एक शैक्षणिक अभियान का समग्र विवरण
प्रस्तुत विवरण उत्तर प्रदेश राज्य में मुजफ्फरनगर जनपद के मंडौरा ग्राम का है जिसमें निवर्तमान सैन्य अधिकारी मेजर नारायण सिंह प्राणपण से लगे हैं और उसके उन्नयन की दिशा में वो निरंतर सोचते रहते हैं तो अतिथियों के स्कूल परिसर में पदार्पण के साथ ही उन्होंने अपने व्यक्तिगत कक्ष में बैठाकर उनका स्वागत किया और कुछ क्षण के विराम के उपरांत उनको बालकों और अपने शैक्षणिक साथियों से मिलवाया। कार्यक्रम को औपचारिक रूप से आरम्भ करते हुए नारायण सिंह जी ने कहा कि
“हमारे मध्य आज जो प्रतिभाएं उपस्थित हैं वो लोग अनेकानेक संगठनों से जुड़े हैं। सरकारी संस्थाओं के द्वारा या सहायता समूह जो बने हैं उनमें काम करते हैं और शिक्षा के क्षेत्र में काफी उन्होंने प्रगति की है। उसके बारे में विवरण देकर मैं रिक्वेस्ट करूंगा कि अपने बारे में कुछ चीजें वो बताएं जो हम सब नहीं जानते हैं। हमारे बीच राजीव भाई हैं जिनको आप जानते हैं। वो पहले भी आ चुके हैं बहुत बार और विकास नागर जी हैं। उनके अपने शिक्षण संस्थान है गाजियाबाद में। वे भी शिक्षा के क्षेत्र में समाज में जहां भी उनको मौका मिलता है वे आप सबसे मुखातिब होते हैं और आपको मोटिवेट करने के लिए। अब मैं रिक्वेस्ट करूंगा प्रोफेसर डॉक्टर राकेश राणा जी से कि वो आएं और बच्चों को आशीर्वाद दें।”
राकेश जी – “मुझे सबसे ज्यादा अच्छा तो यह लग रहा है कि मेजर साब जैसे लोग देश के देश भर में इतने बड़े ओहदों पर रहकर अपने गांव में आकर शिक्षा की अलग जगा रहे हैं। सेवा कर रहे हैं। ग्रामीण अंचल में आपने फैसला लिया कि मैं यहां स्कूल खोलूं। वरना आप आराम से नौकरी करके किसी बड़े शहर में जैसे लोग रहते हैं वहां रहते और अपना सकून से आराम से जीवन जीते। जैसे जनरली लोग नौकरी में जाके अर्पित करते हैं। लेकिन वापस अपने गांव आकर जिसको आपने याद रखा।
आप यहां लौटे। आपने यहां कुछ उजाला करने की कोशिश की है और शिक्षण संस्थान आपने एक इस्टैब्लिश किया और शिक्षण संस्थान इस्टैब्लिश ही नहीं किया। उसे आगे और हायर एजुकेशन शिक्षण संस्थान तक लाने का भाई साहब का प्लान है। बराबर में आप लोगों के लिए इंटर के बाद भी कॉलेज खोलने का प्लान है। ये इसके लिए आपकी जितनी तारीफ की जाए और आपके बारे में जितना समाज में ये बात कहा जाए उतनी कम है। मुझे आपके बारे में सबसे पहले राजीव जी ने बताया के मेजर साहब एक इतना अच्छा शिक्षण संस्थान गांव में चला रहे हैं। वहां आपको एक दिन चलना है। बहुत दिन से आने का प्लान था लेकिन वो आते-आते आज अचानक से एक प्लान बना और आपके बीच आए। आपकी पढ़ाई लिखाई से ज्यादा कुछ बातें विकास जी करेंगे के हमें कैसे पढ़ना है और कैसे चीजों पर काम करना है। हमें अपना मानसिक विकास कैसे करना है। कैसे चीजें काम आती हैं। मैं आपसे कुछ महत्वपूर्ण बातें और करना चाहता हूं कि हमें अपनी किताबी पढ़ाई के अलावा भी जीवन में सीखने के लिए क्या-क्या करना चाहिए। उसमें हम टीचर्स को भी और जो प्यारे बच्चे मेरे सामने बैठे हैं इनको भी। ये कुछ चीजें हमें ध्यान से सुननी हैं। आप लोग कहानियों के बारे में अवश्य जानते होंगे?
यस सर।
>> कहानी घर में सुनते हैं कभी?
>> यस सर।
>> कहानी जब सुनते हैं तो उसके बाद भी आपके दिमाग में कुछ कुछ चलता रहता है।
>> सर >>
इसका मतलब कहानी से हम लोग आसानी से कुछ चीजें याद रख सकते हैं, सीख सकते हैं। तो अगर मैं आपको कहानी से ही कुछ चीजें पढ़ाया करूं तो आपको कैसा लगेगा?
