यात्रा वृत्तांत (टोडारायसिंह से ऊंझा)
अवधि
दिनांक 08 अप्रैल 2025 से 13 अप्रैल 2025 तक
कुल सदस्य – 10
प्रथम दिवस
प्रातःकाल 8.00 बजे परिवहन निगम की बस से अजमेर रवाना हुए। 11.45 बजे अजमेर बस स्टैंड पर उतरे। वहाँ से बस द्वारा पुष्कर तीर्थस्थल पर गये। घाट पर स्नान कर भारत का एक मात्र मन्दिर ब्रह्मा जी के दर्शन किए। सायंकाल बस द्वारा अजमेर रेल्वे स्टेशन पहुंचे। 7.00 बजे अजमेर-पुरी एक्सप्रेस रेल से रवाना होकर रात्रि 1.00 बजे ऊंझा (गुजरात) स्टेशन पर उतरे।
द्वितीय दिवस
ऊंझा स्टेशन से ऊमिया माता स्थान पर ऑटो द्वारा पहुंचे। प्रातःकाल दैनिक दिनचर्या से निवृत्त होकर ऊमिया माता के दर्शन लाभ प्राप्त हुए। मन्दिर के बाहर पेड़ पर पक्षियों के चुग्गा हेतु बर्ड फीडर संस्थान के सचिव महोदय के सहयोग से बांधा गया। भीषण गर्मी में पक्षियों के लिए दाना पानी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने साहित्य मंच की पहल को पुण्यदायी बताया। भोजन से निवृत्त होकर हम सब बस द्वारा अम्बाजी के लिए निकल पड़े। दोपहर बाद में अम्बा जी के मन्दिर में मां दुर्गा के दर्शन किए। इसके बाद बस द्वारा आबू रोड (राजस्थान) में आ गए। होटल में रात्रि विश्राम किया।
तृतीय दिवस
प्रातःकाल बस से माउंट आबू गए। अल्पाहार लेकर टैक्सी के माध्यम से माउंट आबू के अर्बुदा देवी, संत सरोवर, गुरु शिखर, देलवाडा का जैन मन्दिर, नक्की झील, सन सेट पाइंट आदि देखे। पहाडों से घिरा हुआ क्षेत्र रमणीक स्थान माउंट आबू है। गर्मी के दिनों में यहाँ का तापमान ठंडा रहता है। हर कोई सैलानी इस स्थान पर आना चाहता है। राजस्थान का मिनी कश्मीर माउंट आबू माना जाता है। विदेशी लोग भी इस स्थान पर आने से नहीं चूकते हैं। सायंकाल बस द्वारा आबू रोड होटल में आ गए। भोजन आदि से निवृत्त होकर रात्रि विश्राम किया।
चतुर्थ दिवस
आबू रोड से प्रातःकाल बस से उदयपुर के लिए रवाना हुए। उदयपुर में ऑटो के माध्यम से सहेलियों की बाडी, जगदीश मन्दिर, फतह सागर, पिछोला झील, संग्रहालय, बच्चों की रेल मे बैठकर आनन्द लिया। उदयपुर शहर को झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर भी विदेशी लोग भ्रमण पर आते हैं। विदेशी लोगों के साथ बातचीत कर फोटो लिए गए। संग्रहालय में महाराणा प्रताप की जीवनी से सम्बन्धित इतिहास, वस्तुओं को देखा गया। महाराणा का चेतक स्मारक भी देखा गया। सायंकाल बस द्वारा नाथद्वारा के लिए प्रस्थान कर गए। भोजन आदि से निवृत्त होकर रात्रि विश्राम नाथद्वारा में किया।
पंचम दिवस
प्रातःकाल दैनिक दिनचर्या से निवृत्त होकर श्रीनाथ मन्दिर गए। सुबह सुबह अनेक दर्शनार्थियों की पंक्तियाँ नजर आयी। हम सब भी लाइन में खड़े हो गये। धीरे धीरे आगे बढ़ते गए और एक समय में श्री नाथ जी के दर्शन लाभ प्राप्त हुए। प्रसाद लेकर होटल में चले आये। सामान लेकर ऑटो से बस स्टैंड आ गए। इसके बाद बस द्वारा राजसमन्द के लिए रवाना हुए। राजसमन्द में हमारे चिरपरिचित योगाचार्य श्री रामेश्वरलाल शर्मा से मुलाकात हुई। उन्होंने हम सबको द्वारिकाधीश मन्दिर के दर्शन करवाये। इसके बाद पास में ही राजसमन्द झील का विहंगम दृश्य दिखाया। सभी ने फोटो खिंचवाई। आनन्द लिया। पुनः बस स्टैंड आ गए। सभी ने भोजन ग्रहण किया। इसके बाद बस से भीलवाड़ा के लिए रवाना हुए। दोपहर बाद भीलवाड़ा रिश्तेदारों के घर पहुंचे। सायंकाल देवजी के मन्दिर में सामूहिक भोजन बनाकर भोजन ग्रहण किया। रात्रि विश्राम किया।
षष्टम दिवस
प्रातःकाल बस द्वारा कादेडा के लिए प्रस्थान कर गए। रिश्तेदारों के यहाँ २-३ घंटे ठहरने के बाद हम सब टोडारायसिंह के लिए रवाना हो गये। सायंकाल हम सब सकुशल टोडारायसिंह आ गए। सभी को थकान हो रही थी। भोजन ग्रहण के बाद रात्रि विश्राम किया। तो
ये रही छह दिवअरे की आनन्ददायी यात्रा।
चित्रशाला
वीडियो
सूचना स्रोत
शिवराज जी कुर्मी
प्रस्तुति