खुशियों के प्रसार का सर्वश्रेष्ठ तरीका
गाँव के पुस्तकालय को समर्पण
हमारे जीवन में जब भी कोई शुभ अवसर आता है; जैसे – किसी बच्चे की पढ़ाई पूरी होना, नौकरी लगना, शादी-ब्याह, सालगिरह या कोई और खुशी का अवसर – तो हम मिष्ठान वितरित करते हैं, लोगों को बुलाकर खुशियाँ मनाते हैं। लेकिन अगर यही खुशी किसी ऐसे कार्य में लगे जो आने वाली पीढ़ियों को भी रोशन करे, तो उस खुशी की महत्ता कई गुना बढ़ जाती है।
ऐसा ही प्रेरणादायक उदाहरण
दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत श्री संजीव डेढा जी के सुपुत्र सुहव चौधरी ने हाल ही में पुणे के डॉ. डी.वाई. पाटिल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की। यह किसी भी माता-पिता के लिए बहुत गर्व का क्षण होता है।
इस खास अवसर को केवल अपने घर तक सीमित न रखते हुए श्री संजीव डेढा जी ने एक अद्भुत कार्य किया – उन्होंने मेरठ जनपद के गाँव नंगला सलेमपुर में बन रही ग्रामीण पुस्तकालय के लिए बिजली से जुड़ा संपूर्ण सामान, जिसकी लागत ₹9765/- थी, दान में दिया।
यह कोई छोटी बात नहीं है। यह कार्य सिर्फ दान नहीं था – यह संवेदना, समर्पण और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का प्रतीक है। जिस पुस्तकालय में कल को गाँव के बच्चे बैठकर पढ़ेंगे, जो गाँव में ज्ञान का केंद्र बनेगा – उसकी रौशनी के लिए संजीव जी ने अपने बेटे की सफलता की खुशी को समर्पित किया।
टीम ग्राम पाठशाला, जो गाँवों में पुस्तकालय निर्माण और संचालन का कार्य कर रही है, संजीव जी को इस महान सोच और उदारता के लिए हार्दिक धन्यवाद देती है और उनके सुपुत्र सुहव चौधरी को डॉक्टर बनने पर ढेरों शुभकामनाएँ प्रेषित करती है।
एक विनम्र आग्रह
हम जानते हैं कि हर घर में कोई न कोई खुशी जरूर आती है।
तो क्यों न हम उस खुशी को गाँव के विकास से जोड़ें?
पुस्तकालय, कोई आम जगह नहीं होती – यह विचारों का मंदिर होती है। यहाँ बैठकर बच्चा सपना देखता है, किसान अखबार पढ़ता है, युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिलती है।
इसलिए हम आप सभी से विनम्र निवेदन करते हैं कि –
जब भी आपके परिवार में कोई शुभ कार्य हो, तो उसी अवसर पर गाँव के पुस्तकालय के लिए छोटा-सा दान करें – चाहे ₹100 हों या ₹10,000।
यह योगदान भविष्य की नींव रखेगा।
यही है टीम ग्राम पाठशाला का सपना –
“हर गाँव में हो पुस्तकालय,
हर बच्चे के हाथ में किताब हो,
और, हर हर्ष का हिस्सा बने ज्ञान का दीपक।”
आपका छोटा-सा दान, किसी का भविष्य संवार सकता है।
चलें, अपने गाँव के बच्चों के लिए, अगली पीढ़ी के लिए, एक ज्ञानदीप जलाएँ।
चित्रशाला

सूचना स्रोत
टीम ग्राम पाठशाला