अच्छा >> अच्छा लगेगा >> कहानी से ही मैं आपको हिस्ट्री पढ़ाऊं। कहानी से ही मैं आपको भूगोल पढ़ाऊं। कहानी से ही मैं आपको विज्ञान पढ़ाऊं। कहानी से ही मैं आपको अर्थशास्त्र पढ़ाऊं। कहानी से ही मैं आपको आर्ट पढ़ाऊं। कितना बढ़िया रहेगा।
>> यस सर।
>> आप लोग मुझे भी कोई कहानी सुना सकते हैं? कितने ऐसे बच्चे हैं जो कोई कहानी सुना सकते हैं? कोई सुनाएगा? शाबाश।
अरे वाह आओ।
एक बालिका ने सुनाई एक कछुए और खरगोश की कहानी। एक समय की बात है। एक एक कछुआ और एक खरगोश रहते थे। तो उन दोनों में एक दिन कुछ बहस हुई और उन दोनों ने फैसला करा कि हम एक प्रतियोगिता रखेंगे और उसमें देखेंगे कि कौन कौन तेज भाग सकता है तो फिर कुछ दिनों बाद उनकी प्रतियोगिता हुई और उसमें खरगोश और कछुए की जैसे तो प्रतियोगिता हुई तो खरगोश ने सोचा कि मैं तो कछुए से काफी तेज भाग सकता हूं तो मैं तो उससे आसानी से जीत जाऊंगा। इस वजह से जैसे उनकी प्रतियोगिता शुरू हुई तो खरगोश भागने लगा। लेकिन कुछ देर बाद आगे खरगोश थक गया और वह आराम करने लगा। इतने ही वक्त में कछुआ। >> कछुआ आगे निकल गया और वह प्रतियोगिता जीत गया। धन्यवाद।
>> बहुत अच्छे से बिटिया ने कहानी सुनाई। तो इसका ये आशय है इस बातचीत का इस कहानी का आपको बताने का इस बिटिया से कहानी यहां कहलवाने का के इन चीजों से हम आसानी से सीख सकते हैं। इस कहानी का क्या अर्थ है कि एक तो जीवन में निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। एक हमें अपनी ताकत पर ज्यादा घमंड नहीं करना चाहिए। हमारी सफलता का राज किस में है कि हम सतत प्रयास करते रहे। ज्यादा नंबर आ जाने से या कम नंबर आ जाने से इससे कुछ नहीं होता। ज्यादा नंबर आ जाने से कोई ज्यादा होशियार नहीं होता। है ना? एक कम नंबर और एवरेज नंबर वाला बच्चा भी जीवन में अगर वह लगातार उस लेवल को अपने मेंटेन करता है, लगातार उस धीमी गति से भी आगे बढ़ता है, तो वो सफल निश्चित रूप से होता है। हमेशा हमें पॉजिटिव और सकारात्मक सोच के साथ जीवन में रहना है। कभी किसी से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए कि इसके मेरे से बहुत ज्यादा नंबर आ गए तो मैं उससे चिड़ूँ या उससे इर्ष्या करूं या उससे स्पर्धा करूं या अगर मेरे दो नंबर कम आ गए मेरे उससे कुछ नंबर कम आ गए तो मैं कोई पीछे हूं या उससे कम हूं। ऐसा नहीं है। नंबर कोई ऐसी चीज नहीं है। नंबर जब हम आप लोगों को देते हैं तो कई बार इसलिए भी दे देते हैं कि इसने ज्यादा साफ सा लिख दिया है या इसने थोड़ा लंबा लिख दिया है। इसने कम लिख दिया और कई बार हमें इसलिए भी हम आपको ऐसे नंबर देते हैं कि सबके एक जैसे नंबर हो जाएंगे तो फिर थोड़ा अच्छा नहीं रहेगा। थोड़ा सिस्टम को बनाने का और आपस में भी एक कंपिटिटिव भाव रहे। आपस में भी थोड़ा और ज्यादा मेहनत करने की आकांक्षा रहे। इसके लिए भी हम थोड़ा बहुत जब टीचर आपका मूल्यांकन करता है तो नंबर आगे पीछे एक दो कम ऊपर नीचे कर देता है। इस कहानी को अभी हमने आपके सामने सुनाया है। अगर मैं आपसे कहूं कि इस कहानी को लिख कर दिखाओ। तो आप में से सब बच्चे इस कहानी को अलग-अलग ढंग से लिखेंगे। कोई इसकी शुरुआत किसी तरीके से करेगा। भले ही उसमें इतना ही अंतर रहे। कोई खरगोश पहले लिखेगा तो कोई कछुआ पहले लिखेगा। लेकिन सबका अपना एक अलग स्टाइल होगा।
