विशिष्ट गौरवानुभूति

विशिष्ट गौरवानुभूति

सूचना

हिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 145वीं जयन्ती पर 3 अगस्त को राष्ट्रीय स्तर पर अभाकाम संस्था द्वारा डाॅ. छाया शर्मा, अजमेर वरिष्ठ साहित्यकार को उपन्यास गोदान की सीमित शब्दों में समीक्षा करने प्रदान किया गया। साहित्यिक संस्था अखिल भारतीय कायस्थ महासभा जयपुर के महासचिव श्री अरुण सक्सैना ने हिन्दी भाषा में देश के उत्कृष्ट साहित्य सृजन करने वालों को चयनित कर दिया गया ।

अविश्वसनीय….सोचा भी नहीं था। केवल एक सूचना थी,आपको सम्मानित किया जाता है और बहुत बड़ा सिम्बल चैक ट्राफी शाल ये तो अलग 7101/=₹ का चैक एकाउंट में जमा होगा,दिया है,यह सब मेरे सभी भाई – बहनों की शुभ कामनाओं और बडों के आशीर्वाद, कृपा का ही परिणाम है।💐💐🙏🙏

आमंत्रण

पुरस्कार विशिष्ट

यह सम्मान गोदान उपन्यास समीक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त करने पर मिला है।
इसके अंतर्गत खुली प्रतियोगिता हुई, प्रत्येक में 10/12 व्यक्तियों का चयन किया गया। शॉल-सम्मान-स्मृति चिह्न सभी को दिए गए।
राशि इतनी 1101/ 7101/ 5000 लोगों को प्राप्त हुई। फर्स्ट, सैकेंड, थर्ड को दी गई।

आभार

साहित्य साधना राष्ट्र – एक पावन समर्पण

श्री अरुण सक्सैना जी

महासचिव, अभाकाम – जयपुर

आदरणीय श्री अरुण सक्सैना जी,

सादर नमन, वंदन ।

“साहित्य साधना राष्ट्र – एक पूजा है” — इस विचार को आपने न केवल आत्मसात किया, बल्कि उसे जीवन-दर्शन बना लिया।

आपका मार्गदर्शन, प्रेरणा और उदारता ही है, जिसने मेरी लेखनी को मुंशी प्रेमचंद जी जैसे युगनायक की जयंती पर ‘गोदान’ उपन्यास की समीक्षा हेतु मंच दिया।

जहाँ शब्द रुक जाते हैं, वहाँ सम्मान बोलता है।

जहाँ लेखनी झुक जाती है, वहाँ आभार उठ खड़ा होता है।

आपने एक साहित्यकार के भीतर छिपे विचारों को राष्ट्रीय स्वर प्रदान किया।

आपका यह कार्य केवल चयन नहीं, बल्कि हिन्दी भाषा, संवेदना और राष्ट्रचिंतन के प्रति आपकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

आपके माध्यम से यह अभियान और अधिक प्रगाढ़ हुआ है। आपने सिद्ध कर दिया कि जब संगठन में संवेदना और संस्कार जुड़ जाएँ, तब वह केवल संस्था नहीं, एक सांस्कृतिक चेतना बन जाती है।

इस पावन अवसर पर मेरी लेखनी की ओर से आपको कोटिशः धन्यवाद,

आपका यह स्नेह-संवेदन बना रहे, यही कामना है।

“कलम जब वंदन करती है, तो वह दीप बन जाती है,

और जिनके हाथों में संस्कार की बाती हो —वे अरुण जैसे दीपक कहलाते हैं…”

सादर समर्पण सहित,

डाॅ. छाया शर्मा,

वरिष्ठ साहित्यकार

अजमेर, राजस्थान।

प्रस्तुति