।।गीत।।
दीवानों का हाल निराला
दिल में रोग नहीं है काला।
मालिक है मर्जी के अपने
खुद ही बुनते अपने सपने।
अपना प्यार लुटाकर सारा
मोड़ी है दुनिया की धारा।
पीछे कभी ना हटते हैं ये
आगे को ही बढ़ते हैं ये।
समझ रहा जो है दिल वाला
दीवानों का हाल निराला।
लेना नहीं इनको है भाता
बस इनको देना ही आता।
अपनी धुन में चलते हैं ये
नहीं किसी से जलते हैं ये।
मानवता के ये रखवाले
चाॅंद जमीं पर लाने वाले।
अपने दम पर करें उजाला
दीवानों का हाल निराला।
नगमों का संसार सजा कर
ग़ज़लों का इक हार सजा कर।
कभी बने खुद शायर है ये
नहीं बने पर कायर है ये।
जगे खूब है रातों में भी
माहिर हैं खुद बातों में भी।
हटा रहे मकड़ी का जाला
दीवानों का हाल निराला।
जात पात का काम नहीं है
जन यारों ये आम नहीं है।
देश धर्म है इनको प्यारा
पथ है इनका सबसे न्यारा।
रातों में भी जगते हैं ये
सबको प्यारे लगते हैं ये।
नहीं बदलते अपना पाला
दीवानों का हाल निराला।
जय माता दी🖋️
रोला छंद
गीत
।। आभार।।
करता हूॅं आभार, जोड़ कर माता मेरी
बहुत किया उपकार,किये बिन कुछ भी देरी।
तू दूर्गा का रूप,शारदे तू कल्याणी
दे मुझको वरदान,साथ में मधु रस वाणी।
मिला मुझे सम्मान,मात किरपा जो तेरी
करता हूॅं आभार,जोड़ कर माता मेरी।
चुनरी ओढ़े लाल,शेर की करें सवारी
चार भुजा धर आज,पधारी मां अवतारी।
मुझको दिया प्रकाश,हरी है रात अंधेरी
करता हूॅं आभार,जोड़ कर माता मेरी।
एक हाथ तलवार,एक में चक्र उपकारी
एक हाथ त्रिशूल,एक से वर देती भारी।
किया शत्रु का नाश,छेड़ कर के रणभेरी
करता हूॅं आभार, जोड़ कर माता मेरी।
आये है नव रात्र,रूप दुर्गा के लेके
जायेंगे ये रात्र,सभी को खुशियां देके।
सुनी सदा अरदास,लगा धरती की फेरी
करता हूॅं आभार, जोड़ कर माता मेरी।
बाल गीत
भोर हुई धरती के आंगन,
जब कूकड़ कू मूर्गा बोला।
आसमान में सूरज निकला,
जिसने रंग सुनहरा घोला।
चिड़िया ची ची लगी चहकने,
दुनिया ने फिर आंखें खोली।
झालर शंख बजे मंदिर में,
दुनिया मे गूंजी हरि बोली।
देख धरा का रूप सलोना,
आया उड़ पंछी का टोला।
भोर हुई धरती के आंगन,
जब कूकड़ कू मूर्गा बोला।
ईश्वर से करके सब विनती,
अपने काम सभी लग जाते।
करते दिनभर धंधा पानी,
शाम पड़े ही घर को आते।
दिन भर ही बनकर चलता है,
सूरज बड़ा आग का गोला।
भोर हुई धरती के आंगन,
जब कूकड़ कू मूर्गा बोला।
मनहरण घनाक्षरी
आई देखो माता रानी, शेर की सवारी कर
मांगों सारे मांगों आई,देने वरदान है।
सिर जिसके मुकुट, पांवों में पायल बाजे,
चार भुजा वाली मैया,गले सजा हार है।
एक कर में कल्याण,दूजे में त्रिशूल सजा,
तीसरे में है खप्पर ,चौथे तलवार है।
जो भी इसको ध्याता, मन चाहा फल पाता,
भव सागर से नैया,कर लेता पार है।
🙏 जय मां शारदे 🙏
🌹सरस्वती वंदन🌹
मात शारदे आकर मुझको,प्यारा सा इक वर दे
मेरी झोली अब तुम मैया,खुशियों से ही भर दे।
ना मांगू मैं सोना चांदी,ना ही चीजें भारी
हाथ रखो बस सिर पर मेरे,मैया जी उपकारी।
अंधकार हर ले ये मेरा ,यही उपकार कर दे
मात शारदे आकर मुझको,प्यारा सा इक वर दे।
शिक्षा की देवी तू मैया,अज्ञान मिटाने वाली
भूले भटके लोगों को भी ,राह दिखाने वाली।
कर बरसात ज्ञान की जग पर, मुझको भी तर कर दे
मात शारदे आकर मुझको,प्यारा सा इक वर दे।
वाणी में मधु रस दे मैया,लेखनी में दे धार
संगीत खजाने से भी देना,मुझको गीत दो चार।
सरपट मेरी चले लेखनी,मुझको प्यारे स्वर दे
मात शारदे आकर मुझको, प्यारा सा इक वर दे।
गीत लिखूं मैं नित नित प्यारे,ऐसे भाव जगाओ
इस धरती को फिर मैया,अपने हाथ सजाओ।
पंछी जैसे उड़ उड़ गाऊं,उनके जैसे पर दे
मात शारदे आकर मुझको, प्यारा सा इक वर दे।
रचयिता
श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’
खेड़ा मलूका नगर
‘मालपुरा’