ये दो तरीके हो गए। एक हमने सुनवाया उसका पाठ किया कहानी का। दूसरा हमने लिखवाया अपने बच्चों से और तीसरा भी अगर मैं इसका फॉर्मेट कहूं तो इसे चित्रों के माध्यम से बच्चे मुझे बनाकर दिखाएं है ना कि यहां कछुआ बनाया यहां खरगोश बनाया दोनों एक साथ बराबर बराबर खड़े थे फिर दोनों उस प्रतियोगिता के लिए दौड़े तो खरगोश तेजी से दौड़ रहा है आगे जा रहा है कछुआ पीछे है फिर खरगोश का चित्र आगे हमने पेड़ के नीचे सोते हुए बनाया है लेकिन कछुआ ना कहीं रुका ना पेड़ की छाव में रुका ना थका सतत चलता रहा और खरगोश से पहले अपने मकसद पर अपने गंतव्य पर पहुंच गया है ना अलग इसका और चौथा फॉर्मेट भी हो सकता है जो आजकल बहुत पॉपुलर है आजकल डिजिटल वर्ल्ड का जमाना है वीडियो बनाई जा सकती है रील बनाई जा सकती है इस कहानी की कल्पना करके है उस इस कहानी को हम वीडियो के जरिए भी दर्शा सकते हैं, दिखा सकते हैं। इन बातों का चर्चा करने का मकसद मेरा यही है। खासतौर से अपने शिक्षक साथियों के साथ भी और बच्चों के साथ भी कि अगर हम उस कहानी को बोल के सुना रहे हैं। है ना? या उसका पाठ कर रहे हैं। तो इससे एक तो हमारा जो बोलने का वो है। उसमें सुधार होता है। हम बोलना सीखते हैं। हमारे खड़े होने का एक कॉन्फिडेंस हम में आता है। है ना? पाठ करना आता है। है ना? शब्दों का उच्चारण ध्वनि किस चीज के साथ होना है ये हम सीखते हैं। यह भी तो हमारे शिक्षण का हमारी पढ़ाई का हिस्सा है। जब हम उसे लिखते हैं तो हमारे लेखन में सुधार होता है। हमारी भाषा का स्तर सुधरता है। हम सही और गलत शब्द लिखना सीखते हैं। है ना? उससे हमारा कंसंट्रेशन सुनने पढ़ने से भी ज्यादा बनता है। जब हम लिखते हैं। हमारे दिमाग में वो चीज और गहरे बैठती है। और जब हम चित्र बनाते हैं तो उसमें सुनना और लिखना दोनों काम आता है। है ना? क्योंकि चित्र आप तभी किसी चीज का खींच सकते हैं जब वो आपने बहुत ध्यान से सुनी है। बहुत ध्यान से आप उसका लेखन करते हैं। आपके दिमाग में वो चीजें जमे हुई है। और जब आप उसे डिजिटल फॉर्म में दिखाएंगे किसी वीडियो में जमाएंगे तो उसमें आपके दिमाग और काम करेगा कि इसे कैसे सुंदर वीडियो में दिखाना है। कैसे विजुअलिटी लाना है। कैसे लोगों को यह अट्रैक्टिव लगेगी तब आपका मानसिक विकास आपका ज्ञान आपकी क्षमता और विकसित होती है। इन सारी बातों से मेरा मकसद यही है बच्चों आपके साथ कि हम किसी भी काम को किसी भी चीज को जब सीखें तो उसे और वैकल्पिक तरीकों से करना भी सीखें।
चाहे वह कोई साइंस का अध्ययन आप कर रहे हैं। चाहे कोई पाठ लिटरेचर का, कहानी का, कविता का आप कर रहे हैं। चाहे गणित का कोई काम कर रहे हैं। है ना? गणित के सवाल को हम ऐसे ऊपर नीचे लिख के भी जोड़ सकते हैं और ऐसे लंबी लाइन में रखकर भी जोड़ सकते हैं। किसी और तरीके से भी खोज सकते हैं और इसे कैसे जोड़ा जा सकता है। मौखिक रूप से भी फिर हम जोड़ना सीखते हैं कि बिना लिखे हमें दिखाए हम मौखिक रूप से कैसे जोड़ें? कोई और उसकी और नई युक्ति ढूंढते हैं। उससे भी हमारा मानसिक विकास होता है। तो हमें हमेशा कुछ प्रयोगों पर ध्यान देने की जरूरत होती है। नए एक्सपेरिमेंट करने की जरूरत होती है। और! इससे बच्चों में एक नई उत्सुकता आती है। और उन सारी चीजों पर हम लगातार सोचें काम करें। हम अपने बच्चों से यह भी कह सकते हैं कि हमारे