संघर्ष से सफलता तक
कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला जी को नमन
राजस्थान प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए गुर्जर समाज के 40 युवाओं की यह ऐतिहासिक उपलब्धि केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि एक संपूर्ण समाज के आत्मविश्वास, संघर्ष और जागरूकता की विजय है।

इस सफलता की नींव वर्षों पहले उस आंदोलन से रखी गई थी, जिसका नेतृत्व महान योद्धा कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला जी और उनके साथियों ने किया था।
उन्होंने यह संघर्ष केवल आरक्षण की मांग के लिए नहीं, बल्कि समाज के बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए किया था — ताकि आने वाली पीढ़ियाँ शिक्षा, सेवा और नेतृत्व के क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकें।
आज जब 40 गुर्जर युवा प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए हैं, तो यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि उस संघर्ष की गूंज है जिसने समाज को नई दिशा दी। यह उपलब्धि बताती है कि यदि उद्देश्य पवित्र हो, दिशा सही हो और एकता अडिग हो — तो परिवर्तन निश्चित है।
कर्नल बैसला जी ने हमें सिखाया कि संघर्ष केवल विरोध नहीं, निर्माण का भी प्रतीक होता है।
उन्होंने यह विश्वास जगाया कि अवसर मिल जाने के बाद अब हमें अपनी मेहनत, प्रतिभा और अनुशासन से समाज का नाम ऊँचा करना है।
आज समाज के विभिन्न कोनों से यह संदेश और भी प्रखर हो रहा है-
राजस्थान में श्री गोपाल जी और प्रशांत जी “पे बैक टू सोसायटी” के भाव से अक्षम और प्रतिभाशाली बच्चों को उच्च श्रेणी के विद्यालयों में प्रवेश दिलाने का सराहनीय कार्य कर रहे हैं।
उनका यह प्रयास न केवल बच्चों को शिक्षा का अवसर दे रहा है, बल्कि समाज में संवेदना और समानता का वातावरण भी बना रहा है।
उधर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से श्री समीर जी और हिमांशु जी ने “टैलेंट सर्च मिशन” के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के प्रतिभावान बच्चों को पहचानने और उन्हें नई दिशा देने का बीड़ा उठाया है।
उनका यह मिशन समाज के भविष्य को निखारने की एक नई प्रेरणा है।
इसी क्रम में गाजियाबाद जनपद के “तथास्तु” संस्था से जुड़े श्री विकास जी भी समाज के युवाओं को शिक्षा, मार्गदर्शन और आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर करने का उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं।
उनका योगदान यह सिद्ध करता है कि गुर्जर समाज अब केवल संघर्ष का प्रतीक नहीं, बल्कि संवेदना, सहयोग और सृजनशीलता का पर्याय बन चुका है।
आज यह सफलता हमें प्रेरित करती है कि आने वाले वर्षों में हम अपने समाज को इतना शिक्षित, सक्षम और संगठित बना दें कि किसी भी आरक्षण की आवश्यकता ही न रह जाए।
हमारी मेहनत, हमारा चरित्र और हमारी लगन ही हमारी पहचान बने।
कर्नल बैसला जी का सपना था — “गुर्जर समाज का हर बच्चा आत्मनिर्भर बने।”
आज की यह सफलता उस सपने की पहली किरण है।
आइए, हम सब मिलकर इस रोशनी को स्थायी बनाएं — शिक्षा, सेवा और संस्कार के मार्ग पर चलकर।
हार्दिक बधाई उन सभी 40 गुर्जर भाई-बहनों को
जो अपनी प्रतिभा से समाज का गौरव बढ़ा रहे हैं।
आपकी सफलता हम सबके लिए प्रेरणा है,
और कर्नल बैसला जी के सपनों को साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम भी।
जय समाज, जय शिक्षा, जय संघर्ष।
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