Posted inInspiration Nature
बाँध ‘परिण्डा’ शुरुआत करें!
बान्ध ‘परिण्डे’ डाली-डाली,चहक रही है,चिड़ियाँ काली। फुदक-फुदक कर,चीं-चीं-चीं करती,आँगन बीच रेत में नहाती। चोंच मारती, पंख खुजलाती, बैठ डाल पर, गीत सुनाती। कभी इधर उड़े, कभी उधर उड़े, तिनका-तिनका, ले…