वीडियो लिंक 🔗
https://youtu.be/zSRd-hxg7T0?si=UVpabruHpaSQyf-g
सारांश
इस वीडियो में परविंद्र दहिया के साथ अंकुर बंसल का संवाद प्रस्तुत है, जो एक संघर्षशील छात्र से सफल करियर काउंसलर और इंस्टिट्यूट संचालक बने हैं। अंकुर ने दसवीं कक्षा के दौरान परिवार की वित्तीय स्थिति को देखते हुए एक धागे की फैक्ट्री में कार्य किया। उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ विभिन्न कोर्सेस किए और अब मुजफ्फरनगर में नालंदा इंस्टीट्यूट चलाते हैं, जहाँ वे बच्चों को करियर गाइडेंस और स्किल डेवलपमेंट प्रदान करते हैं। अंकुर बताते हैं कि आज के समय में केवल अच्छे अंकों से नौकरी पाना मुश्किल है, बल्कि स्किल्स सीखना और उन्हें काम में लाना जरूरी है। वे बताते हैं कि कई छात्र, जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय की एक टॉपर छात्रा, के पास उच्च अंक और मेडल्स होते हुए भी स्किल्स की कमी के कारण इंटरनशिप या नौकरी नहीं मिल पाती। अंकुर का मानना है कि स्किल्स सीखना और उसे अपने करियर में लागू करना सफलता की कुंजी है। वे बताते हैं कि उनके संस्थान में विभिन्न कोर्सेस जैसे ऑटोकैड, कंप्यूटर बेसिक्स आदि कराए जाते हैं ताकि छात्र आत्मनिर्भर बन सकें। साथ ही, वे परिवार के समर्थन और संघर्ष की कहानी साझा करते हैं और छात्रों व अभिभावकों को सही करियर गाइडेंस लेने तथा बच्चों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार करियर बनाने की सलाह देते हैं। उनका उद्देश्य भारत को फिर से एक शिक्षा का केंद्र बनाना है और युवा पीढ़ी को आत्मनिर्भर बनाना है।
मुख्य बिंदु
🎯 केवल उच्च अंक या डिग्री नौकरी के लिए पर्याप्त नहीं हैं, स्किल्स का होना अनिवार्य है।
💼 छात्र अक्सर इंटरव्यू में स्किल्स के बारे में पूछे जाने पर असमंजस में रहते हैं।
👩🎓 एक दिल्ली विश्वविद्यालय की टॉपर छात्रा के उदाहरण से यह स्पष्ट होता है कि केवल मेडल्स और सर्टिफिकेट्स से नौकरी नहीं मिलती।
🏭 अंकुर ने दसवीं के बाद फैक्ट्री में काम करके परिवार की आर्थिक मदद की और शिक्षा जारी रखी।
📚 नालंदा इंस्टीट्यूट में बच्चों को करियर गाइडेंस और व्यावहारिक स्किल्स सिखाई जाती हैं।
💡 सही करियर सलाह और स्किल डेवलपमेंट से छात्र बेहतर रोजगार पा सकते हैं।
👨👩👧👦 अभिभावकों को बच्चों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार करियर चुनने देना चाहिए।
प्रमुख अंतर्दृष्टियाँ
🎓 शिक्षा और स्किल्स का संतुलन जरूरी
अंकुर की कहानी से पता चलता है कि केवल अकादमिक प्रदर्शन पर निर्भर रहना आज के प्रतिस्पर्धी युग में पर्याप्त नहीं है। नौकरी पाने और करियर बनाने के लिए व्यावहारिक और तकनीकी स्किल्स सीखना जरूरी है। जो छात्र केवल नंबरों पर ध्यान देते हैं, वे रोजगार के अवसरों में पिछड़ जाते हैं।
💡 स्किल्स से जीवन में स्थिरता
वीडियो में बताया गया है कि माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल जैसे बेसिक कंप्यूटर स्किल्स सीखने से ही छात्र 2 लाख से 4 लाख तक का वेतन आसानी से पा सकते हैं। इसका अर्थ यह है कि सही स्किल्स से न केवल बेहतर नौकरी मिलती है, बल्कि स्थिर और उच्च आय भी संभव है। यह आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने का रास्ता खोलता है।
👩🎓 डिग्री केवल योग्यता की प्राथमिक शर्त
नौकरी पाने के लिए डिग्री एक जरूरी योग्यता हो सकती है, लेकिन उससे आगे बढ़कर स्किल्स और अनुभव की मांग होती है। उदाहरण के लिए, एक टॉपर छात्रा के पास मेडल्स और सर्टिफिकेट्स थे, लेकिन स्किल्स की कमी के कारण उसे इंटर्नशिप नहीं मिली। यह दर्शाता है कि कंपनियां केवल शैक्षणिक योग्यता नहीं बल्कि उम्मीदवार की क्षमता को महत्व देती हैं।
🏭 संकटों से सीख और विकास
अंकुर की व्यक्तिगत कहानी यह दर्शाती है कि आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, निरंतर मेहनत और सीखने की प्रवृत्ति से सफलता प्राप्त की जा सकती है। उनके लिए परिवार का समर्थन और स्वयं की मेहनत दोनों महत्वपूर्ण थे। यह संदेश देता है कि कठिनाइयाँ विकास के अवसर हैं।
📚 व्यावसायिक प्रशिक्षण का महत्व
नालंदा इंस्टीट्यूट के माध्यम से अंकुर बच्चों को न सिर्फ कोर्स कराते हैं, बल्कि उनके करियर गोल्स के अनुसार एक-एक छात्र की व्यक्तिगत काउंसलिंग भी करते हैं। यह शिक्षा प्रणाली में व्यावहारिक और व्यक्तिगत मार्गदर्शन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
👨👩👧👦 अभिभावकों की भूमिका
अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों पर दबाव न डालें कि वे केवल पारंपरिक करियर जैसे इंजीनियरिंग या मेडिसिन चुनें। हर क्षेत्र में सफलता संभव है यदि बच्चे को सही दिशा और समर्थन मिले। यह आधुनिक शिक्षा और करियर निर्णयों में परिवर्तित सोच की आवश्यकता पर बल देता है।
🇮🇳 शिक्षा में भारत की पुनः प्रतिष्ठा
अंकुर का विज़न है कि भारत फिर से शिक्षा का केंद्र बने, जैसे प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय हुआ करता था। यह दर्शाता है कि आधुनिक शिक्षा प्रणालियों में भी हमें अपने इतिहास और सांस्कृतिक विरासत से प्रेरणा लेकर नवाचार करना चाहिए, ताकि शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता विश्व स्तरीय हो।
यह वीडियो एक प्रेरणादायक कहानी के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा और करियर निर्माण के लिए आवश्यक बदलावों पर गहन विचार प्रदान करता है। यह छात्रों, अभिभावकों, और शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण संदेश लेकर आता है कि शिक्षा केवल डिग्री तक सीमित नहीं है, बल्कि स्किल्स और सही मार्गदर्शन के साथ ही जीवन में सफलता संभव है। अंकुर बंसल की कहानी यह प्रमाणित करती है कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, लगन, मेहनत और सही गाइडेंस से हर कोई अपने सपनों को पूरा कर सकता है।
संदर्भ
श्री प्रवेंद्र दहिया जी
पाठ्य सृजक
नोट जीपीटी
प्रस्तुति