भूमिका
नव वर्ष में भविष्य को बुनने की कल्पना की तैयारी के लिए रचित हंसराज जी की कविता की भूमिका प्रस्तुत है काव्य रूप में ही –
बीज जो आज बोओगे, कल वही फल लाएंगे,
कर्म जो शुभ करेंगे, सुखद पल बन जाएंगे।
धरा पर प्रेम बोओ, द्वेष का नाम मिटाओ,
संस्कारों के दीप जलाकर, जीवन को महकाओ।
आज की मेहनत है, कल की मुस्कान,
संघर्ष के पथ पर चलो, मत हो परेशान।
सद्गुणों की नींव रखो, सच्चाई का संग लो,
हर दिन को आशीर्वाद समझ, नये सपने संजो लो।
भविष्य की तैयारी है, वर्तमान का आधार,
जो भी कर्म करोगे, वही बनेगा संसार।
तो अच्छाई के फूल खिलाओ, हर दिल में प्यार भरो,
सपनों का नया जहां बनाओ, उजियारा हर ओर करो।
नववर्ष और सीख
बीत गया सो बीत गया,
अब नव की आस करो।
ले सबक उन गलतियों से,
मन में नया उल्लास भरो।
जो नाकामियां हुईं भूत,
अब उनको मत याद करो।
सफलता और खुशियों हेतु,
ईश्वर को खूब प्रणाम करो।
ऐसे ही बदलेंगी तारीखें तो,
करना पड़ेगा दृढ़संकल्प।
जीवन में मिली विफलताएं,
सफलता का नहीं हैं विकल्प।
मत दो किसी को दोष,
मत बनाओ कोई बहाने।
करनी पड़ेगी कठिन मेहनत,
सबके सहने पड़ेंगे सारे ताने।
सफलता जब चूमे दामन,
तो साथ लगता है जमाना।
मत करो किसी की परवाह,
बस न कटे ईश्वर का परवाना।
हंसराज हंस
टोंक राजस्थान।