प्रांगण में हमारे विद्यालय के कैंपस में कितनी तरह के पेड़ हैं। इससे आप काउंटिंग भी सीखते हैं। पेड़ों को पहचानना भी सीखते हैं और आपके अंदर एक सीखने का नया स्टाइल नयापन भी कुछ आता है। है ना? हम अपनी हम अपनी डस्टबिन में भी बच्चों को सर्वे करा सकते हैं। किस डस्टबिन में कैसा कूड़ा डालते हैं? क्यों डालते हैं? है ना? उसका क्या कारण है? किस कूड़े से क्या खतरा है? है ना? इसलिए उसे अलग-अलग सेग्रगेट रखना जरूरी है। जब हम बचपन से ही इन चीजों की एक्सरसाइज करेंगे तो हमारा समाजीकरण अपने आप बेहतर ढंग का होगा। हम एक अच्छे सभ्य नागरिक बनकर अपने विद्यालय से निकलेंगे तो हमारी पहचान होगी कि हम उस स्कूल के बच्चे हैं। हम मेजर साहब के संस्थान से पढ़े हुए बच्चे हैं। ये हमारी एक पिक्चर है। हमारी एक पहचान है। तो इस तरह से हमें काम करना है। अपनी शिक्षा को अपने संस्कारों को दुरुस्त रखना है। और बातचीत लगातार होती रहेगी। मुझे आपके शिक्षण संस्थान में विद्यालय में आकर बेहद अच्छा लगा है। मैं मेजर साहब से कहूंगा कि जब भी आपके पास कोई ऐसा मौका हुआ करे कोई ऐसी अपॉर्चुनिटी हुआ करे भले ही वो जब आप कोई ऑलरेडी कोई ऐसा काम कर रहे हो 26 जनवरी 15 अगस्त तो ऐसे मौकों पर मैं जरूर आपके बीच आऊं और धीरे-धीरे आपके साथ और कुछ एक्सपेरिमेंट खुद करने की क्लास में रहकर बात करने की लिखवाने की बनवाने की ये भी कुछ आपके साथ प्लान करूंगा। अभी राजीव भाई हमारे हैं। वह बच्चों के लिए कुछ कहानियां तैयार कर रहे हैं और वह हम अलग सब्जेक्ट टू सब्जेक्ट प्लान कर रहे हैं कि एनवायरमेंट को लेकर किस तरह की कहानियां लिखी जा सकती हैं। जिससे बचपन से ही बच्चों में एनवायरमेंट के प्रति एक संवेदनशीलता बने। साइंस सीखने के लिए कैसी विज्ञान की कहानियां डेवलप कर सकते हैं। छोटी छोटी कहानियां जिनसे बच्चे और प्रभावी ढंग से एक्सपेरिमेंट और विज्ञान को करना सीख सकते हैं। समझ सकते हैं। इतिहास को कहानियों के जरिए कैसे जाना जा सकता है। अपने भूगोल को कैसे जाना जा सकता है। है ना? इन सारी चीजों पर लगातार आपके बीच कुछ कुछ काम करेंगे और आप मुझे बुलाया। मेजर साहब का विशेष धन्यवाद। राजीव भाई का विशेष धन्यवाद। यहां के शिक्षक साथियों का विशेष आभार धन्यवाद और आप बच्चों को बहुत बधाई बहुत प्यार सिंपल लग रही है।”
मेजर नारायण – “बच्चों को लग रहा होगा कोई नई बात नहीं है। लेकिन उसमें बहुत बड़ा एक मैसेज छुपा है और वो मैसेज है कि हम एक ही काम को यदि हम कई प्रकार से करें। एक तो होता है एकेडमिकली जो हम क्लास में बैठ के सुनते हैं, सीखते हैं जब लेक्चर होता है टीचर्स का एक होता है हम उसको व्यावहारिक रूप से करें। जमीन पर जाके करके देखें जो हमारे गुरुकुल में होता था पहले व्यावहारिक शिक्षक तीसरा है उसको चित्र बनाके करें जो अभी सर ने बताया है तो कई तरीके से हम किसी चीज को सीखेंगे तो उसको हम कंप्लीटली पूरी तरह जानते हैं उसको आप उसको भूल ही नहीं सकते एग्जाम में आप उसको नहीं भूल सकते जिसको आपने कम से कम दो तरीकों से सीख लिया लेकिन हम क्या करते हैं आम तौर पे उसको याद कर लेते हैं और सोचते हैं कि जाके हम एग्जाम में लिख देंगे वैसे तो ये जो पद्धति है याद करके एग्जाम में लिखने वाली वो भारतीय पद्धति नहीं है। लेकिन अब जैसा भी चल रहा है हम उससे बाहर नहीं जा