मौसम
मौसम सावन-सा मनभावन, आज हुआ सब नाच रहे हैं,
देख यहाँ जल दादुर भी अब, बादल का ख़त बाँच रहे हैं।
नैन रहे अब बादल के झर, ज्यों नभ को कह साँच रहे हैं,
खूब लगा बिजली चमकी जब, टूट यहाँ ज्यों काँच रहे हैं।
रचयिता
श्योराज बम्बेरवाल ‘सेवक’
मालपुरा
प्रस्तुति