मुक्तक

मुक्तक

मुक्तक

मात-पिता को शीश झुकाना हमको अच्छा लगता है।

नित उठकर ही सेवा करना हमको अच्छा लगता है।

मात-पिता से बढ़कर यहां कोई नहीं इस दुनियां में।

नायक स्वर्ग चरणों में रहना हमको अच्छा लगता है।

रचनाकार

‘नायक’ बाबूलाल नायक

प्रस्तुति