पहल

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गन्ना आधारित आईपीएम तकनीक

मेरठ के मंडोरा गांव में 28 नवम्बर 2025 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के दिल्ली स्थित संस्थान राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन अनुसन्धान संस्थान के तत्वावधान में “गन्ना आधारित आईपीएम मॉडल गांव” का उद्घाटन समारोह अत्यंत गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। इस आयोजन को सतत कृषि, जैविक कीट प्रबंधन और किसान सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है। गन्ने के खेतों मे ड्रोन स्प्रे प्रदर्शन से हुआ। इस तकनीकी प्रदर्शन ने उपस्थित किसानों और विशेषज्ञों को आधुनिक कृषि में डिजिटल तकनीकों के उपयोग की व्यवहारिक झलक दी।

डॉ. श्रवण एम. हलधर प्रधान (वैज्ञानिक, कीट विज्ञान) ने परियोजना की पृष्ठभूमि, उद्देश्यों और अब तक की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। डॉ. आर. थंगावेलु, निदेशक, आईसीएआर-एनआरआईपीएम तथा मुख्य अतिथि डॉ. पूनम जसरोटिया, एडीजी (पीपी एवं बी), आईसीएआर, नई दिल्ली ने अपने संबोधन में कहा कि मंडोरा गांव में शुरू की गई यह पहल देश के अन्य गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के लिए अनुकरणीय मॉडल बन सकती है। जैविक कीट प्रबंधन की दिशा मे

पिछले 7–8 महीनों में मंडोरा गांव में समेकित नाशीजीव प्रबंधन (IPM) के तहत अनेक जैविक रणनीतियों को व्यवहारिक रूप से लागू किया गया। जैसे कंसोर्टियम (ट्राईकोडरमा एस्पेरलम + बेसिलस प्रजाति)- रेड रॉट और पोक्का बोइंग जैसी गन्ने की प्रमुख बीमारियों के नियंत्रण हेतु 400 लीटर जैविक मिश्रण का प्रयोग करके 200 एकड़ क्षेत्र को कवर किया गया। नीम तेल- टॉप बोरर और लीफ हॉपर जैसे कीटों के नियंत्रण हेतु 170 लीटर नीम आधारित जैविक कीटनाशक का छिड़काव 250 एकड़ में किया गया। ट्राइकोकार्ड- टॉप बोरर के अंडों को परजीवी बनाकर नष्ट करने के लिए 500 एकड़ क्षेत्र में ट्राइकोग्रामा परजीवी के 400 कार्ड वितरित किए गए। ड्रोन तकनीक के तहत 200 एकड़ क्षेत्र पर ड्रोन से छिड़काव किया गया,

मंडोरा गांव में गन्ना आधारित आईपीएम मॉडल परियोजना के अंतर्गत किसानों को विशेष रूप से तैयार की गई आईपीएम किट वितरित की गई। इस किट में गन्ने की फसल के नाशीजीव प्रबंधन के लिए विभिन्न जैविक एवं सहायक घटक शामिल किए गए हैं। इसमें सबसे पहले IPM-Azad (नीम तेल 1000 ppm) की 200 लीटर मात्रा दी गई, जो प्राकृतिक रूप से कीट नियंत्रण में सहायक है। इसके साथ ही ट्राइकोकार्ड के 200 कार्ड प्रदान किए गए,किसानों को निगरानी और नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप ओर प्रारंभिक शूट बोरर के लिए 200 कार्ड और टॉप शूट बोरर के लिए भी 200 कार्ड गन्ना किसानो को 200 किलोग्राम मात्रा नीम खली की दी गई। इसके अतिरिक्त, पौधों की सुरक्षा हेतु 200 IPM-Trigourd हर्बल साबुन वितरित किए गए। रोग नियंत्रण और पौधों की शक्ति बढ़ाने के लिए ट्राईकोडरमा एस्पेरलम + बैसिलस आधारित कंसोर्टियम की 400 लीटर मात्रा दी गई। जैविक नियंत्रण को और सशक्त बनाने के लिए क्रायसोपरला अंडे के 50 कार्ड भी शामिल किए गए। आधुनिक कीटनाशक विकल्प के रूप में क्लोरान्ट्रानिलिप्रोल (60ml) के 200 नग किसानों को दिए गए। किसानों को जानकारी और मार्गदर्शन देने के लिए गन्ना आईपीएम पर आधारित 200 पुस्तिका उपलब्ध कराए गए, ताकि वे इन जैविक उपायों का सही उपयोग कर सकें।

समारोह का समापन राष्ट्रगान और सामूहिक भोज के साथ हुआ

समारोह को सफल बनाने में ऐके कनौजिया तथा संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. पी, एन. मीना, डॉ. मनोज चौधरी तथा डॉ. रेखा बलोधी ने भी अपना महत्वपूर्ण योगधान दिया।

प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा पुरस्कृत प्रगतिशील किसान वेदव्रत मंडोरा ने गन्ना आधारित आईपीएम मॉडल गांव मंडोरा का उद्घाटन होना एक बड़ी उपलब्धि है,यह किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक सशक्त प्रयास है उन्होंने मंडौरा गाँव मे इस कृषि तकनीकी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी अतिथियों और किसानों का आभार जताया!

झलकियाँ

सूचना स्रोत

श्री वेदव्रत जी, मंडोरा

प्रस्तुति