सकते। जो भी पद्धति या जो भी अरेंजमेंट है हम उसके अंदर रह के काम करते हैं। लेकिन जो इसमें अंदर जो हम इंप्रूवमेंट कर सकते हैं वो प्रोफेसर साहब ने बताया है वोबहुत ही अच्छा बताया है। मुझे मैं भी इस पर ध्यान दूंगा। हालांकि मैं अक्सर एक कहानी सुनाया करता हूं बच्चों को के दुनिया में आजकल क्या हो रखा है कि जब बच्चे पढ़ते हैं या हम भी टीचर्स भी जो यहां आते हैं तो दूसरे लोग कमेंट करते हैं कि ये तो फला स्कूल में पढ़ता है। ये तो पता नहीं क्या जो उनका कमेंट आता है। तो वो दुनिया से कोई मतलब नहीं है। अपने राह पे चलते रहिए। इसके बारे में एक कहानी सुनाया करता हूं मैं बच्चों को कि एक बाप बेटा थे वो गधा ले आ रहे थे खरीद के। तो दोनों पैदल आ रहे थे। पहले गांव में पहुंचे तो लोग हंसने लगे कि ये तो बेवकूफ है। बाप बेटे दोनों गधा खाली जा रहा है। खुद पैदल जा रहे हैं। तो बाप ने बोला बेटे तू बैठ ले। मैं पैदल चल लेता हूं। अगले गांव में पहुंचे तो कहने लगे बेटा बड़ा निर्दय है। बूढ़े बाप को पैदल चला रखा है और खुद बैठा है गधे पर। तो उसने कहा बापू तुम ऊपर आ जाओ। मैं नीचे चल लेता हूं। उससे अगले गाँव में गए बाप कितना निर्दयी है। बच्चे को पैदल चला रखा है। खुद ऊपर बैठा है गधे पे। तो उसने कहा बेटा तू भी आजा। तो दोनों बैठ गए गधे पे। तीसरे गांव में गए तो कहने लगे दोनों ने गधा बोझ मार रखा है। तो आखिर में उन्होंने चौथे तीसरे गांव पार करके बोला बेटा जैसा हमें करना है अपने तरीके से चलेंगे। हमें इनकी बात नहीं सुननी। तो आपका जो उद्देश्य है वो है शिक्षा प्राप्त करना। किस तरीके से करना है? आपके गुरुजन आपको बताते हैं। आपके पेरेंट्स आपको बताते हैं। कुछ आप माहौल से सीखते हैं। कुछ आप अपने फेवरेट टीचर से सीखते हैं। इनको आदर्श आप मानते हैं। तो आज आपके बीच में बहुत बड़ी-बड़ी हस्तियां हैं। जिनको हम जो हमारे लिए उपलब्ध होते हैं। कई बार हम उनको कम आंकते हैं लेकिन ये गलत बात है। हमारे बीच में जो जिस रूप में आए हैं वो महान है और इसका पता आपको तब पता लगेगा जब आप स्कूल से निकल जाएंगे। तो आपको मालूम चलेगा कौन लोग आते थे। हमें क्या बातें बताया करते थे। कॉलेज में जाकर बच्चों को स्कूल समझ आता है और जब रिसर्च करते हैं तब कॉलेज समझ आता है। >> समझ आता >> और जब प्रोफेसर बन जाते हैं तब रिसर्च समझ आती है। अब हम आमंत्रित करते हैं विकास सर को जो आपको जीवन उपयोगी बातें बताएंगे। आइए विकास सर।”
विकास – “बहुत अच्छा लग रहा है आपको देख के कि इस टाइम भी आपकी एनर्जी इतनी हाई है तो सारे बच्चे बहुत मोटिवेटेड है। पहले तो ये देखकर बड़ा अच्छा लग रहा है। सेकंड मैं सर का थैंक करना चाहूंगा कि हमें अपॉर्चुनिटी दी कि हम इतने प्यारे बच्चों के सामने आके अपनी बात कह सके और मैं भी अपने सभी शिक्षक साथियों का भी धन्यवाद करना चाहूंगा। तन्मयता के साथ चीजें सुन रहे हैं और हमारे लिए चीजें हरी की है। तो जैसा कि राणा सर ने आपको बड़ी अच्छी बातें बताई। सर ने आपको एक स्टोरी बताई। हमारी बिटिया बहुत सी स्टोरी बता के गई है। मैं इन सारी चीजों को सिर्फ एक चीज से कनेक्ट करना चाहता हूं और वो है आपका ब्रेन। ब्रेन सभी के पास है? >> सर। >> घर पे तो नहीं रख के आया ना कोई? >> नो सर। >> ओके। चलिए आज ब्रेन पे बात करते हैं। ब्रेन का फोटो देखा होगा किसी ने?
