जीवन की अनुभूति

जीवन की अनुभूति

आज मैं अपनी M.Ed द्वितीय सेमेस्टर की पुस्तकें लेने के लिए गुरुग्राम सदर बाजार गया हुआ था। उससे पहले मैंने अपना हेलमेट ठीक करवाने के लिए स्कूटी को रोका और अपना हेलमेट ठीक करवाने के लिए एक छोटे बच्चे को दे दिया। वह बच्चा दस साल का था अनुमानतः कक्षा चौथी या पाँचवीं में पढ़ता होगा। जब मैंने उस से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा तो वह बोला कि

“सर मैं बस स्टैंड के पास सरकारी स्कूल में पढ़ता हूं!”

तो मैंने पूछा कि आपके पास पुस्तकें हैं तो वह बोला हां पुस्तकें तो हैं।

मुझे बड़ा अच्छा लगा कि एक बच्चा पढ़ाई के साथ-साथ इतनी कम उम्र में अपने परिवार की जिम्मेवारी भी उठा रहा है और हेलमेट बनाने का काम भी कर रहा है। साथ ही वह कांवड़ियों की सेवा भी कर रहा और कांवडियों को पानी पिला रहा था। उसने अपने परिवार की जिम्मेवारी का एहसास किया होगा। मेरे से बड़े सम्मान के साथ पहले तो उसने कुछ ज्यादा रुपए बोले थे लेकिन बाद में उसने कम रुपये में ठीक किया और मेरा हेलमेट बहुत अच्छे तरीके से आदर के साथ सही करके वापस मुझे दिया। मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन तब मैं आश्चर्यचकित हो गया जब मैं वापस नंद बुक डिपो गुरुग्राम से पुस्तकें लेकर आया तो जब मैंने उसको वहाँ पर देखा कि उसके पास बहुत से बच्चे हैं जिनको वह ट्यूशन भी देता है। ऐसे बच्चों को मैं उम्मीद संस्था घिटोरनी की तरफ से नि:शुल्क पुस्तकें उपलब्ध करवाऊँगा।
उनकी पढ़ाई में कोई प्रॉब्लम नहीं आये और उनको पढ़ने में किसी तरह की समस्या उत्पन्न ना हो। उन्हें पुस्तकें देखकर जीवन में आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिले। मुझे अनोखा महसूस हुआ कि इतनी कम उम्र में अपने परिवार की जिम्मेवारियों को उठाना कितनी बड़ी बात है। आखिर शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो आपको समझ में सबके नजरिया में अच्छा बनाती है। शिक्षा का बँटवारा कभी नहीं हो सकता।
मैं आज की कहानी से बहुत कुछ सीखता हूंँ कि अपनी पढ़ाई के साथ-साथ जिम्मेवारियां कैसे निभाया जाए। मैं अपने आसपास के बच्चों को कैसे पढ़ाई में सहयोग कर सकूं? आज मैं बहुत खुश हुआ इस तरह के बच्चे से मिलकर के और मैं मां शारदे सरस्वती शिक्षा की देवी माता से अनुरोध करूंगा कि हे माँ! आप ऐसे बच्चों को जरूर कामयाब करें और यहां उसे पुस्तकों की और पढ़ाई की जरूरत होगी तो उम्मीद संस्था नि:शुल्क पुस्तक बैंक घिटोरनी दिल्ली उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है! आओ हम सब मिलकर के अपने आसपास में शिक्षा से आंगन शिक्षा का उज्ज्वल प्रकाश फैलाएँ।

सूचना स्रोत

श्री अनिल बैंसला

प्रस्तुति


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