वरिष्ठजनों की पहल
समाज का पथप्रदर्शन
श्री रमनपाल जी का संभाषण
आदरणीय अतिथिगण, सम्मानित वरिष्ठ नागरिकों, और यहाँ उपस्थित सभी साथियो,
आज इस लाइब्रेरी के लोकार्पण अवसर पर आप सबसे रूबरू होना मेरे लिए गौरव और भावनाओं का संगम है। वरिष्ठ नागरिकों के नेतृत्व में यह पुस्तकालय स्थापित होना न केवल ज्ञान के दीपक जलाने का कार्य है, बल्कि यह हम सबके लिए अनुकरणीय उदाहरण भी है कि जीवन के हर चरण में समाज के लिए योगदान कैसे दिया जा सकता है।
मित्रो, मैं अपने पुलिस विभाग और सुरक्षा तंत्र से जुड़े अनुभवों के आधार पर आपसे एक महत्वपूर्ण विषय साझा करना चाहता हूँ। आज देश की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा का एक अहम हिस्सा डिजिटल बैंकिंग बन चुकी है। हम सभी सुविधा और गति के लिए इसका उपयोग करते हैं, लेकिन इसके साथ ही फ्रॉड और साइबर अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
आज फ्रॉड की दुनिया उतनी ही संगठित है जितनी अपराध की परंपरागत दुनिया हुआ करती थी। कभी फोन कॉल पर फर्जी जानकारी देकर, कभी लिंक भेजकर, कभी QR कोड के माध्यम से, तो कभी “केवाईसी अपडेट” या “बैंक से कॉल” के नाम पर अपराधी हमारे भरोसे का फायदा उठाते हैं।
ऐसे में हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को यह समझना होगा कि –
पहली सुरक्षा जागरूकता है।
कोई भी बैंक, चाहे वह ICICI हो या कोई अन्य, आपके OTP या PIN कभी भी फोन पर नहीं पूछता। यदि कोई माँगे तो समझ लीजिए कि सामने वाला अपराधी है।
दूसरी सुरक्षा सावधानी है।
लिंक, QR कोड, या संदिग्ध संदेश पर क्लिक करने से बचें।
तीसरी सुरक्षा सतर्कता है।
अगर कभी गलती हो जाए तो तुरंत बैंक और साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर सूचित करें। समय पर कार्रवाई ही नुकसान से बचा सकती है।
मैं विशेष रूप से यह कहना चाहूँगा कि वरिष्ठ नागरिक ही नहीं, बल्कि युवा वर्ग को भी इस विषय पर जागरूक होना चाहिए। जिस प्रकार यह पुस्तकालय ज्ञान को गाँव-गाँव और गली-गली पहुँचाने का संकल्प लेकर चला है, उसी प्रकार हमें डिजिटल जागरूकता भी अधिक से अधिक जनसंख्या तक पहुँचानी होगी।
क्योंकि एक सजग नागरिक ही सुरक्षित नागरिक है, और सुरक्षित नागरिकों का समूह ही एक सुरक्षित राष्ट्र का निर्माण करता है।
अंत में, मैं इस पुस्तकालय के लोकार्पण के लिए सभी वरिष्ठ नागरिकों को हृदय से बधाई देता हूँ और यह अपेक्षा करता हूँ कि यह स्थान केवल किताबों का संग्रहालय नहीं, बल्कि ज्ञान और जागरूकता का केन्द्र बनेगा।
धन्यवाद।