दोहा
कल किसने देखा यहाँ, परिवर्तन संसार।
आज है कल न होयगा, तेज समय की धार।।
जो करना है अभी करें, छोड़ें ना कुछ काम।
पल-पल बीता जायगा, गुजरा समय तमाम।।
आन-मान-सम्मान से, जीवन बने विशाल।
तन-मन कुंठित हो नहीं, जगती होय निहाल।।
पक्षपात करना नहीं, कभी किसी के साथ।
जग में सभी समान हों, करें विनय से बात।।
परहित जीवन में करें, मन हो सहज उदार।
मन वचन कर्म शुद्ध हों, उत्तम हो व्यवहार।।
रहैं साथ परिवार में, बनते बिगड़ें काम।
पीछे की चिंता नहीं, सभी करें आराम।।
सूचना स्रोत
‘नायक’ बाबूलाल नायक 💥
प्रस्तुति


