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विवरण
स्टूडियो संवाद पॉज़िटिव डायलॉग में पहली बार साहित्य विषयक समूह चर्चा (ग्रुप डिस्कशन) आयोजित हुई, जिसका विषय था – “साहित्य का प्रभावी रूप क्या होना चाहिए?”। चर्चा में सभी ने यह माना कि साहित्य समाज का दर्पण है और इसे सकारात्मक दिशा देने वाला होना चाहिए।
श्री राजपाल कसाना जी द्वारा सुझाए गए नाम “संवाद सप्तक” पर सहमति बनी तथा निर्णय हुआ कि समूह की हर 2-3 महीने में बैठक होगी, जिसमें पुस्तकों, लेखों, कविताओं, थिएटर, सोशल मीडिया और यूट्यूब चैनलों को भी जोड़ा जाएगा ताकि साहित्यिक रुचि रखने वाले अधिक लोग इसमें सम्मिलित हो सकें।
बैठक में कई लेखकों और उनकी पुस्तकों पर चर्चा हुई, जैसे – ‘दृष्टिकोण’ (आदर्श जैनर), ‘भारत 2047 और हम’ (लाल बहार), ‘हिम्मत, मेहनत और नीयत’ (सुनीता बैंसला), ‘शिक्षा कलाम की कलम से’ (डॉ. प्रशांत कुमार), ‘एहसास’ (राजपाल सिंह कसाना), ‘सरपंच’ (राजेश डेढ़ा), ‘आधी दुनिया का सच’ (राजपाल सिंह कसाना), और ‘केदार से कैलाश तक’ (राजकुमार डेढ़ा)।
चर्चा में पीके आज़ाद जी सहित कई साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम में सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा और भ्रूण हत्या पर कविता प्रस्तुत की गई, जिसमें बेटियों की शिक्षा, सम्मान और समान अधिकार देने पर जोर दिया गया। संदेश यह दिया गया कि समाधान बेटियों को न पैदा करने में नहीं, बल्कि बेटों को भी संस्कार देने में है।
👉 सारतः यह आयोजन साहित्य की शक्ति, उसकी सामाजिक भूमिका और सकारात्मक बदलाव की दिशा में किए जाने वाले सामूहिक प्रयासों का प्रतीक रहा।
सूचना स्रोत
डॉ रीना वर्मा
पाठ्य उन्नयन और विस्तार तथा प्रस्तुति