ज्वाइनिंग वर्षगांठ

ज्वाइनिंग वर्षगांठ

सेवा से साधना तक

श्री ओमप्रकाश जी की स्वर्णिम सेवा-यात्रा

स्वर्णिम सेवा की गाथा

कुछ जीवन-यात्राएँ केवल समय की गणना नहीं होतीं,

वे मूल्यों, समर्पण और कर्तव्यबोध की जीवंत मिसाल बन जाती हैं।

श्री ओमप्रकाश जी की सेवा-यात्रा ऐसी ही एक प्रेरक गाथा है,

जिसने पचास वर्षों तक राष्ट्र-सेवा को

कर्तव्य नहीं, बल्कि साधना के रूप में जिया।

वर्ष 1973 में मेरठ विश्वविद्यालय से

कृषि विज्ञान (वनस्पति शास्त्र) में

विश्वविद्यालय-स्तर पर द्वितीय स्थान प्राप्त कर

उन्होंने अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा का प्रारंभिक परिचय दिया।

वर्ष 1975 में भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग से

भारत सरकार की सेवा में प्रवेश

उनके जीवन का वह निर्णायक मोड़ था,

जिसने आगे चलकर

पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक अनुसंधान

के क्षेत्र में सार्थक योगदान का मार्ग प्रशस्त किया।

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित होकर

वर्ष 1989 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में

अनुसंधान सहायक के रूप में कार्यभार संभालते हुए

उन्होंने निरंतर उत्तरदायित्व, अनुशासन और कर्मनिष्ठा का परिचय दिया।

ब्रिटेन में अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण सहित

उनका कार्यकाल अनुभव, दृष्टि और संतुलन का

समृद्ध उदाहरण रहा।

वर्ष 2013 में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद से सेवानिवृत्ति

एक औपचारिक पड़ाव था,

किंतु सेवा की गणना में

दिनांक 09 दिसम्बर 2025 को

उनकी सेवा-यात्रा के स्वर्णिम पचास वर्ष पूर्ण हुए।

यह पुस्तक उन वर्षों का संकलन है—

जो आँकड़ों से नहीं,

अनुभवों, स्मृतियों, सहयोग,

और आत्मीय संबंधों से गढ़े गए हैं।

यह केवल एक व्यक्ति का दस्तावेज़ नहीं,

बल्कि उस पीढ़ी का प्रतिनिधित्व है

जिसने सेवा को सम्मान

और कर्म को साधना माना।

 

इसी स्वर्णिम अवसर पर

स्वर्गीय श्रीमती हेमलता जी का स्मरण

इस यात्रा को भावनात्मक पूर्णता प्रदान करता है—

क्योंकि प्रत्येक सफल यात्रा के पीछे

अदृश्य सहारा और मौन त्याग छिपा होता है।

 

यह ग्रंथ

श्री ओमप्रकाश जी की

समर्पित सेवा-यात्रा को

आदर, कृतज्ञता और प्रेरणा के साथ

समर्पित है।

टाइमलाइन (Timeline)

1973 | शिक्षा

1975 | सेवा प्रारंभ

1981। विधि स्नातक की शिक्षा

1989 | मंत्रालय में दायित्व

1999 । आपदा प्रबंधन मे शिक्षा

2013 | सेवानिवृत्ति

2025 | स्वर्णिम सेवा-पूर्णता

✒️ उलझन सुलझन की टिप्पणी

“सेवा जब साधना बन जाए, तो समय स्वयं सम्मान बन जाता है।”

🌿 साथी और सहयोग

किसी भी दीर्घ सेवा-यात्रा के पीछे केवल एक व्यक्ति का परिश्रम नहीं होता,

बल्कि वह एक साझा धैर्य, मौन समर्थन और विश्वास की कहानी होती है।

श्री ओमप्रकाश जी की पचास वर्षों की यह स्वर्णिम सेवा-यात्रा

उन सभी साथियों, सहयोगियों और शुभचिंतकों की सहभागिता से पूर्ण हुई है

जिन्होंने समय–समय पर मार्गदर्शन, सहयोग और प्रेरणा प्रदान की।

 

कार्यालयीन जीवन में मिले वरिष्ठों का स्नेह,

सहकर्मियों का विश्वास,

कनिष्ठों का सम्मान

और मित्रों की आत्मीयता—

इन सभी ने इस यात्रा को संतुलित और सुचारु बनाए रखा।

यह पृष्ठ उन सभी अदृश्य हाथों के प्रति

कृतज्ञता का विनम्र स्वीकार है,

जिनके सहयोग से कर्तव्य निर्वहन

एक दायित्व से बढ़कर

एक सुसंस्कृत परंपरा बन सका।

 

🌸 स्मरण : स्वर्गीय श्रीमती हेमलता जी

श्री ओमप्रकाश जी की जीवन-यात्रा में

स्वर्गीय श्रीमती हेमलता जी

एक ऐसी उपस्थिति रहीं

जो सदैव पृष्ठभूमि में रहकर

परिवार और दायित्वों का संतुलन बनाए रखती रहीं।

 

एक कुशल गृहिणी के रूप में

उन्होंने संयम, समर्पण और समझदारी के साथ

घर को सुदृढ़ आधार प्रदान किया।

पतिव्रत धर्म का आदर्श निर्वहन करते हुए

उन्होंने श्री ओमप्रकाश जी की

सेवा-यात्रा में

मौन सहारा और स्थिर विश्वास बनकर

हर पड़ाव पर साथ दिया।

 

आज वे केवल एक स्मृति नहीं,

बल्कि उस मौन त्याग और आत्मबल का प्रतीक हैं

जो किसी भी सफलता की

अदृश्य नींव होता है।

इस स्वर्णिम अवसर पर

परिवार द्वारा उनका

श्रद्धापूर्वक स्मरण

स्वाभाविक और भावपूर्ण है।

 

समर्पण-वाक्य

“उन सभी दृश्यमान–अदृश्य सहयोगों को समर्पित, जिनसे सेवा साधना बन सकी।”

 

जन्मदिवस-संगत श्रद्धांजलि पाठ

(प्रेरणादायी, संतुलित, गरिमामय)

इस स्वर्णिम सेवा-पूर्णता के दिन

जहाँ पचास वर्षों की राष्ट्र-सेवा

कृतज्ञ स्मरण में परिवर्तित हुई,

वहीं स्वर्गीय श्रीमती हेमलता जी का जन्मदिवस

इस अवसर को

संयम, स्मृति और मूल्यों की

मौन उपस्थिति से पूर्ण करता है।

यह संयोग हमें स्मरण कराता है कि

प्रत्येक सार्वजनिक उपलब्धि के पीछे

एक निजी संसार का संतुलन होता है—

जहाँ त्याग, धैर्य और मौन समर्थन

सबसे बड़े योगदान होते हैं।

यह पृष्ठ

केवल स्मृति का नहीं,

प्रेरणा का भी संदेश देता है—

कि सेवा और परिवार,

कर्तव्य और करुणा

जब साथ चलते हैं,

तो जीवन स्वयं एक उदाहरण बन जाता है।

कृते

शब्दशिल्प

टीम उलझन सुलझन

पाठ्य उन्नयन और विस्तार व प्रस्तुति