ग़ज़ल
मुहब्बत जो दोगे।
मुहब्बत ही लोगे।
जो नफरत करोगे,
तो नफ़रत सहोगे।
दग़ा जो किया तो,
नज़र से गिरोगे।
वफ़ा गर करोगे,
तो दिल में रहोगे।
अदावत जो की तो,
अदावत सहोगे।
मुहब्बत करोगे,
दुआ में रहोगे।
वतन को हमेशा,
जो अपना कहोगे।
सदा इसमें ‘ममता’
सलामत रहोगे।
रचयिता
✍🏻ममता मञ्जुला ✍🏻

