आलेख

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वर्तमान कुरीतियों पर नियंत्रण

आवश्यक और चुनौतीपूर्ण

समय के साथ-साथ समाज बदल रहा है और साथ ही कुरीतियों का स्वरूप भी। पहले कुरीतियाँ केवल कुछ परंपराओं या अंधविश्वासों तक सीमित थीं, लेकिन अब वे नए रूपों में प्रकट हो रही हैं। आज के समाज में कुरीतियाँ पूर्वाग्रह, आशंका, जुझारूपन की कमी और अज्ञानता से जन्म ले रही हैं। ये न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि पूरे सामाजिक ताने-बाने पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

उदाहरण के लिए, कुछ क्षेत्रों में जातिवाद और भेदभाव अब पुराने रूप में नहीं दिखाई देता, लेकिन नौकरी, शिक्षा और अवसरों में भेदभाव छिपे हुए रूप में मौजूद है। इसी प्रकार, अंधविश्वास अब केवल धार्मिक उत्सवों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के निर्णयों तक भी पहुँच गया है। ऐसे में समाज का विकास रुक जाता है और नई पीढ़ी पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

यदि कोई समुदाय, जाति, वर्ग या संगठन इन कुरीतियों पर प्रभावी नियंत्रण लगा लेता है, तो वह सामाजिक प्रगति में आगे बढ़ जाता है। उदाहरण के तौर पर, कुछ गाँवों में पंचायत और सामाजिक संस्थाओं ने बाल विवाह और जातिगत भेदभाव के खिलाफ कठोर कदम उठाए। परिणामस्वरूप, वहाँ शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़े और सामाजिक सौहार्द में सुधार आया। वहीं, उन क्षेत्रों में जहाँ कुरीतियाँ अब भी अछूती हैं, वहां समाज पिछड़ता जा रहा है।

आशंका और पूर्वाग्रह भी इन कुरीतियों को बढ़ावा देते हैं। यदि किसी व्यक्ति या समूह को दूसरे के बारे में कोई पूर्व धारणा बनी होती है, तो वह उसके विकास और सहयोग को रोकता है। उदाहरण के लिए, एक छात्र अगर अपनी जाति या धर्म के कारण उच्च शिक्षा में अवसर खो देता है, तो न केवल उसका व्यक्तिगत विकास रुकता है बल्कि समाज भी उसकी प्रतिभा का लाभ नहीं उठा पाता।

अतः वर्तमान कुरीतियों पर काबू पाना न केवल आवश्यक है, बल्कि यह समाज की सकारात्मक और सतत प्रगति के लिए अनिवार्य भी है। समाज का प्रत्येक व्यक्ति, संगठन और समुदाय इस दिशा में योगदान कर सकता है। जब हम पूर्वाग्रह और आशंकाओं को दूर कर तर्क व तथ्य के आधार पर निर्णय लेते हैं, तब ही समाज के भीतर सच्ची उन्नति संभव होती है।

निष्कर्ष

कुरीतियाँ समय के साथ बदलती रहती हैं। उनका प्रभाव समाज पर हमेशा नकारात्मक ही होता है। जिन्होंने इन पर नियंत्रण पाया, उन्होंने विकास के पथ पर तीव्र प्रगति की। इसलिए वर्तमान समय में कुरीतियों के खिलाफ सचेत होना और उन्हें दूर करना सभी के लिए आवश्यक है।