>> यस सर। तो ऐसा होता है ना बीच में गैप है और दोनों साइड वो ब्रेन लगा हुआ है। यही पिक्चर देखी होगी सबने। >> मतलब अगर हम देखें एक तरीके से तो वो दो ब्रेन होते हैं। एक लेफ्ट ब्रेन और एक राइट ब्रेन। एग्री? >> यस सर। >> अब दो ब्रेन का काम क्या होता है हमारा? लेफ्ट ब्रेन जो हमारा काम करता है और जो राइट ब्रेन काम करता है क्या दोनों से हम काम करते हैं? >> क्या वो दोनों बराबर प्रोपोशन में मिले हुए हैं हमें? अच्छा लेफ्ट ही बच्चे हैं ना हमारे स्कूल में जो लेफ्ट हैंड से लिखते हैं।
>> जो लेफ्ट हैंड से लिखते हैं उनको राइट ब्रेन ज्यादा मिला हुआ है। और जो राइट हैंड से लिखते हैं उनको लेफ्ट ब्रेन ज्यादा मिला हुआ है। अब इनका काम क्या होता है? लेफ्ट ब्रेन का और राइट ब्रेन का कोई चीज आपने सुबह के टाइम पढ़ी और आप शाम तक भूल गए। ऐसा सबके साथ होता है? >> सर >> जब मैं पढ़ता था मेरे साथ भी ऐसा ही होता था। है ना? जैसे ही आपका सुबह पड़ा और शाम को आप भूल गए तो वह चीजें आपकी कॉन्शियस माइंड में गई। कॉन्शियस माइंड जिसको हिंदी में चेतन मन बोलते हैं और वह हमारी शॉर्ट टर्म मेमोरी होती है। शॉर्ट टर्म मेमोरी मतलब हमने सुबह पढ़ा और शाम को भूल गए। दूसरा ब्रेन होता है हमारा सबकॉन्शियस माइंड। अवचेतन मन बोलते हैं हिंदी में। उसकी फंक्शनिंग क्या होती है कि वो बहुत लंबे टाइम तक चीजें याद रखता है। कुछ चीजें ऐसी होती है ना आपने आज सुबह पढ़ी और एग्जाम भी निकल गए लेकिन आपके माइंड में वो रहेंग हमेशा होता है ना ऐसा भी >> ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वो जो बात है वो आपके सबकॉन्शियस माइंड में चली गई है। परमानेंट मेमोरी में चली गई है। अब वो कभी डिलीट नहीं होगी। तो अब आप समझे सारा काम किस चीज का है? माइंड का। आप जितने अच्छे से अपने माइंड को चैनलाइज करोगे उतने ही ब्रिलियंट बनते चले जाओगे। आपने एक वर्ड भी सुना होगा आईक्यू। जो बच्चा ब्रिलियंट होता है उसको बोलते हैं ना कि इसकी आईक्यू बहुत तेज है। वो डेवलप करनी हमारे खुद के हाथ में होती है। वो ऐसा नहीं है कि नेचर ने उनको आईक्यू दे दिया है। हम अपने ब्रेन को कैसे चैनलाइज करेंगे? वो सब हमारे हाथ में है। अब मैं एक छोटा सा सिंपल क्वेश्चन पूछना चाहता हूं सभी से बच्चों से भी, अपने शिक्षक साथियों से भी कि जो हमारा ब्रेन होता है वो 24 घंटे काम करता है। >> विचार शून्य नहीं होता है ना। विचार शून्य का मतलब अगर मैं इंग्लिश में बोलूं तो थॉटलेस माइंड नहीं होता है। आप बिल्कुल फ्री बैठ जाओगे ना ये सोच के कि मैं कुछ भी नहीं सोचूंगा तो भी आपका माइंड कुछ ना कुछ सोचता रहेगा। एग्री? >> सर। तो क्या कुछ ऐसा प्रोसेस है कि हमारा माइंड बिल्कुल ही सोचना बंद कर दे ऐसा तो नहीं है ना थॉटलेस माइंड होना इज अ वेरी फाइन स्टेज ऑफ ब्रेन सबसे टॉप लेवल की स्टेज होती है वो लेकिन अगर मैं बोलूं कि आप कर सकते हो क्या कर पाएंगे >> छोटा सा प्रैक्टिकल करके देखें >> यस सर >> बड़ी इंटरेस्टिंग सी एक्सरसाइज है ठीक है
>> अच्छा अभी आपको 30 सेकंड के लिए सिर्फ मेरी तरफ देखना है और अपने माइंड में कुछ भी नहीं सोचना है। ओके? बिल्कुल थॉटलेस माइंड होके 30 सेकंड मेरी तरफ देखना है। मैंने गगल्स लगाए हुए हैं। चश्मे लगाए हुए हैं। स्पेक्स इनको देखिए 30 सेकंड के लिए। माइंड में कुछ नहीं सोचना है। और सभी आप प्लीज टीचर्स भी मैं सबसे रिक्वेस्ट करूंगा। आप सभी ये करें 30 सेकंड के लिए। एंड योर टाइम स्टार्ट्स नाउ। बिल्कुल थॉटलेस माइंड। कुछ नहीं सोचना है। सर चलिए टाइम अप करते हैं। कोई ऐसा बच्चा है या कोई टीचर