हौसला हो तो उम्र नहीं बनती रुकावट
कहते हैं कि यदि इरादा मजबूत हो तो उम्र, जिम्मेदारियाँ या हालात—कुछ भी रास्ता नहीं रोक सकते। हाल ही में उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले से एक ऐसा उदाहरण सामने आया है जिसने समाज में नई ऊर्जा भर दी है। जहाँ एक बाप और बेटा एक साथ पुलिस विभाग में नियुक्त होकर सबके लिए प्रेरणा बन गए हैं।
घटना का सार
हापुड़ जिले के उदयरामपुर नंगला गांव के रहने वाले यशपाल नागर और उनके बेटे शेखर नागर ने एक साथ यूपी पुलिस में ज्वाइनिंग की है। यह सुनकर लोग हैरान भी हैं और गौरव महसूस कर रहे हैं। गांव में बधाइयों का तांता लगा है, मिठाइयाँ बंट रही हैं, और चारों तरफ खुशियों का माहौल है।
यशपाल नागर जी ने पहले भारतीय सेना के ऑर्डिनेंस कोर में 16 साल तक देश की सेवा की। 2019 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने यूपी पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा दी और पास भी की। इसी परीक्षा में उनके पुत्र शेखर ने भी सफलता पाई और अब दोनों बाप-बेटा एक साथ पुलिस सेवा में नियुक्त हुए हैं। ऐसे ही कुछ और उदाहरण:
- सहारनपुर के राजबीर सिंह ने भी अपने बेटे के साथ साथ बोर्ड परीक्षा पास की थी, और पूरे जनपद में चर्चा का विषय बन गए थे। उन्होंने यह दिखाया कि पढ़ाई और मेहनत का कोई उम्र नहीं होता।
- राजस्थान के एक बुजुर्ग ने 60 वर्ष की उम्र में दसवीं की परीक्षा पास कर यह सिद्ध किया कि सीखना कभी बंद नहीं होना चाहिए।
- बिहार की एक महिला ने तीन बच्चों की माँ होने के बावजूद UPSC परीक्षा पास की, और समाज को यह संदेश दिया कि यदि ठान लो, तो कोई लक्ष्य दूर नहीं।
विश्लेषण
यह सारे उदाहरण समाज में एक सकारात्मक सोच पैदा करते हैं। ये लोग साबित करते हैं कि
- उम्र केवल एक संख्या है,
- पढ़ाई कभी व्यर्थ नहीं जाती,
- और अगर परिवार साथ हो, तो कोई भी मंज़िल मुश्किल नहीं।
इन घटनाओं से यह भी स्पष्ट होता है कि अब समाज में बदलाव आ रहा है। पहले शिक्षा और सरकारी नौकरी को सिर्फ युवाओं की चीज़ समझा जाता था, पर अब हर उम्र के लोग अपनी मेहनत और हौसले से नए आयाम गढ़ रहे हैं।
निष्कर्ष
यशपाल और शेखर नागर की यह सफलता न केवल एक पिता-पुत्र की उपलब्धि है, बल्कि यह समाज को यह बताने वाला संदेश है कि “अगर हौसला हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।”
ऐसे लोग केवल अपनी सफलता नहीं रचते, बल्कि दूसरों के लिए राह भी बनाते हैं।
प्रेरणास्पद पंक्तियाँ
“जो कल तक नामुमकिन था, आज वही मिसाल बन गया,
हौसलों ने जब उड़ान भरी, तब हर अंबर छोटा लगने लगा।”