1857 की क्रांति में अपने अदम्य साहस, अटल संकल्प और अप्रतिम शौर्य से अहम भूमिका निभाने वाली वीरांगना आशा देवी गुर्जरी की स्मृति में एक प्रेरणादायक विचार गोष्ठी का आयोजन मुजफ्फरनगर जनपद के रसूलपुर गुजरान गांव में किया गया। यह आयोजन वीरांगना के बलिदान दिवस 14 मई को उनकी स्मृति में विशेष रूप से आयोजित किया गया, जिसमें समाजसेवी, महिला प्रतिनिधि और ग्रामीण महिलाओं ने भाग लिया।
विचार गोष्ठी का आयोजन ‘वीरांगना आशा देवी गुर्जरी स्मृति समिति’ द्वारा किया गया, जिसकी संयोजिका सामाजिक कार्यकर्त्री बबीता चौधरी हैं। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि
“आशा देवी गुर्जरी का जन्म 19 नवम्बर 1829 को मुजफ्फरनगर जिले के एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उनके विचार और कृतित्व असाधारण रहे। वे ना केवल एक निर्भीक योद्धा थीं, बल्कि सामाजिक चेतना की वाहक भी रहीं। उन्होंने समाज सुधार, महिला सशक्तिकरण और राष्ट्रहित के अनेक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई।”
1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जब अंग्रेजी हुकूमत अपने अत्याचार की चरम सीमा पर थी, तब आशा देवी गुर्जरी ने मात्र 28 वर्ष की आयु में विदेशी शासन के विरुद्ध हथियार उठाए। 14 मई 1857 को अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए उन्होंने वीरगति प्राप्त की। यह बलिदान स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमिट छाप छोड़ गया। उनके इसी शौर्य और बलिदान की स्मृति में हर वर्ष 14 मई को रसूलपुर गुजरान गांव में यह स्मृति विचार गोष्ठी आयोजित की जाती है।
गोष्ठी में उपस्थित ‘नारी उत्थान सेवा कल्याण ट्रस्ट’ की महासचिव श्रीमती प्रियंका देवी ने कहा कि
“आज की पीढ़ी को आशा देवी गुर्जरी और माता पन्नाधाय जैसे चरित्रों से प्रेरणा लेनी चाहिए। वीरांगनाओं के बलिदान को केवल इतिहास की किताबों तक सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि उनके जीवन से सीख लेकर हमें भी सामाजिक कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।”
उन्होंने युवतियों को विशेष रूप से प्रेरित करते हुए कहा कि
“महिला शक्ति को संगठित होकर समाज के विकास में योगदान देना चाहिए।”
इस अवसर पर गांव की अनेक महिलाओं ने गोष्ठी में भाग लिया और अपने विचार साझा किए। उन्होंने आशा देवी गुर्जरी के त्याग, साहस और नेतृत्व क्षमता को स्मरण करते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया।
इस स्मृति दिवस ने न केवल वीरांगना को श्रद्धांजलि दी, बल्कि एक नए सामाजिक जागरण की भी नींव रखी, जिसमें इतिहास से प्रेरणा लेकर वर्तमान को संवारा जा सके। यह आयोजन नारी शक्ति, देशभक्ति और सामाजिक चेतना का अद्भुत संगम बनकर उभरा।
सूचना स्रोत
श्री अशोक चौधरी
पाठ्य विस्तार
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