ऐसे हैं जो ये बोलते हो कि नहीं सर हम बिल्कुल थॉटलेस हो गए थे। हमारे माइंड में कोई भी थॉट नहीं आई। क्या ऐसा हुआ? >> नहीं हुआ। क्योंकि माइंड कभी भी थॉटलेस हो ही नहीं सकता। क्योंकि अगर हम यह सोच के भी बैठ जाए कि हम कुछ सोचेंगे ही नहीं। तो सबसे पहली थॉट तो हमारे मन में यही आ गई कि हम सोचेंगे ही नहीं कुछ। फिर आप मेरी तरफ देखते रहोगे तो सोचोगे कि सर के चश्मे अच्छे नहीं लग रहे। सर की शर्ट अच्छी लग रही है। सर की पट अच्छी नहीं लग रही। कुछ ना कुछ सोचोगे जरूर। पता नहीं कहां से आए हैं। क्या करा रहे हैं। क्या निकलेगा यहां से। कुछ ना कुछ थॉट आएगा आपके माइंड में, लेकिन अगर आप ब्रेन एक्सरसाइज करेंगे तो ब्रेन एक्सरसाइज जो होती हैं वो आपके माइंड को थॉटलेस करती हैं और जिसका माइंड जितना थॉटलेस होगा जितना विचार शून्य होगा उसकी आईक्यू उतनी ही पावरफुल होगी। मानते हैं ये तो अगर ज्यादा आप पढ़ रहे हैं और आपका फोकस पढ़ने पे ही है सारा कंसंट्रेशन। दैट मींस कि आपका जो माइंड है वो थॉटलेस है। आपकी सिर्फ एक ही चीज पर फोकस है और वो है आपकी स्टडी। जब आप फोकस से स्टडी करेंगे तो चीजें समझ में भींगी। अब माइंड को थॉटलेस करने का प्रोसेस बताऊं आपको? अब आपके ब्रेन को थॉटलेस करने का प्रोसेस बताऊं? >> यस सर। >> आप सबको ब्रिलियंट बनाता हूं। है ना? बिल्कुल थॉटलेस माइंड हो जाएगा आपका। ठीक है। मैं आपके बीच में आके बात करना चाहूंगा अभी। ठीक है? और मैं टीचर से भी रिक्वेस्ट करूंगा कि वो चीज आप करें जो मैं कराऊंगा तो पता चलेगा कि हां माइंड जो है वो हमारा थॉटलेस हो सकता है। ओके? >> यस सर। >> अभी राइट हैंड से? >> लेफ्ट हैंड से ऐसे बन बनाइए। हो गया। अपनी आंखों के सामने ऐसे लेकर आइए। और जैसे मैं करूंगा आपको वो करना है। करना क्या है? पहले सुन लीजिए। बाद नहीं करना है। आपको क्विक स्विच करना है। जैसे कि अभी यह फाइव है और यह वन है। आपको वन फाइव मतलब इससे वन कर देना है और इसको फाइव कर देना है। अब देखिए ध्यान से मैं कर पा रहा हूं ना इजीली हो रहा है? >> यस सर। >> अब आप करके दिखाइए। सभी बच्चे अपने हाथ की तरफ देखेंगे और वन फाइव वन फाइव करेंगे। किसी से नहीं होगा। आई गारंटी किसी से नहीं होगा। बट आप करेंगे। आप 30 सेकंड लगातार कीजिए। >> आप प्लीज सर आप भी ट्राई करके देखना। करो >> यस गुड तेज करो थोड़ा >> हां 30 सेकंड तक कीजिए आप >> ऐसे करके >> कर सकते हैं जब आप >> कर सकते हैं प्रैक्टिस से कर सकते जब आप ये कर रहे थे। क्या हुआ कि आपका माइंड क्या है वो आपके माइंड में कोई विचार नहीं आ रहा है। आप सिर्फ एक ही दिमाग को खाली करना पढ़ने बैठते हो अपने विचार कोलेस कर देंगे माइंड को बिलकुल जीरो कर देंगे तो क्या होगा जो भी आप चीजें पढ़ेंगे वो ज्यादा समझ में आएंगी आपको ब्रेन क्या होगा शार्प होगा क्लियर तो इसको ब्रेन एक्सरसाइज बोलते हैं। >> ये रोज करनी है। तो आज से आपको एक काम करना है। जब भी आप अपना होमवर्क करने के लिए बैठेंगे सिर्फ तीन मिनट के लिए। कितनी देर के लिए? >> तीन मिनट। >> तीन मिनट के लिए ये ब्रेन एक्सरसाइज आप कंटिन्यू करेंगे। 1515 ठीक है? इससे क्या होगा? आपका जो ब्रेन है वो थॉटलेस होना स्टार्ट हो जाएगा। आपके जो ब्रेन की जो ब्रेन होती है या जो मेमोरी होती है तो वो आपका सबकॉन्शियस माइंड जो परमानेंट मेमोरी होती है वो एक्टिवेट हो जाएगी। और जैसे ही आपकी परमानेंट मेमोरी एक्टिवेट होगी और आप बुक्स पढ़ेंगे तो चीजें आपको ज्यादा लंबे समय तक याद रहेंग। क्लियर है? >> यस सर। >> समझ आया? >> यस सर। >> चलिए क्या होता है अबेकस? कौन बताएगा?
