माँ वैष्णो देवी
अबकी बरस मैया,मैं
तेरे जम्मू आऊँगी।
जम्मू आऊँगी,
मैं अपना वादा निभाऊँगी।
लाख सवाली आते हैं,
महारानी तुझे मनाते हैं।
लाल चुनरिया लाल चूड़ियाँ
लाकर तुझे पहनाते हैं।
मैं भी आकर दर पर तेरे
अपना शीश नवाउंगी।
अब की बरस मैया……….
लाख सवाली आते हैं
महारानी तुझे मनाते हैं
ध्वजा नारियल लाकर तेरे
दर पर चढ़ाते हैं।
मैं भी आकर दर पर तेरे
मैया तुझे मनाऊँगी।
अब की बरस………
लाख सवाली आते हैं
जयकारा तेरा लगाते हैं
जय माँ अम्बे जय मां अम्बे
कहते जाते हैं।
मैं भी आकर दर पर तेरे
तेरा जयकारा लगाउँगी।
अब की बरस मैया…….
जिओ और जीने दो
हमें तो सभी को खुशियां बांटनी है।
हमें रुलाने या कहा जाए सजा देने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ
ईश्वर का है। कहते हैं ना पहला सुख निरोगी काया।तो अपने लिए अपने अपनों के लिए जिया कीजिए। मुस्कुराया कीजिए महकते गुलाबों की तरह। उन गुलाबों से सीखिए जीना ,
जो खुद तो कांटों पर जीने का जिगर रखते हैं,
दर्द बेशक उनको भी होता है मगर
मुस्कुराने का हुनर रखते हैं।
विश्व बेटी दिवस पर मेरी लिखी कविता….
बेटी की व्यथा
मैं भी पा जाती बुलंदिया
मगर बेड़ियों ने मुझे जकड़ा था।
तू बेटी है नहीं करना तुझे ये सब
मेरी मां का ये कहना था।
क्या करना है तुझको आखिर
क्यों तुझको ज्यादा पढ़ना है।
तुझको तो जाकर अगले घर भी
चूल्हा चौका ही तो करना है।
भाईयों की तरह ना तुझको
कोई नौकरी करना है।
मत पंख फैला उड़ने की सोचें
उड़कर तुझको क्या करना है।
तुझको तो जाकर अगले घर भी
चूल्हा चौका ही तो करना है।
बेटी के लिए स्नेह
आज तो मैं ज़ी भर के लाड लड़ाऊंगी।
मेरी अज़ीज़ हो तुम आज तो तुम्हारे हर नखरे उठाऊंगी।
बादल उदासियों के घेरे हो तुझको तो,
मेरे रब से तेरे खातिर खुशियां मैं मांग लाऊंगी।
तेरे चेहरे पर खुशी छलकाने के लिए जमाने से लड़ जाऊंगी।
चिड़ियों सी चहक तेरी सुनने को दिल करता है,
सच कहती हूं कि
जल्दी तुझे बार – बार गले लगाने को दिल करता है।
बेताब रहती है निगाहें, भरने को तुझे बाहों में।
दुनिया की नज़र से बचकर छिपा लूं तुझे निगाहों में।
तुझे देखे तुझे गले लगाये बिना मेरा वक्त नहीं कटता।
तुझे देखूं तुझे निहारूं बस दिल अब तो मेरा करता।
माया शर्मा/ स्वरचित