गीत
नारी तू सृष्टि की देवी, महिमा अपरंपार है।
तुझसे बढ़कर इस दुनिया में, दूजा नहीं अवतार है।।१।।

गौतम, नानक, महावीर को तेरी कोख ने जाया है।
तू ईश्वर का रूप जगत में, तुझमें राम समाया है।
सृष्टि की कर्ता धरता तू, जग की रचनाकार है।
नारी तू सृष्टि………।।२।।

तू है दयानिधि, तू करुणानिधि, निर्मल तेरी काया है।
त्याग-तपस्या की मूरत तू ,तुझमें प्रेम समाया है।
तू संघर्ष की सूरत है और तुझमें गुण भरमार है।
नारी तू सृष्टि…..।।३।।

तुझसे घर में रौनक लगती, तुझमें ख़ुशियाँ बसती है।
तुझ बिन लगता जीवन सूना, जग की अदभुत हस्ती है।
तू परिवार की दौलत पू्ँजी, तू उनका आधार है।
नारी तू सृष्टि……।।४।।

गीत का चित्रीय निरूपण

स्वरचित
रेखा जैन ‘प्रकाश’
(अध्यापिका)
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय
सिटी नंबर 8, टोंक (राजस्थान)
मोबाइल नंबर +91 – 9414841272
प्रस्तुति

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