>> अबेकस फर्स्ट कंप्यूटर। >> फर्स्ट कंप्यूटर। ओके। थोड़ा सा और बताएंगे बेटा इसके बारे में थोड़ा सा और अच्छा। अबेकस का टूल देखा है किसी ने? उसमें बीड्स होती है उसे काउंट करते हैं। >> यस सर। चलिए अबेस होता है ब्रेन एक्सरसाइज और हमारे मैथमेटिक्स का कॉम्बिनेशन। बेटा बैठ जाइए प्लीज। थैंक यू वेरी नाइस। तो कॉम्बिनेशन होता है। उससे क्या होता है? हम टूल के थ्रू मैथमेटिक्स सीखते हैं। मैथमेटिक्स सीख रहे हैं। हमारी कैलकुलेशन स्ट्रांग हो रही है। और दूसरा काम क्या होता है? अबेकस का? हमारे माइंड को चैनलाइज करता है। हमारे कंसंट्रेशन को बढ़ाता है। ठीक है? तो हम जब भी नेक्स्ट विजिट करेंगे तो मैं आपको अबेकस की डेमो क्लास देकर जाऊंगा। आप उसकी भी कंटिन्यू प्रैक्टिस करेंगे। ओके >> यस सर।”
इस अभ्यास सत्र के उपरांत अतिथियों का स्वागत और माल्यार्पण शिक्षकों तथा विद्यार्थियों के माध्यम से कराया गया।
सारांश और विशिष्टता
गांव के शिक्षण संस्थान में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में विभिन्न शिक्षाविदों और विद्वानों ने बच्चों को प्रेरित किया।
प्रो. डॉ. राकेश राणा ने कहानी के माध्यम से शिक्षा की बहुआयामी पद्धतियों पर जोर दिया—पाठन, लेखन, चित्रांकन और डिजिटल प्रस्तुति। उन्होंने बच्चों को निरंतर प्रयास और सकारात्मक सोच का महत्व समझाया।
मेजर नारायण ने व्यावहारिक शिक्षा और भारतीय परंपरा के अनुरूप बहुविध तरीकों से सीखने की आवश्यकता पर बल दिया।
विकास नागर ने बच्चों को दिमाग (ब्रेन) की कार्यप्रणाली समझाते हुए ‘ब्रेन एक्सरसाइज’ कराई और अवचेतन मन की स्मरण शक्ति का महत्व बताया। उन्होंने अबेकस के जरिए गणितीय कौशल और एकाग्रता विकसित करने की दिशा भी बताई।
अंत में विद्यार्थियों व शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और अतिथियों का स्वागत व माल्यार्पण किया।
विशेषताएँ (Features)
प्रमुख उद्देश्य – बच्चों को नई शिक्षण पद्धतियों और व्यावहारिक शिक्षा से जोड़ना।
कहानी की भूमिका – कहानियों के माध्यम से सीखने को सरल, रोचक और यादगार बनाना।
शिक्षा के चार रूप – सुनना, लिखना, चित्र बनाना और डिजिटल प्रस्तुति।
संदेश – निरंतर प्रयास, सकारात्मक सोच और तुलना से बचना।
ब्रेन एक्सरसाइज – विचार शून्यता और एकाग्रता के अभ्यास द्वारा स्मृति व IQ को बढ़ाना।
अबेकस का महत्व – गणितीय क्षमता और मानसिक संतुलन का साधन।
समग्र विकास – अकादमिक पढ़ाई के साथ-साथ व्यावहारिक, मानसिक और सांस्कृतिक विकास पर बल।
गांव स्तर पर शिक्षा – बड़े शहरों की बजाय ग्रामीण क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ज्योति जलाने की पहल।
👉 यह सारांश और विशेषताएँ मिलकर पूरा चित्र प्रस्तुत करते हैं कि कार्यक्रम केवल औपचारिक नहीं था, बल्कि बच्चों को जीवन भर उपयोगी शिक्षण दृष्टि देने वाला प्रेरणादायक सत्र रहा।
सूचना स्रोत
गूगल
पाठ्य स्रोत
Note GPT