कुरीतियों को तोड़ता एक वैवाहिक गठबंधन
हरिद्वार – भारतवर्ष में अपनी जाति में विवाह करने की परंपरा है; जैसे वैश्य – वैश्य में, क्षत्रिय – क्षत्रिय में, ब्राह्मण – ब्राह्मण में, और शूद्र शुद्ध में ही विवाह करते हैं अपनी जाति व वर्ण अनुसार विवाह करते हैं। इन सब बन्धनों को तोड़कर युवा पीढ़ी ने ऐसा विवाह किया जो प्रचलित कुरीतियों मसलन दहेज प्रथा व जात बिरादरी को छोड़ व एक ओर किनारे कर समाज को निश्चय ही एक नई दिशा देगा।
इस पहल को समाज के सम्मुख रखने वाले जाट वर चौ० सुमित सहरावत व गुर्जर वधु कु० योग्यता बैंसला का विवाह अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में दिल्ली के छतरपुर क्षेत्र के मांडी गांव स्थित एक फार्म हाउस में संपन्न हुआ।
जहाँ गैर-जाति में विवाह करने की सोचने मात्र पर वर व वधू पक्ष के लोगों में संघर्ष की स्थिति बन जाती है वहीं यह संघर्ष द्वंद्व में भी बदलता पाया गया है। इतना ही नहीं पीढ़ी दर पीढ़ी दुश्मनी भी पैदा हो जाती है।
इन और इन जैसी तमाम आशंकाओं को निर्मूल करते हुए इन युवाओं ने और इनके परिवारों ने गुर्जर जाति व जाट जाति के मध्य प्रेम भाव को वरीयता देते हुए इस प्रणय गठबंधन की सहर्ष अनुमति सब कुछ समझकर दे दी।
इस रिश्ते की नींव रखने वाले युवा सुमित सहरावत जाट व कु० योग्यता बैंसला गुर्जर है। इन दोनों ने अपने-अपने अभिभावकों के समक्ष जब शादी का प्रस्ताव रखा तो दोनों परिवारों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। साथ ही दोनों परिवारों के रिश्तेदारों के मध्य भी। परिणास्वरूप यह रिश्ता ना हो पाए ऐसे प्रयास भी होने के अपुष्ट समाचार मिले, लेकिन युगल दृढ़संकल्पित था और किसी भी प्रकार की जल्दी में ना था।
ऐसे प्रयासों की वजह यह आशंका थी कि अगर यह रिश्ता होकर सफल रहा तो भविष्य में इस रिश्ते को उदाहरण बनाकर सभी लोग जाति बंधन तोड़कर विवाह करने लगेंगे। ऐसे सब प्रयासों को दरकिनार करते हुए इन युवाओं ने अपने अभिभावकों के सम्मुख वैवाहिक प्रस्ताव रख आपस में बैठक कराई ।
गुर्जर बैंसला परिवार व जाट सहरावत परिवार के ये बालक घुलेमिले थे जबकि उनके अभिभावक एक दूसरे से अनजान थे। सुमित व योग्यता ने ही उनका सम्मान आपस में परिचय कराया तो दोनों पक्षों ने शांत भाव से दोनों की बात तो सुनी, पर कोई सकारात्मक उत्तर तत्काल नहीं मिला। पर सुमित सहरावत व योग्यता बैंसला ने हार नहीं मानी और अगली बैठक की प्रतीक्षा की। इस समय उत्पन्न असमंजस से दोनों पक्ष और उनके रिश्तेदार भी तनाव में थे। सुमित सहरावत व योग्यता बैंसला दोनों ही विधि यानि लॉ में उच्च शिक्षित हैं।
इस विवाह का एक उजला पक्ष यह था कि वर्तमान में अकूत राशि व्यय कर वैवाहिक संस्कार संपन्न हो रहे हैं। उनमें शानो शौकत पर सिर्फ दिखावे के लिए पैसा व्यय कर दिया जाता है तथा लाखों रुपया नकद व जेवर इत्यादि के रूप में दिया जाता है। परिणामस्वरूप शानो शौकत के फेर कन्या पक्ष तो कर्जदार हो जाता है, और सारी जिंदगी कर्ज से बाहर नहीं निकल पाता।
इस प्रकार समाज व्यापक रूप से फैली दहेज प्रथा कुरीति को भी नवाचारी सुमित सहरावत व योग्यता बैंसला में दरकिनार कर दिया।
इस शादी में दहेज के नाम पर एक रुमाल भी नहीं लिया गया और बिना दहेज की शादी संपन्न हुई। अलबत्ता शादी में दहेज के रूप में जो धन व्यय होना था वह दान भी गांव के मंदिर, स्कूल व धर्मशाला में और सामाजिक व धार्मिक कार्यों में व्यय किया गया।
सुमित सहरावत व योग्यता बैंसला ने आपसी समझबूझ से मिलकर जीवनयापन के लिए एक लिमिटेड कंपनी खोल रखी है। यह शादी सामाजिक कुरीतियों को तोड़कर समाज में जातीय एकता कायम करने के एक उत्कृष्ट उदाहरण कर रूप में याद की जाएगी और भविष्य में एक सकारात्मक संदेश समाज में पहुंचाएगी।
प्रेषक
राहुल बैंसला (पत्रकार)
मोबाइल नंबर 9639620529
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