभी विफलता का सामना नहीं करना पड़ा।
छोकर साहब का साहस इस बात में था कि उन्होंने हमेशा उन्हीं क्षेत्रों को चुना जिन्हें लोग ‘जोखिम भरा’ मानते थे। परंतु अपनी लगन, निष्ठा और दूरदृष्टि के कारण उन्होंने इन क्षेत्रों में सफलता हासिल की और दूसरों के लिए एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाई। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने साथियों को भी ए.डी.आर. के गठन के साथ समाज हित के प्रयासों में संलग्न किया! चुनाव सुधार जैसे महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्यों से जोड़ा और सुधारों की एक लंबी श्रृंखला समाज को दी। देश में लोकतंत्र की जड़ों को सींचने का काम किया!
राकेश राणा ने कहा कि छोकर साहब का जीवन संदेश स्पष्ट है—जो भी करो, केवल अपने लिए नहीं बल्कि देश और समाज के लिए करो। उनके मन में समाज के प्रत्येक वर्ग—गरीब, किसान, श्रमिक, महिला सबके लिए पीड़ा और संवेदनशीलता थी। वह पक्षियों से लेकर प्रवासी मजदूरों तक संवेदनशील रहे जीवन भर! उनका व्यक्तित्व इस मायने में अद्वितीय था कि उन्होंने न केवल मनुष्यों के प्रति, बल्कि पशु-पक्षियों और प्रकृति के प्रति भी गहरा अनुराग रखा। प्रवासी मजदूरों के लिए आजीविका ब्यूरो चलाया!
अंत में राकेश राणा ने कहा—“छोकर साहब की सोच और कार्य हमें यह प्रेरणा देते हैं कि यदि दृढ़निश्चय और समाजहित की भावना हो, तो कोई भी प्रयास महान बन सकता है और कभी विफल नहीं हो सकता। हमें उनके जीवन से यह सीख लेकर आगे बढ़ना है कि सुधार की राह कभी भी आसान नहीं होती, परंतु सच्ची लगन और सेवा भावना से वह राह जन-जन के लिए प्रकाश पुंज बन जाती है।” प्रो राणा ने अपने वक्तव्य में श्रद्धा समर्पित करते हुए छोकर साहब की स्मृति में शीघ्र एक ग्रंथ प्रकाशित करने के आग्रह के साथ जगदीप जी से जुड़े सभी प्रियजनों से अपने-अपने संस्मरणों और मधुर स्मृतियों को लेख के रूप में प्रदान करने का निवेदन किया! यह कार्य बहुत जल्दी वरिष्ठ समाजसेवी भाई राजीव जी के दिशा निर्देशन में प्रारंभ होना है, आप सबका सहयोग अपेक्षित है!
इसके उपरांत श्री हरिश्चंद्र भाटी जी ने कहा कि “शैक्षणिक दृष्टि से छोकर परिवार अग्रणी रहा। उनके पिता जी भी पुराने जमाने के तहसीलदार रहे और उनकी अगली पीढ़ी ने भी उनसे प्रेरणा ली तथा अपना-अपना जीवन लक्ष्य बनाया। समाज में छोकर जी जैसे अनेकानेक नाम हैं जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति अर्जित की।”
श्री राजपाल कसाना जी ने इस अवसर पर कहा कि “श्री छोकर ने निन्यानबे के दशक में चुनावी सुधार करने का जो संकल्प लिया उस कड़ी में सत्ताईस वर्ष तक उन्होंने विविध सुधार कराए। अपने शोधों से सुधारों के मार्ग निकालकर उनको उच्चतम न्यायालय से क्रियान्वित भी कराया। उन्होंने प्रबंधन को भी नवीन मायने दिए। अधिवक्ता समुदाय भी दिवंगत छोकर जी से प्रेरणा लेकर उनके द्वारा स्थापित मार्ग का अनुसरण करें और स्वयंसिद्ध बनें।”
श्री एस पी सिंह एड. ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि “श्री छोकर जी की जीवन यात्रा नि:संदेह प्रेरकीय है और उनके जाने से कुछ महत्वपूर्ण कार्य अधूरे रह गए हैं। अतः अब अधिवक्ता वर्ग को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। उनको यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी! वास्तव मे उनके सपनो को पूरा करके ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है।”
इसी क्रम में श्री राकेश चपराणा जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने समाज की एक जुटता पर जोर दिया! वहीं
डॉ यशवीर सिंह जी ने कहा कि
“परमात्मा से प्रार्थना है कि छोकर जी जैसी प्रतिभाएं समाज में पैदा हों! तभी समाज का विकास संभव है!”
एड भागवत सिंह जी ने कहा कि “छोकर जी एक निर्भीक, समर्पित और अनूठी शख्सियत थे। किसी को भी अपना बना लेने के उनके विशिष्ट गुण ने उनको सर्व समाज में लोकप्रिय बनाया।” एडवोकेट भागवत प्रो. छोकर साहब के बचपन के मित्र रहे! कार्यक्रम के अंत में
सबका धन्यवाद करते हुए एडवोकेट इंदर सिंह विधूड़ी जी ने कहा कि “छोकर जी की जिंदगी ऐसी थी कि
जीना है तो ऐसे जियो कि जिंदगी भी याद करे।”
इसी के साथ सबने उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किए!
सृजक
इनोवेटिव एड्यूटेक
प्रस्तुति