अपनी अपनी राह

अपनी अपनी राह

।। अपनी-अपनी राह।।

28-03-2025

मानव तेरी मानवता का, रंग तूने खूब जमाया,

धर्म पुण्य का भेद बुलाकर, सब जीवों को है खाया,

धन खाया, जमीन खाई, रिश्ते नाते, प्रेम को भुला दिया,

माँ-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ा, फिर क्यों मानव कहलाया?

रचनाकार

कवि मुकेश कुमावत मंगल टोंक।

प्रस्तुति